जैन धर्म भारत के प्राचीन धर्मों में से एक प्रमुख धर्म है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व भारत के लिए एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण समय रहा था। यह वह काल था जब भारत भर में दो प्रमुख धर्मों का उदय हुआ और वे धर्म थे बौद्ध और जैन धर्म। कई महान सम्राटों और साम्राज्यों ने इन धर्मों को अपनाया और आगे बढ़ाया, उदाहरण स्वरुप बौद्ध धर्म के लिए सम्राट अशोक को ले सकते हैं और जैन धर्म के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य को ले सकते हैं।
जैन धर्म की जब बात करें तो इस धर्म के अनेकों मंदिरों का निर्माण भारत भर में हुआ जैसे कि ललितपुर, खजुराहो, बाहुबली आदि। ये सभी मंदिर अत्यंत ही प्राचीन हैं और जैन धर्म को एक बड़े स्वरुप में प्रदर्शित करते हैं। मेरठ में भी जैन धर्म के कई मंदिर उपस्थित हैं। उन्हीं मंदिरों में से एक है हस्तिनापुर का दिगंबर जैन मंदिर। जैन धर्म में दो शाखाएं हैं- एक है श्वेताम्बर और दूसरा है दिगंबर। आइये इस मंदिर के वास्तु, इतिहास और महत्ता के बारे में इस लेख के माध्यम से जानते हैं।
इस मंदिर की यदि ऐतिहासिकता के बारे में हम बात करते हैं तो इसकी दो प्रमुख तिथियाँ निकल कर सामने आती हैं। प्रथम तिथि के अनुसार यह मंदिर सन 1174 में बनाया गया था और इसमें उस समय भगवान् शांतिनाथ की 5.11 फीट की प्रतिमा अजमेर के देवपाल सोनी द्वारा स्थापित कराई गयी थी। दूसरी तिथि की बात करें तो श्री दिगंबर जैन मंदिर हस्तिनापुर का सबसे प्राचीन मंदिर है और इसके मुख्य मंदिर का निर्माण राजा हरसुख राय द्वारा सन 1801 में कराया गया था जो कि मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय के खजांची थे। इस मंदिर में मुख्य देवता भगवान् शांतिनाथ हैं जो कि जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर थे। शांतिनाथ की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में प्रदर्शित है और इस मूर्ती की वेदी के दोनों ओर 17वें और 18वें तीर्थंकर श्री कुन्थुनाथ और श्री अरनाथ का अंकन है।
यह मंदिर परिसर विभिन्न जैन तीर्थंकर मंदिरों से भरा हुआ है जो कि एक पूरा मंदिर समूह बनाता है। इन सभी मंदिरों की अगर ऐतिहासिकता की बात करें तो ये सभी मंदिर 20वीं शताब्दी में बनाए गए थे। इस मंदिर परिसर के कुछ प्रमुख स्मारकों की यदि बात की जाए तो इनमें मानस्तंभ जो कि 1955 में बनाया गया था स्थित है। यह स्तम्भ मंदिर के प्रवेशद्वार के बाहर स्थित है और यह कुल 31 फीट ऊँचा है। त्रिमूर्ति मंदिर अगला मंदिर है जो इस परिसर में उपलब्ध है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी की श्री शांतिनाथ भगवान् की मूर्ती को लिए खड़ा है।
इस मंदिर परिसर में नन्दीश्वरद्वीप की रचना की गयी है जिसका निर्माण 1980 में किया गया था। इसके अलावा यहाँ पर अम्बिका देवी का मंदिर है जिसमें अम्बिका की एक प्राचीन मूर्ती उपस्थित है। यह मूर्ती पास की ही एक नहर से प्राप्त की गयी थी। वर्तमान समय में यह मंदिर समूह एक बड़े जैन तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है और यहाँ पर सालाना बड़ी संख्या में श्रद्धालू शीश नावाने आते हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Digamber_Jain_Mandir_Hastinapur
2. https://www.bhaktibharat.com/mandir/jain-bada-mandir
3. http://www.uptourism.gov.in/article/hastinapur
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.