ब्रास बैंड में उपयोग होती है पीतल से बनी तुरही

मेरठ

 08-01-2020 10:00 AM
ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

भारत में मेरठ पीतल (ब्रास- Brass) के बने और वायु से बजने वाले वाद्य यंत्रों का सबसे बड़ा निर्माता है। इन यंत्रों में तुरही (Trumpet) भी शामिल है जिसका प्रयोग शादी समारोह में मुख्य रूप से किया जाता है। तुरही पीतल से बना वाद्य यंत्र है जिसका उपयोग आमतौर पर संगीत की शास्त्रीय और जैज़ (jazz) शैली में किया जाता है। इसके विभिन्न रूप देखे जा सकते हैं। पुराने समय या 1500 ईसा पूर्व में इसका इस्तेमाल लड़ाई या शिकार के दौरान संकेत देने के लिए किया जाता था। संगीत वाद्ययंत्र के रूप में इनका इस्तेमाल 14वीं शताब्दी के अंत या 15वीं शताब्दी के प्रारंभ में होने लगा। इसका उपयोग विभिन्न कला संगीत शैलियों जैसे ऑर्केस्ट्रा (Orchestras), कॉन्सर्ट बैंड (Concert bands) और जैज़ में किया जाता है।

इसे इसके आच्छादन में फूंक भरकर बजाया जाता है जिससे ‘बज़िंग’ (Buzzing) जैसी ध्वनि उत्पन्न होती है जोकि उपकरण के भीतर हवा के स्तंभ में एक कंपन लहर शुरू करती है। 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से इसका निर्माण मुख्य रूप से पीतल टयूबिंग (Tubing) के द्वारा किया जा रहा है जिसे आमतौर पर दो बार गोल आयताकार आकार में झुकाया जाता है। तुरही के कई अलग-अलग प्रकार हैं, जिनमें सबसे आम B♭ टाइप है। सबसे पुरानी तुरहियां 1500 ईसा पूर्व और उससे पहले की हैं। मिस्र में तूतनखामुन की कब्र से कांस्य और चांदी की तुरही, स्कैंडिनेविया से कांस्य की तुरही, और चीन से धातु के तुरही इस अवधि की तुरहियां हैं। मध्य एशिया की ऑक्सस सभ्यता (3 सहस्राब्दी ईसा पूर्व) ने तुरही के बीच के हिस्से को उभार रूप दिया जबकि इसे केवल धातु की एक शीट से ही बनाया गया था। 300 ईसवीं में प्राचीन पेरू के मोके (Moche) लोगों ने अपनी कला में तुरही का चित्रण किया था। सबसे शुरुआती समय में उपयोग की जाने वाली तुरही संकेत तुरही थी जिनका उपयोग संगीत के बजाय सैन्य या धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था। अब इस परंपरा को आधुनिक बिगुल ने जारी रखा है।

भारत में तुरही का उपयोग विवाह समारोह या सैन्य मार्च में किया जाता है। ब्रिटिश सेना ने स्थानीय लोगों को प्रभावित करने के लिए भारत में मार्चिंग ब्रास बैंड (Marching brass bands) की शुरुआत की थी। क्योंकि भारतीय लोग ब्रिटिश संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित थे इसलिए उन्होंने उनके इस उपकरण के उपयोग को बखूबी अपनाया। यहां तक कि इस उपकरण के उपयोग हेतु भारतियों को प्रशिक्षित करने के लिए इंपीरियल (Imperial) सैन्य बैंड के कुछ संगीतकारों को भी बुलाया गया। ब्रिटिश सैन्य बैंड के एक विशिष्ट व्यक्ति जॉन मैकेंज़ी रोगन ने भारतीय रेलवे के स्वयंसेवकों के एक समूह को सैन्य बैंड संगीत चलाने के लिए प्रशिक्षित किया था। इसके अलावा इस उपकरण को भारतीय विवाह में शामिल करने की परंपरा भी 19वीं शताब्दी में शुरू हुई। इस अवधि में भारतीय विवाह के लिए ब्रास बैंड को किराए पर देने की परंपरा बहुत अधिक प्रचलित हुई। एक अनुमान के अनुसार लगभग सात हज़ार से भी अधिक भारतीय विवाह बैंड या ब्रास बैंड भारत में उपलब्ध हैं। अफसोस की बात तो यह है कि शादी के बैंड को किराए पर देने का चलन अब बहुत कम हो गया है। इसके लिए मुख्य रूप से पेशेवर संगीतकारों और डीजे (DJ) के आगमन को उत्तरदायी माना जाता है। जिस कारण इस व्यवसाय की व्यवहार्यता में भारी गिरावट आई है। कम आमदनी, काम के अनियमित घंटे और अंतहीन यात्रा को भी अन्य कारण माना जाता है।

इसे एक फैशन के रूप में देखा जाता है जो आज है फिर कल नहीं। शादियों में पेशेवर संगीतकारों का चलन भी बढ़ता जा रहा है जो ब्रास बैंड व्यवसाय की व्यवहार्यता में भारी गिरावट का अन्य कारण है। बैंड संगीतकारों को ज्यादातर भारतीय समाज के निचले तबके का माना जाता है और उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया जाता है। उनकी उपस्थिति को एक शादी के जुलूस के दौरान पूरी तरह से नज़रअंदाज कर दिया जाता है। अधिक 'परिष्कृत' संगीत वरीयताओं के आगमन जैसे डीजे को किराए पर लेने की लोकप्रियता ने भी शादी के बैंड को किराए पर लेने की प्रथा को बाधित किया है। इसका असर सीधे-सीधे उन लोगों पर देखने को मिलता है जो इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। ये लोग रोज़गार की तलाश में गांवों से शहर की ओर आते हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार इनमें से अधिकांश लोग बेहतर जीवन की तलाश में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के दूर-दराज़ गांवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं, 15-20 सदस्यों के साथ एक कमरे को साझा करते हैं तथा पर्याप्त पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। ऐसे में इस व्यवसाय की व्यवहार्यता में भारी गिरावट इन लोगों के जीवन को काफी संघर्षपूर्ण बनाती है।

संदर्भ:-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Trumpet
2. https://www.jodilogik.com/wordpress/index.php/the-indian-wedding-band/
3. https://www.thecitizen.in/index.php/en/NewsDetail/index/8/10650/The-Band-Wallahs-of-Indian-Weddings

RECENT POST

  • आइए नजर डालें उत्तर भारतीय शादियों के कुछ रोमांचक दृश्यों पर
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     03-12-2023 09:30 AM


  • फायदेमंद होकर भी हानिकारक क्यों है, रैट-होल खनन
    खदान

     02-12-2023 09:56 AM


  • हिंदू व जैन धर्म अपनाने वाले चालुक्य राजा कुमारपाल के साम्राज्य का विवरण,अपभ्रंश भाषा में
    ध्वनि 2- भाषायें

     01-12-2023 12:01 PM


  • फ्लोरा एन स्टील: ब्रिटिश शासित भारत में एक विपुल लेखिका जो समझती थीं भारत व् भारतीयों को
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     30-11-2023 10:36 AM


  • आधुनिक चित्रकला की स्वदेशी शैली ‘समीक्षावाद’ पर, मेरठ में छपी,रामचन्द्र शुक्ला की पुस्तक
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-11-2023 09:52 AM


  • सरला ठकराल: बाधाओं को मात देकर आसमान छूने वाली एक भारतीय महिला
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     28-11-2023 10:20 AM


  • गुरु नानक जी के अयोध्या यात्रा वर्णनों की राम जन्म भूमि विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     27-11-2023 10:01 AM


  • सुनें, स्वामी विवेकानन्द द्वारा 1893 में शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण को
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     26-11-2023 09:32 AM


  • मेरठ के निकटवर्ती गढ़मुक्तेश्वर के गंगा तट पर महाभारत काल से लगता आया है कार्तिक मेला
    नदियाँ

     25-11-2023 10:01 AM


  • जीवन का वृक्ष: ब्रह्माण्ड के सभी जीव आपस में किस प्रकार जुड़े हुए हैं?
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     24-11-2023 10:35 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id