अफगानिस्तान और भारत का सम्बन्ध प्राचीन काल से है, इसके इतिहास पर यदि नजर डाली जाए तो वह इस प्रकार से है- यदि हम अफगानियों के साथ भारत के सम्बन्ध के सन्दर्भ में देखें तो पता चलता है कि भारत में प्राचीनतम लिखित साक्ष्य भारत में अफगानों का सबसे पहला आगमन 13वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ था। इसे खिलजी वंश से लिया जा सकता है। भारत में दिल्ली के तख़्त तक भी खिलजी वंश पहुंचा और इन्ही में से अल्लाउद्दीन खिलजी था। इसके बाद लोदी साम्राज्य जो भारत में आया अफगानिस्तान की स्थानीय जाती पश्तूनों की ही जनसँख्या थी। लोदीयों ने भारत पर बाबर के आक्रमण काल तक शासन किया। यह वह समय भी था जब भारत और अफगान के मध्य बड़ी संख्या में व्यापार हुआ करता था। सूरी साम्राज्य भी अफगानी ही थे, इनमे शेर शाह सूरी एक बहुत ही बड़े शासक के रूप में जाना जाता है। भारत की प्रथम महामार्ग ग्रांट ट्रंक सड़क (G.T.Road) का निर्माण भी शेर शाह शूरी द्वारा कराया गया था। भारत देश की आजादी के बाद 1979 में जब अफगान, सोवियत युद्ध छिड़ा तो एक बड़ी संख्या में अफगानी जनसँख्या ने भारत की ओर मुख किया जिनमे हिन्दू और सिख अधिक संख्या में थे। वर्तमान काल में एक बड़ी अफगानी आबादी भारत में निवास करती है। हाल में ही अदनान सामी जो की अफगानी मूल के हैं को भारत की नागरिकता मिली। भारत में एक बड़ी आबादी अफगानिस्तान से प्रवास कर के आई है जिसमे हिन्दू, मुस्लिम, सिख आदि हैं। अफगानिस्तान से आई हुयी आबादी में सबसे ज्यादा सिख और हिन्दू माने जाते हैं जो कि उपरोक्त कथन में लिखा जा चुका है। दुनिया भर के प्रत्येक देश में एक कानून का नियमन किया गया है जिसके अनुसार किसी अन्य देश का कोई अन्य नागरिक किसी भी देश में प्रवेश नहीं कर सकता। किसी भी देश में जाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को उस देश से वीजा बनवाना पड़ता है। यह वीजा एक निश्चित समय के लिए उस नागरिक को देश में आने की इजाजत देता है। विभिन्न देशों से कई लोग कुछ समस्याओं या अपने उत्पीडन के चलते भारत में रहने के लिए आ गये। ऐसे लोगों ने अवैध तरीके से देश में प्रवेश किया। इस प्रकार के प्रवेश करने वालों के पास किसी भी प्रकार का कोई भी प्रमाणपत्र नहीं होता है और इन्हीं लोगों को अवैध अप्रवासी विदेशी कहा जाता है।
वर्तमान समय में इंडियन एक्सप्रेस की माने तो भारत में कुल करीब 18000 के करीब अफगानी अप्रवासी निवास करते हैं। इनकी मुख्य भाषा पश्तून ही है। भारत में इनकी आबादी मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर, पंजाब के मालेर कोटला, मियांवाली, बिहार के गया, शेरघाटी, पटना, औरंगाबाद, और सासाराम, तथा उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद, इटावा, शाहजहाँपुर और रामपुर में पायी जाती है। असम, पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में पश्तो भाषी पख्तून निवास करते हैं। एक अन्य कथन के अनुसार उनकी संख्या के विषय में किसी भी प्रकार की कोई प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ की माने तो यह एक लाख से ज्यादा है क्यूंकि 1954 में कश्मीर घाटी में रहने वाले एक लाख से अधिक पख्तूनों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गयी थी। अफगानी रंगीन पोशाक पहनते हैं और अपने साथ तलवार और ढाल भी रखते हैं। किसी भी देश में निवास करने वाले अन्य देश के अवैध नागरिक को उस देश का बनाने या निकालने की प्रक्रिया के कानून को प्राक्रितिकरण कहा जाता है। इस कानून के जरिये ही कोई व्यक्ति उस देश में नागरिकता प्राप्त कर सकता है। प्राक्रितिकरण के नियम प्रत्येक देश में अलग अलग होते हैं। भारत में यह नागरिकता कानून संविधान में वर्णित कथनों के आधार पर चलता है। हमारे देश में यह कानून हमारे संविधान के भाग 2 में अनुच्छेद 5 से 11 तक में निहित है। इस संवैधानिक कानून में कई बदलाव आये हैं जिनमे 1955, 1986, 1992, 2003, 2005, आदि हैं। यह कानून अभी हाल ही में कुछ फेर बदल के साथ आया जो कि इस्लाम छोड़ कर अन्य सभी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने की बात करता है जो की 2014 के पहले के हैं। यह कानून मात्र 3 देशों की जनता के ऊपर बात करता है- 1 पाकिस्तान, 2 अफगानिस्तान, 3, बांग्लादेश।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Afghans_in_India
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Illegal_immigration_to_India
3. https://bit.ly/2PPoi0T
4. https://bit.ly/2Zlm64w
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Naturalization
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.