मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और मिट्टी के संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए दुनियाभर में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। मेरठ में मुख्यतः समृद्ध रेतीली मिट्टी पाई जाती है, जिसे कृषि के लिए एक आदर्श मिट्टी माना जाता है। इस मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में पानी और पौधों के पोषक तत्वों को संग्रह करने की क्षमता होती है। वहीं मेरठ में कृषि काफी आम है और फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की अच्छी गुणवत्ता सबसे ज़रूरी है। यदि मिट्टी उत्तम नहीं हुई तो फसल की भी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है इसलिए नियमित अंतराल पर मिट्टी की सेहत के बारे में आकलन करने की आवश्यकता है जिससे कि मिट्टी में पहले से ही मौजूद पोषक तत्वों का लाभ उठाते हुए किसान अपेक्षित पोषक तत्वों को भी इसमें सुनिश्चित कर सकें।
मृदा स्वास्थ्य एक ऐसा माप है जो यह सुनिश्चित करता है कि एक मिट्टी अपने पर्यावरण के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों को किस हद तक पूरा करती है और मृदा स्वास्थ्य परीक्षण इस स्थिति का एक आकलन है। मृदा स्वास्थ्य, मृदा जैव विविधता पर निर्भर करता है और मृदा संशोधन के माध्यम से इसमें सुधार किया जा सकता है। विभिन्न मिट्टी में ‘विरासत में मिले’ गुणों के आधार पर और मिट्टी की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर स्वास्थ्य के विभिन्न मानक होते हैं।
वहीं सरकार ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा एक योजना “मृदा सेहत कार्ड” को लागू किया है। मृदा सेहत कार्ड (Soil Health Card) एक मुद्रित रिपोर्ट (Report) है, जिसमें किसानों को उनके खेत की मिट्टी की संपूर्ण जानकारी मुद्रित की हुई होती है। मृदा सेहत कार्ड के तहत प्रत्येक किसान को उसकी मिट्टी के पोषक तत्व की स्थिति के बारे में जानकारी देना और उर्वरकों की खुराक पर सलाह देना और लंबे समय तक मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक मिट्टी के संशोधनों के बारे में बताया जाता है।
इसमें 12 मापदंडों, अर्थात् एन, पी, के (N,P,K) (मैक्रो (Macro) -पोषक तत्व); एस (S) (माध्यमिक- पोषक तत्व); Zn, Fe, Cu, Mn, Bo (सूक्ष्म पोषक तत्व); और पीएच, ईसी, ओसी (pH, EC, OC) (भौतिक मापदंड) के संबंध में मिट्टी की स्थिति के बारे में बताया जाएगा। साथ ही यह खाद के गुण और खेत के लिए आवश्यक मिट्टी संशोधन का भी संकेत देगा। किसान इस कार्ड की मदद से उर्वरकों और उनकी मात्रा का प्रयोग सही तरीके से कर सकेगा और साथ ही यह कार्ड उन्हें मिट्टी में पर्याप्त रूप से संशोधन करने में मदद करेगा। किसानों को यह कार्ड 3 वर्षों में एक बार दिया जाएगा। साथ ही यह अगले तीन वर्षों के लिए प्रदान किए गए कार्ड में पिछले कारकों की वजह से मिट्टी के स्वास्थ्य में आए परिवर्तन को मापने में सक्षम होगा।
जीपीएस (GPS) उपकरणों और राजस्व मानचित्रों की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हेक्टेयर और वर्षा आधारित क्षेत्र में 10 हेक्टेयर की मिट्टी के नमूने लिए जाएंगे। इन नमूनों को एक प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा 15-20 सेमी की गहराई से "वी (V)" आकार में काटकर एकत्र किया जाएगा। नमूनों को खेत के चार कोनों और क्षेत्र के केंद्र से एकत्र करके अच्छी तरह से मिश्रित किया जाएगा और इसका एक हिस्सा नमूने के रूप में उपयोग कर, इसे विश्लेषण के लिए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं किसानों द्वारा राज्य सरकार को प्रति मिट्टी के नमूने का 190 रुपये देना होगा। इसमें किसान की मिट्टी के नमूने के संग्रह, उसके परीक्षण, उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण की लागत शामिल है।
संदर्भ:
1.http://meerut.kvk4.in/district-profile.html
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Soil_health
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Soil_Health_Card_Scheme
4.https://bit.ly/38bRpCD
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