काफी सेहतमंद होता है मेरठ में पाया जाने वाला गूलर का पेड़

मेरठ

 23-12-2019 12:09 PM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

विश्व में प्रचलित समस्त धर्मों में वृक्षों को पूजनीय दर्जा प्राप्त है, ऐसा कहा जा सकता है कि कोई भी धर्म पेड़ों का निरादर नहीं करता क्योंकि यह स्वच्छ पर्यावरण और पृथ्वी पर प्राणियों के जीवित रहने के लिए आवश्यक है। कई पौधों में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, ऐसे ही गूलर भारत में एक लोकप्रिय औषधीय पौधों में से एक है। इसका उपयोग लंबे समय से मधुमेह, यकृत विकार, दस्त, बवासीर, श्वसन और मूत्र संबंधी रोगों सहित विभिन्न रोगों के लिए भारतीय चिकित्सा पद्धति की प्राचीन चिकित्सा पद्धति “आयुर्वेद” में किया जाता आ रहा है। गूलर का औषधीय रूप से विभिन्न गतिविधियों के लिए अध्ययन किया जाता है जिसमें एंटीडायबिटिक, एंटीपीयरेटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीट्यूसिव, हेपेटोप्रोटेक्टिव और रोगाणुरोधी गतिविधियां शामिल हैं।

मेरठ में भी मुख्य रूप से पाए जाने वाला गूलर का पेड़ मोरेशिया परिवार में पौधे की एक प्रजाति है, जो ऑस्ट्रेलिया, मलेसिया, भारत-चीन और भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी है। इसके अंजीर पेड़ के तने पर या फूलगोभी के रूप में विकसित होते हैं। भारत में इस पेड़ और इसके फल को उत्तर में गूलर और दक्षिण में अटारी कहा जाता है। इस पेड़ का फल आम भारतीय मकाक का पसंदीदा मुख्य फल है। यह पेड़ लगभग 2.5-5 सेंटीमीटर व्यास के एक सबग्लोबोज (subglobose) और पाइरिफ़ॉर्म (pyriform) फल को उत्पन्न करता है। छाल की मोटाई लगभग 8-10 मिमी की होती है। इसकी पत्तियां वैकल्पिक, अण्डाकार की होती हैं जो आकार में 10-14 × 3-7 सेमी हरे रंग की होती हैं।

इस पेड़ का विभिन्न संस्कृतियों में धार्मिक महत्व भी देखा गया है, हिंदू धर्म में, शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, गूलर वृक्ष को इंद्र (जो देवताओं के अधिनायक थे) के बल से बनाया गया था। वहीं अथर्ववेद में, इस गूलर के पेड़ को समृद्धि प्राप्त करने और शत्रुओं को खत्म करने के साधन के रूप में प्रमुखता दी जाती है। साथ ही इक्ष्वाकु वंश के राजा हरिश्चंद्र की कहानी में यह वर्णन किया गया है कि मुकुट को इस गूलर के पेड़ की एक शाखा से बनाया गया था, जिसे सोने के एक चक्र में स्थापित किया गया था। इसके अतिरिक्त, सिंहासन का निर्माण इस पेड़ की लकड़ी से किया गया था। बौद्ध धर्म में, इस पेड़ और इसके फूल दोनों को उडुम्बर के रूप में जाना जाता है। उडुम्बर फूल कमल सूत्र के अध्याय 2 और 27 में वर्णित है, जो एक महत्वपूर्ण महायान बौद्ध ग्रन्थ है। थेरवाद बौद्ध धर्म में, इस पौधे को 26 वें भगवान बुद्ध, कोनागामा द्वारा आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए पेड़ के रूप में उपयोग किया जाता था।

गूलर विभिन्न औषधीय गुणों से भरपूर होता है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद भी होता है। इसमें फाइटोकेमिकल्स (phytochemicals) होते हैं जो रोगों को रोकने और उनको ठीक करने में मदद करते हैं। इसका उपयोग मांसपेशियों में दर्द, फुंसी, फोड़े, कटना, बवासीर आदि के इलाज के लिए किया जाता है। फलों से निकाले गए रस का उपयोग हिचकी के इलाज के रूप में भी किया जाता है।
इसके फलों से कई स्वस्थ्य लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ निम्न दी गए हैं :-
• आरबीसी (RBC) का उत्पादन :-
विटामिन बी 2 को ताजा लाल रक्त कोशिकाओं के साथ-साथ शरीर में प्रतिरक्षी का उत्पादन करने की आवश्यकता होती है जो शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन और परिसंचरण को बढ़ाने में मदद करता है। • रक्ताल्पता होने से बचाता है :- आयरन रक्ताल्पता को ठीक करने में मदद करता है जो कि महिलाओं द्वारा मासिक धर्म या गर्भावस्था के दौरान अनुभव किया जाता है। खोई हुई लाल रक्त कोशिकाओं को नए लाल रक्त कोशिकाओं के साथ प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए, जिसके लिए पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन करना आवश्यक होता है।
• मानसिक कार्य :- आयरन की पर्याप्त मात्रा व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है जो मानसिक और संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद करती है।
• नींद संबंधी विकार :- आयरन अनिद्रा का इलाज करने में मदद करता है और सर्कैडियन (circadian) लय को विनियमित करके नींद की गुणवत्ता और आदतों को बढ़ाता है।
• ऊर्जा का उत्पादन करता है :- कॉपर को एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट संश्लेषण के लिए आवश्यक माना जाता है जो मानव शरीर में ऊर्जा का भंडार करता है।

ऐसा कहा जाता है कि ऊदम्बर वृक्ष की छाल में कुछ रोग को सही करने की शक्ति होती है। भारत में, छाल को पेस्ट बनाने के लिए पानी के साथ पत्थर पर घिस दिया जाता है, जिसे फोड़े या मच्छर के काटने से पीड़ित पर लगाया जा सकता है। पेस्ट को त्वचा पर सूखने दें और कुछ घंटों के बाद दोबारा लगाएं। यह उन लोगों के लिए होता जिनकी त्वचा विशेष रूप से कीड़े के काटने के लिए संवेदनशील होती है, यह एक बहुत ही सरल घरेलू उपाय है। लेकिन किसी भी उपाय को करने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें।

संदर्भ :-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Ficus_racemosa
2. https://www.healthbenefitstimes.com/cluster-figs/
3. https://www.tandfonline.com/doi/full/10.3109/13880200903241861

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id