स्वास्थ सुखी तो जग सुखी और स्वास्थ खराब तो सारा जग खराब। हमारे जीवन में यह कथन उतना ही औचित्य रखता है जितना कि समंदर में जल। पूरा विश्व आज विभिन्न प्रकार के प्रयोगों को दिन प्रति दिन कर रहा है और करे भी क्यूँ ना? जब स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं बढ़ने लगें और पर्यावरण से लेकर जल तक दूषित होने लगे तो रोजाना नयी बीमारियाँ पैदा होंगी ही। ऐसे में स्वास्थ सेवाओं का बढ़ना और उनमे नए प्रयोगों को होना लाज़मी है।
एक शब्द है यूनिवर्सल हेल्थ केयर यह संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़ कर पूरे विश्व भर में फैला हुआ है। डब्लु एच ओ के तमाम प्रयाशों के बावजूद भी यदि भारत को देखा जाए तो यह अपने लक्ष्य जिसे की 2022 तक रखा गया है से बहुत दूर खड़ा है। वर्तमान काल में भारत भर में ज्यादातर स्वास्थ सेवायें निजी कंपनियों द्वारा चालित हैं और ये अत्यंत महंगी है। आइये इस लेख के माध्यम से इन सभी अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं की आखिर भारत का स्वास्थ व्यवस्था किस स्थान पर खड़ा है।
यूनिवर्सल हेल्थ केयर एक बहुत ही व्यापक धारणा है जिसे कई प्रकारों से विभिन्न देशों में लागू किया गया है। इस प्रकार की योजना का मतलब यह है की सरकारी रूप से स्वास्थ की देखभाल और उसको व्यापक तरीके से फैलाना तथा इलाज का न्यूनतम मानक तय करना है। यह विभिन्न लोगों के आधार पर निर्धारित की जाती है की किसे और किस आधार पर इसका फायदा पहुंचे। यह विभिन्न देशों के हिसाब से बदलता है। इसमें कुछ कार्यक्रमों को कर राजस्व से पूर्ण रूप से बाहर रखा जाता है और दूसरे कार्यक्रम में कर राजस्व का प्रयोग करके बहुत गरीब लोगों का बीमा किया जाता है या लम्बी समय तक आसक्त लोगों के लिए किया जाता है। इंग्लैंड या यूनाइटेड नेशन में सरकारी भागीदारी में स्वास्थ के देखभाल का सीधा तरीका अक्तियार किया जाता है। और वहीँ कई देशों में सरकारी और निजी दोनों प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है। यूनिवर्सल हेल्थ केयर एक ऐसी धारण है जो की देश में रहने वाले तमाम लोगों के साथ भेदभाव न करते हुए सबको सामान्य स्वास्थ सेवाओं को प्रदान करता है।
यह प्रत्येक देश का दायित्व है की वह अपने तमाम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ देखभाल सेवाओं को मुफ्त और विस्तृत रूप से पहुंचाए। भारत दुनिया के उन देशों में से है जहाँ बीमारियों का एक बड़ा बोझ है। जिनेवा में हुयी विश्व स्वस्थ की 65वीं सभा में सार्वभौम स्वास्थ पहुँच (यूएचसी) में उन देशों को इंगित किया गया जहाँ पर स्वास्थ सेवाओं की अत्यंत आवश्यकता थी। इसी के अनुसार भारत के योजना आयोग ने अक्टूबर 2010 में यू एच सी पर एक बैठक का गठन किया और उसे एच एल इ जी के नाम से जाना गया। एच एल इ जी ने भारत के लिए यू एच सी पर योजना आयोग को 2022 तक के लिए नवम्बर 2011 के अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें लोगों तक दवाइयों की पहुँच, स्वास्थ क्षेत्र में विस्तार आदि शामिल हैं।
भारत 2022 तक यूएचसी को प्राप्त करने के लिए भारी चुनौतियों का सामना कर रहा है जैसे कि उच्च रोग प्रसार, लैंगिक समानता के मुद्दे, अनियमित और खंडित स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणाली, पर्याप्त कुशल मानव संसाधन की अनुपलब्धता, स्वास्थ्य के विशाल सामाजिक निर्धारक, अपर्याप्त वित्त, अंतर की कमी -सेंसरल समन्वय और विभिन्न राजनीतिक खींचतान और विभिन्न ताकतों आदि का। इन तमाम बिन्दुओं से यह एक अत्यंत ही कठिन सफ़र हो गया है। यदि यूनिवर्सल हेल्थ केयर का पूर्ण रूप से प्रतिपादन कर दिया जाये तो भारत में अनेकों समस्याओं का हल आसानी से निकाला जा सकेगा।
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_countries_with_universal_health_care
2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3714944/
3. https://www.thebalance.com/universal-health-care-4156211
चित्र सन्दर्भ:
1. https://pixabay.com/photos/woman-person-desktop-work-aerial-3187087/
2. https://pixabay.com/photos/thermometer-headache-pain-pills-1539191/
3. https://cdn.pixabay.com/photo/2017/12/07/03/51/anatomy-3003099_960_720.jpg
4. https://cdn.pixabay.com/photo/2017/01/04/19/29/blood-pressure-monitor-1952924_960_720.jpg
5. https://bit.ly/36Fk0j6
6. https://bit.ly/2pKWVuD
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