ऊर्जा किसी भी सभ्यता के लिए जीवन अमृत का कार्य करती है। ऊर्जा का उत्पादन विभिन्न श्रोतों द्वारा किया जाता है। बांधों से बिजली उत्पादन, यूरेनियम से उत्पादन, कोयला और सूर्य की ऊष्मा से बिजली का उत्पादन आदि। क्या आपको पता है की समुद्र की लहरों से भी ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है? नहीं?
तो आइये इस लेख में यह जानने की कोशिश करते हैं की आखिर यह होता किस प्रकार से है। समुद्र से जिस तकनिकी से विद्युत् बनायी जाती है उसे ज्वारीय विद्युत् के रूप में जाना जाता है। यह विद्युत् बनाने का एक वैकल्पिक साधन है, वैकल्पिक कहने का मतलब इससे है की इसका प्रयोग अभी व्यापक स्तर पर नहीं किया जा रहा है। ज्वार से उत्पन्न की जाने वाली ऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा की संज्ञा दी जा सकती है।
ज्वार से ऊर्जा बनाना वास्तव में एक खर्चीला विकल्प है और साथ ही यह एक तरह से सीमित भी समुद्र में व्यापक ज्वार की कमी से हो जाता है। ज्वार के वेग की बात करें तो कम ही ऐसे स्थान हैं जहाँ पर बड़ी मात्रा में ज्वार आता है। हांलाकि वर्तमान काल में इस क्षेत्र में अभी भी कार्य चल रहा है जिसका मतलब यह है की भविष्य में इस ऊर्जा का प्रयोग बड़ी संख्या में किया जा सकेगा।
यदि ऐतिहासिक तौर पर बात करें तो वृहत रूप से पहली बार ज्वारीय बिजली फ्रांस के रेंस टाइडल पॉवर स्टेशन पर तैयार की गयी थी जिसे की 1966 में शुरू किया गया था। 2011 में वहीँ दक्षिण कोरिया में भी एक बिजली संयंत्र शुरू किया गया जो की दुनिया का सबसे बड़ा ज्वारीय विद्युत् संयंत्र हो गया। अब भारत के परिपेक्ष्य में इस विद्युत् ऊर्जा के विषय में बात करते हैं। भारत एक विविधिता का देश है यहाँ की तीन तरफ की सीमाएं समुद्र से जुडी हुयी हैं, ये तीनों सीमाएं तीन अलग अलग तटीय क्षेत्र से जुडी हुयी हैं जैसे की अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिन्द महासागर।
इसकी कुल लम्बाई करीब 8000 किलोमीटर से भी अधिक है। भारत में वर्तमान समय में हरित ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा है और इसमें ज्वारीय ऊर्जा प्रमुख है। भारतीय प्रद्योगिक संस्थान चेन्नई द्वारा क्रेडिट रेटिंग फर्म क्रिसिल लिमिटेड के संयुक्त तत्वाधान में किये गए अध्ययन के अनुसार लगभग 8000 मेगावाट की अनुमानित ऊर्जा ज्वार के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। इसी अध्ययन के अनुसार खम्बात की खाड़ी में और कच्छ की कड़ी में 1200 मेगावाट की बिजली उत्पादन की क्षमता है और वहीँ सुंदरबन में गंगा के डेल्टा में 100 मेगावाट की बिजली उत्पादित करने की क्षमता है।
इस ऊर्जा का दोहन यद्यपि एक खर्चीला व्यापार है क्यूंकि प्रति मेगावाट की बिजली उत्पादित करने के लिए यहाँ पर .30 करोड़ से लेकर .60 करोड़ तक का खर्चा है। कई मानकों में यह बड़े उपभोक्ता होने पर लागत में कमी आ सकेगी। अभी हाल ही में 33 करोड़ रूपए की राशि कच्छ में 50 मेगावाट की बिजली संयंत्र लगाने पर मंजूरी मिली थी और यह सफल रहा। अब 200 मेगावाट की बिजली उत्पादन करने की योजना शुरू है।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Tidal_power
2. https://bit.ly/2XyOw9Y
3. https://bit.ly/3368ZnN
4. https://bit.ly/2O9zV1F
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.youtube.com/watch?v=UDCO1ZyBaBA
2. https://www.flickr.com/photos/deccgovuk/12771318925
3. https://bit.ly/2P1aD5h
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