ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस कंपनियों की क्षमता को सीमित करती है विदेशी निवेश नीति

मेरठ

 08-11-2019 11:34 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

ई-कामर्स (Ecommerce) एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए विभिन्न वस्तुएं लोगों को ऑनलाईन (Online) उपलब्ध करवायी जाती हैं। जहां पहले भौतिक वस्तुएं खरीदने के लिए लम्बी लाईनों में लगना पडता था तो वहीं अब ये वस्तुएं आसानी से ई-कामर्स साईटों पर उपलब्ध हो जाती हैं। ई-कामर्स के जरिए वस्तुएं खरीदने से खरीदारी करने में लगने वाले समय तथा पैसे दोनों की बचत होती है। क्योंकि इन साईटों से आसानी से कम समय में और कम दाम में वस्तुएं प्राप्त की जा सकती हैं। भारत के दो सबसे बड़े ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस (Marketplace) वॉलमार्ट (Walmart) के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट (Flipkart) और अमेजन (Amazon) हैं जहां से बहुत बडी संख्या में लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुएं जैसे इलेक्ट्रोनिक्स, परिधान इत्यादि खरीदे जाते हैं। ई-कामर्स द्वारा अक्सर त्यौहारों और किसी विशेष समय पर वस्तुओं के मूल्य में भारी छूट दी जाती है जिससे लोग आकर्षित होते हैं तथा कम समय और कम पैसे में बहुत सी वस्तुओं को खरीद लेते हैं। इनके द्वारा मेम्बरशिप (membership) जैसी सेवाएं भी उपलब्ध करवायी जाती हैं जिनका हिस्सा बन जाने से प्रत्येक वस्तु के वास्तविक मूल्य में छूट प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त होम डिलीवरी (Home delivery) भी इनकी विशेषता होती है, जो लोगों को ऑनलाईन मार्केट की तरफ आकर्षित करती है।

ई-कॉमर्स का मानना है कि इस तरह की छूट का दिया जाना वस्तुओं के उपभोग और मांग को प्रोत्साहित करता है। भारत में कार्यरत तीन प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियां- फ्लिपकार्ट, अमेजन और स्नैपडील (snapdeal) सभी मार्केटप्लेस के रूप में काम करती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि भारतीय कानून प्रत्यक्ष रूप से ग्राहकों को बेचने वाले ई-कॉमर्स साइटों में (एफडीआई) की अनुमति नहीं देता है, लेकिन इसे उन विक्रेताओं और खरीदारों को जोड़ने वाले बाजारों में कार्य करने की अनुमति देता है। मार्केटप्लेस भुगतान, भंडारण और वितरण जैसी सेवाएं भी प्रदान करता है। किंतु पिछले कुछ समय में यह देखा गया है कि वस्तुओं के वास्तविक मूल्य पर दी जाने वाली छूट अब कहीं गायब सी होने लगी है। इन वस्तुओं को अब उसके वास्तविक मूल्य के अनुरूप ही बेचा जा रहा है। हालांकि यह छूट बाजार में बिकने वाले निजी लेबल (label) उत्पादों पर अधिक हो सकती है। इसका मुख्य कारण ई-कॉमर्स के लिए संशोधित विदेशी निवेश नीति का प्रभावी होना है।

ऑनलाइन मार्केटप्लेस अब लाभप्रदता को परिपक्व और लक्षित कर रहे हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा वस्तुओं पर दी जाने वाली छूट को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार द्वारा ई-कॉमर्स नीति का मसौदा तैयार किया गया है, जो ऑनलाइन उपलब्ध वस्तुओं पर दी जाने वाली छूट का समर्थन नहीं करता है। ई-कॉमर्स नीति का मसौदा कई रणनीतियों की सिफारिश करता है जिसका उद्देश्य ऑनलाइन कीमतों को विनियमित करना तथा कंपनियों द्वारा गहरी छूट देने की क्षमता को प्रतिबंधित करना है। एक अन्य रणनीति का उद्देश्य माल की कीमतों को प्रभावित करने के लिए ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस कंपनियों की क्षमता को सीमित करना है। सरकार का मानना है कि, ऑनलाईन कम्पनियों द्वारा दी जाने वाली गहरी छूट ने स्थानीय खुदरा विक्रेताओं को नुकसान पहुंचाया है। अनुचित छूट के कारण बाजार में असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। ई-कॉमर्स नीति के मसौदे का मुख्य उद्देश्य घरेलू नवाचार को प्रोत्साहित करने, घरेलू डिजिटल (Digital) अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और प्रमुख तथा संभावित गैर-प्रतिस्पर्धी के साथ अपनी सही जगह खोजने के लिए भविष्य में उचित नीतियों के कार्यान्वयन हेतु सभी को एक स्तर पर लाना है। वस्तुओं पर दी जाने वाली गहरी छूट कुछ व्यवसायों को अविश्वसनीय बना सकती है।

हालांकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (Platform), जैसे कि अमेजन और फ्लिपकार्ट ने उसके बाद भी कई त्यौहार अवधियों में वस्तुओं पर छूट देने की पेशकश की किंतु व्यापारियों के निकायों ने इसका विरोध किया क्योंकि लम्बे समय तक ऐसा करने से उनके व्यवसाय अस्थिर हो सकते हैं। इसलिए सरकार द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और छोटे व्यवसायों दोनों के हितों को संतुलित करने का प्रयास किया जा रहा है। चूंकि प्रत्यक्ष खुदरा पर प्रतिबंध लगाया गया है, इसलिए बाज़ारियों को अपने प्लेटफार्मों पर विक्रेताओं के उत्पाद की कीमतों पर नियंत्रण रखने की अनुमति नहीं है, जिसमें छूट के मामले भी शामिल हैं। त्यौहारी मौसम में वस्तुओं की मांग बहुत अधिक होती है किंतु वास्तविक मूल्य में छूट के अभाव में इस वर्ष मांग बहुत कम थी जिस कारण इनका उत्पादन 50% नीचे गिरा।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/2WUedli
2. https://bit.ly/2oVmZCY
3. https://bit.ly/33mlsEY
4. https://bit.ly/36Ii8Gr
5. https://bit.ly/2NIhG29

RECENT POST

  • भारत के 6 करोड़ से अधिक संघर्षरत दृष्टिहीनों की मदद, कैसे की जा सकती है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:29 AM


  • आइए, समझते हैं, मंगर बानी और पचमढ़ी की शिला चित्रकला और इनके ऐतिहासिक मूल्यों को
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:24 AM


  • बेहद प्राचीन है, आंतरिक डिज़ाइन और धुर्री गलीचे का इतिहास
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:36 AM


  • विविधता और आश्चर्य से भरी प्रकृति की सबसे आकर्षक प्रक्रियाओं में से एक है जानवरों का जन्म
    शारीरिक

     01-01-2025 09:25 AM


  • क्या है, वैदिक दर्शन में बताई गई मृत्यु की अवधारणा और कैसे जुड़ी है ये पहले श्लोक से ?
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     31-12-2024 09:33 AM


  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM


  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id