दुनिया भर में अनेकों बीमारियाँ हैं जो की मानव जीवन को कई मायनों में विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालती है और ऐसी ही एक बिमारी है मधुमेह की। आइये इस लेख में हम मधुमेह बिमारी के बारे में, उसके इतिहास के बारे में और उसके इलाज के बारे में बात करते हैं और यह भी जानने की कोशिश करते हैं की आखिर यह बिमारी होती क्या है।
आज 14 नवम्बर है और यह दिन विश्व मधुमेह जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। मधुमेह बिमारी को अंग्रेजी भाषा में डाइबिटीज नाम से जानते हैं। अब जब मधुमेह के इतिहास के बारे में जानना है तो हमें इजिप्ट या मिश्र देश का भ्रमण करना पड़ेगा। मधुमेह के लक्षण वहां पर करीब 1500 ईसा पूर्व में मिले थे जब वहां के चिकित्सक हेसीरा ने एक रहस्यमयी बिमारी का जिक्र किया था जिसमे पेशाब बड़ी ज्यादा बार होता था।
यह भी उस समय के चिकित्सकों ने बताया की ऐसी बिमारी से ग्रसित लोगों द्वारा त्यागे गए मूत्र पर चींटियाँ बड़ी मात्रा में आकर्षित होती हैं। वहीँ करीब 150 इस्वी में यूनानी चिकित्सक अराटुस ने बताया की यह रोग मांस और शरीर के अन्दर के अंगों को पिघलाकर मूत्र के मार्ग से बाहर कर देता है, यह वह दौर था जब से चिकित्सकों को मधुमेह की बिमारी का थोड़ा ज्ञान होना शुरू हुआ। यह एक ऐसी बिमारी थी जिसमे चिकित्सक बीमार व्यक्ति का मूत्र चखकर पता करता था की वह व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है या नहीं। 1675 में एक शब्द मेलिटस मधुमेह में जोड़ा गया जिसका अर्थ था शहद। सन 1800 के दशक में वैज्ञानिकों ने मूत्र में चीनी की स्थिति का पता लगाने का रासायनिक नुस्खा निकाल लिया। शुरूआती दौर में इस बिमारी के इलाज बड़े अटपटे थे जैसे की घुड़सवारी की सलाह देना, यह सलाह इस लिए भी डी जाती थी ताकि व्यक्ति को पेशाब रोकने या करने में राहत मिले। यह 1700 और 1800 का दशक था जब विभिन्न चिकत्सकों ने महसूस किया की इस बिमारी को आहार में परिवर्तन कर के भी रोका जा सकता है ऐसे में उन्होंने रोगियों से कहा की ज्यादा मात्रा में जानवरों का वासा और मांस खाएं और बड़ी मात्रा में शक्कर का भी प्रयोग करें। यह 1870 का दशक था जब फ्रांको-परशियन युद्ध हुआ और उस दौरान फ्रांस के चिकित्सक अपोलिनेयर बुचार्देट ने यह बताया की उन्होंने जिस प्रकार का खाने का आहार विकसित किया है युद्ध का वह मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। कालान्तर में 1900 के दशक में ओट चिकित्सा, आलू चिकित्सा और भुखमरी चिकित्सा आदि प्रकार की चिकित्साएँ उपलब्ध हुआ करती थी। इलियट जोसलिन ने अपनी पुस्तक द ट्रीटमेंट ऑफ़ डाइबिटीज मेलिटस के जरिये इस बिमारी से बचने और इसके उपचार की एक पूर्ण श्रंखला का लेखन किया जिसमे नियमित व्यायाम, संयमित आहार आदि थे। वर्तमान काल में भी इस पद्धति का बड़ी संख्या में चिकित्सक बताते हैं। मधुमेह बिमारी के राम बाण इलाज के रूप में इन्सुलिन का जन्म हुआ, इसके पहले मधुमेह से ग्रसित लोग अपनी मृत्यु के पहले ही मृत्यु को प्राप्त कर जाते थे या यूँ कहें की आसमयिक मृत्यु। कनाडा के ओंटारियो में एक चिकित्सक फ्रेडरिक बैटिंग ने पहली बार सन 1920 में मधुमेह के इलाज के लिए इन्सुलिन के उपयोग की बात करते हैं और शुरूआती दौर पर उन्होंने जानवरों पर इसका प्रयोग किया। बैटिंग और उनकी टीम ने सन 1922 में एक मधुमेह रोगी का सफलतम इलाज किया और इस खोज की वजह से उनको नोबल पुरष्कार भी मिला।सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2Kl9hRk
2. https://www.endocrineweb.com/conditions/type-1-diabetes/what-insulin
3. https://www.healthline.com/nutrition/16-best-foods-for-diabetics#section6
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Diabetes#History
5. https://bit.ly/32Lswdh
6. https://bit.ly/2rIAvLg
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