क्या अधिक सर्दी का अर्थ है कि कम हो रही है ग्लोबल वार्मिंग?

मेरठ

 04-01-2020 04:36 AM
जलवायु व ऋतु

शीतलहर का प्रकोप इस समय सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में देखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश के हिमालय के तराई क्षेत्र में बसे हुए महत्वपूर्ण जिले रामपुर में भी ठण्ड का प्रकोप बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है। अगले सप्ताह के मौसम पूर्वानुमान की मानें तो यह सामने आता है कि रामपुर का तापमान करीब 9 डिग्री सेल्सियस तक गिरेगा और यहाँ पर बारिश की संभावना करीब 55% है। ठण्ड के बढ़ते प्रकोप और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का एक जोड़ होता है। इस लेख के माध्यम से हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। इस विषय पर चर्चा करने में सबसे पहला प्रश्न यही है कि ग्लोबल वार्मिंग में तो पृथ्वी का तापमान बढ़ता है तो फिर ठण्ड कैसे ज्यादा पड़ सकती है?

जलवायु का मुख्य मतलब है कि वातावरण किस प्रकार से कार्य करता है और मौसम यह बताता है कि समय के साथ क्या-क्या बदलाव हमें देखने को मिलेंगे। एक ऐसा समय पृथ्वी पर था जब पृथ्वी का एक बड़ा हिस्सा बर्फ में दबा हुआ था जिसे कि हुरोनियन आइस ऐज (Huronian Ice Age) के नाम से जाना जाता था। यह बर्फ की चादर करीब 300 मिलियन साल तक बनी रही थी। 18वीं शताब्दी की औद्योगिक क्रान्ति के बाद मानव गतिविधियों के कारण ग्लोबल वार्मिंग बड़े पैमाने पर उभर कर सामने आई।
ग्लोबल वार्मिंग ने दुनिया के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ पूरे मौसम और जलवायु को तहस-नहस कर देने का कार्य किया। जेट स्ट्रीम (Jet Stream) ठन्डे उत्तरी अक्षांश और शीतोष्ण दक्षिणी अक्षांशों के बीच के तापमान के अंतर का परिणाम है। भूमध्य रेखा की गर्म हवा आर्कटिक की ठंडी हवा से टकरा रही है और यह मौसम में होने वाले बड़े परिवर्तनों को बदल रही है। जेट स्ट्रीम सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा मज़बूत होती है जब उत्तर और दक्षिण के बीच तापमान का अंतर सबसे अधिक होता है। गर्म हवा के बदले यदि देखा जाए तो ठंडी हवा का घनत्व ज्यादा होता है इसीलिए जब तापमान में अंतर अधिक होता है तब इसके घनत्व का भी अंतर अधिक होता है और इससे ठंडी और गर्म हवाओं के बीच प्रतिबंध मज़बूत होता है।

परन्तु जलवायु परिवर्तन उत्तरी और दक्षिणी हवा के बीच के तापमान को कम करता है जिस कारण से जेट स्ट्रीम कमज़ोर हो रहा है। जैसे-जैसे पृथ्वी ग्लोबल वार्मिंग के कारण गर्म हो रही है वैसे-वैसे यह दक्षिणी अक्षांशों के तापमान की ओर बढ़ रहा है। इसके इस प्रकार से बढ़ने के कारण जेट स्ट्रीम की धारा बिगड़ जाती है। इससे आर्कटिक के चारों ओर एक सम छल्ला बनाने के बजाय जेट स्ट्रीम विरोधाभास करने लगती है जिसका परिणाम यह आता है कि विभिन्न इलाकों में ठण्ड का प्रकोप बढ़ने लगता है। भारत में जेट स्ट्रीम की हवाएं हिमालयी क्षेत्रों की ओर बहती हैं जिस कारण से यहाँ का तापमान एक सामान रूप से कार्य करता है लेकिन जब यही हवाएं ग्लोबल वार्मिंग के कारण बदलने लगती हैं तो इसका मतलब यह हो जाता है कि गर्म हवाएं और ठंडी हवाओं के मध्य के तालमेल में बदलाव देखने को मिलता है। यही ताल मेल में हुए बदलावों के कारण ठण्ड इस प्रकार से पड़ती है। इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग असल में जहाँ पृथ्वी को गर्म कर रही है, वहीँ मौसम में तीव्र परिवर्तन करके यह सर्दियों को भी भीषण रूप दे रही है।

संदर्भ:
1.
https://thinkprogress.org/climate-change-making-winter-colder-30871bb3e2b4/
2. https://edition.cnn.com/2019/01/29/weather/global-warming-cold-weather-explainer-wxc-trnd/index.html
3. https://www.nytimes.com/interactive/2019/climate/winter-cold-weather.html

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