मेरठ की अत्यंत ही महत्वपूर्ण इमारत है, शाहपीर का मकबरा

मेरठ

 07-01-2020 10:00 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

मेरठ उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है जहाँ पर सिन्धु सभ्यता से लेकर आधुनिक इतिहास तक के साक्ष्य मिल जाते हैं। इस जिले में हिन्दू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, इसाई, सिख आदि धर्मों के साक्ष्य मिल जाते हैं। सरधना का बसेलिका, हस्तिनापुर, शाह पीर का मकबरा आदि। मेरठ भारत की असली तस्वीर प्रस्तुत करता है जो की अनेकता में एकता को प्रदर्शित करता है। इस जिले में उपस्थित शाह पीर का मकबरा एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण मकबरा है जिससे कई कहानियाँ जुडी हुयी हैं जिसे हम इस लेख में पढेंगे। शाह पीर का मकबरा भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। वर्तमान समय में यह मकबरा ऐतिहासिक रूप से मेरठ शहर में छिपा हुआ है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।

शाहपीर अर्थात् रहमत उल्लाह का जन्म रमजान की पहली तिथि को 978 हिजरी (1557 ई.) में मेरठ के शाहपीर गेट पर हुआ था। शाहपीर एक संत थें तथा यही कारण है की प्रत्येक जुम्मेरात को यहाँ पर सूफी गायन का आयोजन भी किया जाता है। शाहपीर का मकबरा वर्तमान में पूर्ण रूप से बनी हुई अवस्था में नही है और ना ही यह कभी पूरा हो सका था। इसके पूरा ना होने के पीछे प्रमुख रूप से दो किंवदंतियाँ यहाँ पर फैली हैं।

जैसा की इस मकबरे का निर्माण कार्य नूरजहाँ (जहाँगीर की बीवी) ने शुरू करवाया था तो यह जानना बड़ा विशिष्ट हो जाता है कि आखिर मुगल शासन को क्या कमीं थी जो यह मकबरा पूरा ना हो सका। प्रथम किंवदंति के अनुसार जिस वक्त इस मकबरे का निर्माण करवाया जा रहा था उस वक्त जहाँगीर को लाहौर या कहीं अन्य स्थान पर बंदी बना लिया गया था जिस कारण इसका निर्माण पूरा ना हो सका।

द्वितीय किंवदंती के अनुसार जब इस मकबरे का निर्माण हो रहा था उस समय किसी अधिकारी ने इसपर होने वाले खर्च का हिसाब मांग लिया था जिसकारण शाहपीर रुष्ठ हो गयें और उन्होने कहा कि हम संत हैं और संत इतना हिसाब किताब नही रखते।

उपरोक्त संस्था के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें।

यह एक कारण है जिस वज़ह से इस मकबरे का निर्माण रुक गया और यह कभी पूरी नही हो सकी। शाहपीर का मकबरा मुगलकला की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता है। इस मकबरे के छज्जे, जालियाँ, व इसके अपूर्ण गुम्बद के अंदर वाले भाग पर की गयी कलाकृति इस मकबरे के सौन्दर्य को प्रदर्शित करती है।

इस मकबरे को बनाने के लिये लाये गये नक्काशीदार पत्थर आज भी यहाँ पर जहाँ तहाँ फैले हुये हैं। मकबरे के सामने एक अन्य छोटा मकबरा बनाया गया है जो कि शाहपीर के भाई का है जिनकी पीढियाँ आज भी यहाँ रहती हैं। शाहपीर का यह मकबरा लाल बलुए पत्थर से निर्मित है। इस मकबरे के चारो ओर कई और छोटे-छोटे कब्रों आदि को देखा जा सकता है। इस मकबरे की स्थिति वर्तमान समय में बहुत सही नहीं है जिसका कारण यह है की इस मकबरे में बनाए गए सुलेख कला के प्रतिमान ख़त्म होने के ओर अग्रसर है।

सन्दर्भ:-
1.
https://timesofindia.indiatimes.com/city/meerut/Four-centuries-old-tomb-faces-public-neglect/articleshow/40524870.cms
2. https://bit.ly/35qiqQa
3. https://www.tourmyindia.com/states/uttarpradesh/mughal-mausoleum-meerut.html
4. https://www.indianholiday.com/tourist-attraction/meerut/monuments-in-meerut/shahpir.html

RECENT POST

  • सुबह नाश्ते से लेकर शाम की चाय और ‘हाई टी’ पर देखा जा सकता है ब्रिटिश व्यंजनों का प्रभाव
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     26-07-2024 09:32 AM


  • मेरठ के चमेली और सूरजमुखी जैसे गैमोपेटलस पौधों के बारे में कितना जानते हैं, आप?
    बागवानी के पौधे (बागान)

     25-07-2024 09:47 AM


  • अब आप मेरठ में भी उगा सकते हैं, कुछ प्रसिद्ध व सुंदर समुद्र तटीय पौधे
    निवास स्थान

     24-07-2024 09:45 AM


  • अपनी सूंघने की क्षमता की सराहना करें और गंध विकारों से बचें
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     23-07-2024 09:32 AM


  • गुजरात में चालुक्य एवं वाघेला राजवंश के शासन में हिंदू शिल्प ने गढ़े नए कीर्तिमान
    मघ्यकाल के पहले : 1000 ईस्वी से 1450 ईस्वी तक

     22-07-2024 09:40 AM


  • आइए देखें, मेरठ शहर के कुछ पुराने और दुर्लभ चलचित्र
    द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

     21-07-2024 09:04 AM


  • मेरठ में भी मिलेगा सबसे ज्यादा बिकने वाला, मोनोपोली नामक बोर्ड खेल
    हथियार व खिलौने

     20-07-2024 09:20 AM


  • प्रथम विश्व युद्ध में, भारतीय सैनिकों का विभिन्न स्थानों पर योगदान है प्रशंसनीय
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     19-07-2024 09:33 AM


  • जिज्ञासा एवं खोज की देन हैं मानवता की यह सबसे बड़ी चिकित्सा उपलब्धियां
    कीटाणु,एक कोशीय जीव,क्रोमिस्टा, व शैवाल

     18-07-2024 09:43 AM


  • मुहर्रम पर्व पर महत्त्वपूर्ण होते हैं, मेरठ के ‘इमामबाड़ा बुढ़ाना’ जैसे धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-07-2024 09:43 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id