भारतीय संविधान में नागरिकों को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गयी है। इसके अंतर्गत वे विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत कर सकते हैं तथा उन पर आपत्ति भी जता सकते हैं। संविधान में उन्हें अपने अधिकारों की मांग करने का भी प्रावधान है। तकनीक और प्रौद्योगिकी के विकास के परिणामस्वरूप वर्तमान में इंटरनेट संचार का मुख्य साधन बन गया है। इंटरनेट के माध्यम से लोग अपने विचारों का प्रेषण करते हैं तथा किसी मुद्दे को लेकर आपत्ति भी व्यक्त करते हैं। क्योंकि समाज डिजिटल दुनिया में बदल गया है इसलिए लोग विभिन्न मुद्दों का विरोध करने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करते हैं किंतु जब यह विरोध सरकार के अनुकूल नहीं होता है तो उस इंटरनेट सामग्री पर पाबंदी लगा दी जाती है। यह प्रक्रिया इंटरनेट सेंसरशिप (internet censorship) कहलाती है जोकि भारत में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा संचालित तथा नियंत्रित की जाती है। यह प्रक्रिया चीन में सबसे आम है जहां जो भी मुद्दा या विरोध आपत्तिजनक होता है उस पर वहां की सरकार द्वारा इंटरनेट सेंसरशिप लगा दी जाती है जिसके परिणामस्वरूप वहां कई सोशियल साइट्स (Social sites) पर पाबंदी लगी हुई है।
पिछले कुछ दिनों में नागरिकता संसोधन विधेयक के संदर्भ में विरोध करने के लिए लोगों द्वारा इंटरनेट का बहुत अधिक इस्तेमाल किया गया जिसे नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इंटरनेट पर पाबंदी लगायी गयी। इस पर चीन ने भारत का समर्थन किया तथा अपनी अव्यवस्था का बचाव करते हुए कहा कि आपातकाल की स्थिति नागरिकों की मानें तो सरकार का यह अभ्यास मान्य नहीं है क्योंकि लोकतांत्रिक देश के संविधान में यह बात कहीं भी नहीं लिखी गयी है। लोकतांत्रिक देश के सभी नागरिकों को विचार और अभिव्यक्ति की पूर्ण रूप से स्वतंत्रता है। हालांकि कुछ परिस्थितियों में यह प्रक्रिया उचित भी है। जिससे इसके फायदें भी हैं और नुकसान भी। तो चलिए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान के बारे में।
इंटरनेट सेंसरशिप की अनुमति देने का लाभ यह है कि ऐसी सामग्री जो हिंसक, अश्लील या खतरनाक होती है, उसे तुरंत अवरुद्ध किया जा सकता है। यह बच्चों को एक गलत मार्ग की ओर अग्रसर होने से रोकने में सहायक है। इंटरनेट सेंसरशिप के जरिए उन सामग्रियों को हटा दिया जाता है जो डरावनी या हानिकारक हो सकती हैं। यह हानिकारक गतिविधियों तक पहुंच को सीमित करता है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा को सकारात्मक प्रभाव प्रदान कर सकता है तथा फर्जी खबरों को रोकता है। इसके विपरीत इंटरनेट सेंसरशिप किसी व्यक्ति की उस सामग्री को देखने की क्षमता पर प्रतिबंध लगाती है जिसे वे देखना चाहते हैं। यह लोगों को विभिन्न जानकारी हासिल करने से रोकता है। यह एक महंगी प्रक्रिया है जोकि अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तक पहुँचने से व्यक्तियों को रोकता है जिससे लोग सत्य से अनभिज्ञ रहते हैं।संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Internet_censorship_in_India
2. https://bit.ly/2PSibch
3. https://bit.ly/2sUrBuC
4. https://vittana.org/13-internet-censorship-pros-and-cons
5. https://bit.ly/2SkDRzs
6. https://bit.ly/397EJgI
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