भारत में मार्क्सवाद और उसकी व्यापकता का दर्शन

मेरठ

 12-12-2019 10:31 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

वर्तमान समय में भारत में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा मार्क्सवादी-लेनिनवादी सिद्धांत का पालन किया जाता है। इस पार्टी का गठन 31 अक्टूबर से 7 नवंबर 1964 तक कलकत्ता में आयोजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सातवीं कांग्रेस में किया गया था। 2018 तक, केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) राज्य सरकार का नेतृत्व कर रही थी और केरल, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, ओडिशा और महाराष्ट्र राज्यों की विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व कर रही थी।

मार्क्सवाद सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण का एक तरीका है जो ऐतिहासिक विकास की भौतिकवादी व्याख्या का उपयोग करके वर्ग संबंधों और सामाजिक संघर्ष को देखता है। यह 19वीं सदी के जर्मन दार्शनिकों कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंजेल्स के कार्यों से उत्पन्न हुआ था। मार्क्सवाद एक ऐतिहासिक भौतिकवाद की पद्धति का उपयोग करता है, जो वर्ग, समाज और विशेष रूप से पूंजीवाद के विकास के साथ-साथ प्रणालीगत आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन में वर्ग संघर्षों की भूमिका का विश्लेषण और आलोचना करता है।

मार्क्सवादी सिद्धांत के अनुसार, पूंजीवादी समाजों में, उत्पीड़ित तथा शोषित सर्वहारा वर्ग के मज़दूर हितों और उन्हें आदेश देने वाले शासक वर्गों के बीच अंतर्विरोधों के कारण वर्ग संघर्ष पैदा होता है। मार्क्सवाद किसी भी समाज के भीतर सामाजिक घटनाओं की व्याख्या करने के लिए आवश्यक भौतिक स्थितियों और मानव सामग्री को पूरा करने के लिए आवश्यक आर्थिक गतिविधियों का विश्लेषण करता है। यह मानता है कि आर्थिक संगठन या उत्पादन का तरीका, व्यापक सामाजिक संबंधों, राजनीतिक संस्थानों, कानूनी प्रणालियों, सांस्कृतिक प्रणालियों, सौंदर्यशास्त्र और विचारधाराओं सहित अन्य सभी सामाजिक घटनाओं को प्रभावित करता है। ये आर्थिक प्रणाली और सामाजिक संबंध आधार और अधिरचना का निर्माण करते हैं।

वहीं भारत में, कार्ल मार्क्स का सिद्धांत गहरे वर्गीय और जातिगत भेदभाव के लिए पर्याप्त प्रासंगिक है। फ्रेडरिक एंजेल्स के साथ उनका प्रसिद्ध कार्य पूंजीवाद के विरोधाभासों पर है। पूंजीवाद की लाभकारी प्रवृत्ति अधिशेष श्रम और अतिउत्पादन को अपरिहार्य बनाती है। इसका मतलब है कि पूंजीवाद आवर्ती संकटों का सामना करता है। भारत में विचारक, सामाजिक सिद्धांतकार और राजनीतिक नेताओं ने दुनिया के अन्य लोगों की तरह ही अधूरे ज्ञान के आधार पर मार्क्स के सिद्धांत को खारिज कर दिया था। मार्क्स के सिद्धांत पर भारतीय विरोधियों की दो तरह की राय है - 1) मार्क्स का सिद्धांत केवल 19वीं शताब्दी के यूरोप के लिए प्रासंगिक था और वर्तमान समय के हालात बहुत अलग हैं; 2) मार्क्स का सिद्धांत अन्य देशों के लिए प्रासंगिक हो सकता है लेकिन भारत में नहीं क्योंकि मार्क्स ने जाति प्रथा के बारे में कभी नहीं लिखा।

लेकिन वास्तविक रूप में कार्ल मार्क्स भारतीय समाज पर जाति के अत्यधिक निंदनीय प्रभाव और उत्पादन के संबंधों के साथ इसके कारण पर ध्यान आकर्षित करने वाले पहले विचारकों में से एक थे। अपने प्रसिद्ध निबंध “द फ्यूचर रिज़ल्ट्स ऑफ ब्रिटिश रूल इन इंडिया” (The Future Results of British Rule in India), में कार्ल मार्क्स ने भारतीय जातियों को भारत की प्रगति और सत्ता के लिए सबसे निर्णायक बाधा के रूप में चित्रित किया। सामाजिक संदर्भ में, मार्क्स ने तर्क दिया कि भारत की जाति व्यवस्था श्रम के वंशानुगत विभाजन पर आधारित थी, जो भारतीय ग्राम समुदाय की अपरिवर्तनीय तकनीकी आधार और निर्वाह अर्थव्यवस्था के साथ अविभाज्य रूप से जुड़ी हुई थी।

दूसरी ओर मार्क्सवाद और सामाजिक अराजकतावाद साम्यवाद के विभिन्न प्रकार के विचारों में से एक है। इन दोनों के आसपास राजनीतिक विचारधाराएं भी शामिल हैं और ये सभी विश्लेषण साझा करते हैं कि समाज का वर्तमान क्रम अपनी आर्थिक प्रणाली, पूंजीवाद से उपजा है। इस प्रणाली में दो प्रमुख सामाजिक वर्ग हैं और इन दो वर्गों के बीच उत्पन्न हुए संघर्ष ही समाज की सभी समस्याओं की जड़ होते हैं। वहीं यह स्थिति अंततः एक सामाजिक क्रांति के माध्यम से हल की जाती है। मार्क्सवाद साम्यवाद को "मामलों की स्थिति" के रूप में स्थापित करने के लिए नहीं बल्कि एक वास्तविक आंदोलन की अभिव्यक्ति के रूप में देखता है, यह उन मापदंडों के साथ है जो वास्तविक जीवन से पूरी तरह से उत्पन्न होते हैं और किसी भी सुजान डिज़ाइन (Design) पर आधारित नहीं हैं।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Marxism
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Communist_Party_of_India_(Marxist)
3. https://www.youthkiawaaz.com/2018/05/marx-resonates-after-200-years/
4. https://bit.ly/36tnFzz
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Communism

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id