पृथ्वी पर कई ऐसी प्राकृतिक घटनाएं हैं जो अपने आप में बहुत विस्मयकारी तथा घातक हैं। इनमें से एक प्राकृतिक घटना ज्वालामुखी फटने की भी है जो दूर से दिखने में जितनी आकर्षक लगती है उतनी ही घातक भी है। भूपटल पर कई ऐसे प्राकृतिक छिद्र मौजूद हैं जहां से पृथ्वी के भूगर्भीय पिघले हुए पदार्थ लावा (Lava), राख, जलवाष्प, गैस इत्यादि के रूप में बहुत तीव्र गति से बाहर निकलते हैं। इनके इस प्रकार बाहर निकलने या विस्फोटित होने की प्रक्रिया को ज्वालामुखी का फटना कहा जाता है। दूसरे शब्दों में ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं। ज्वालामुखी द्वारा निरंतर इन पदार्थों के जमा हो जाने से एक शंक्वाकार स्थल निर्मित होता है जिसे ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है।
भू-आकृति विज्ञान के अनुसार ज्वालामुखी फटना एक आकस्मिक घटना है। पर्यावरण भूगोल द्वारा इनका वर्गीकरण प्राकृतिक आपदा के रूप में किया गया है क्योंकि इससे पारितंत्र और जान-माल का भारी नुकसान होता है। ज्वालामुखी प्रायः तीन प्रकार के होते हैं जिन्हें क्रमशः सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी, मृत ज्वालामुखी तथा प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी कहा जाता है। सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी वे ज्वालामुखी होते हैं जिनके वर्तमान में या जल्द ही फटने की आशंका या सम्भावना होती है या फिर उसमें गैस रिसने, धुआँ या लावा उगलने, या भूकम्प आने जैसे सक्रियता के चिह्न दिखाई देते हों तो उसे सक्रिय माना जाता है। भारत में एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी, बैरन आइलैंड (Barren Island) है, जो एक बार फटने के लगभग 150 साल बाद पुनः विस्फोटित हुआ। वहीं दूसरी ओर मृत ज्वालामुखी वे ज्वालामुखी हैं जिनके भविष्य में फटने की सम्भावना नहीं होती है। इनके अन्दर लावा व मैग्मा (Magma) ख़त्म हो चुका होता है, जिस कारण इनके फटने की सम्भावना प्रायः नहीं होती है। फिलीपीन (Philippine) सागर में क्यूशू-पलाऊ रिज (Kyushu-Palau Ridge), पेरू में हुआस्करन (Huascarán) तथा ऑस्ट्रेलिया में माउंट ब्यूनिन्यौन्ग (Mount Buninyong) मृत ज्वालामुखी के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी, मृत ज्वालामुखी के समान ही होते हैं किंतु यह नहीं कहा जा सकता है कि ये कभी फटेंगे नहीं। बहुत से ऐसे ज्वालामुखी हैं जो एक बार फटने के बाद लाखों साल बाद फिर से विस्फ़ोटित होते हैं। इस बीच ये ज्वालामुखी सुप्तावस्था में होते हैं।
पृथ्वी पर ज्वालामुखी इसलिए फटते हैं क्योंकि इसकी पपड़ी 17 बड़ी, कठोर टेक्टोनिक प्लेटों (Tectonic plates) में टूट जाती है, जो अपने मेंटल (Mantle) में एक गर्म, नरम परत पर तैरती है। इसलिए, पृथ्वी पर, ज्वालामुखी आमतौर पर ऐसी जगह पाये जाते हैं जहां टेक्टोनिक प्लेट्स का विचलन या अभिसरण होता है।
भारत में पाये जाने वाले प्रमुख ज्वालामुखी बैरन आइलैंड, नारकोंडाम, डेक्कन ट्रेप्स (Deccan Traps), बारातांग, धिनोधार पहाडियां, धोसी (Dhosi) पहाडियां आदि हैं।
ज्वालामुखी को आपदा की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि इनके फटने के साथ ही अपार जान-माल का नुकसान होता है। इसका लावा किसी भी प्राणी को खत्म करने के लिए पर्याप्त होता है। अतः इसके आस-पास रहने वाले लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है जोकि निम्नलिखित हैं:
• अपने आप को ज्वालामुखी की राख और लावे से बचाने के लिए दरवाज़े, खिड़कियां बंद रखने चाहिए और घर के अंदर ही रहना चाहिए।
• यदि किसी को श्वसन संबंधी बीमारी है, तो ज्वालामुखी की राख या लावे के संपर्क से बचना चाहिए।
• नवीनतम आपातकालीन सूचना के लिए बैटरी (Battery) चालित रेडियो (Radio) या टेलीविज़न (Television) सुनना चाहिए।
• लंबी बाज़ू की कमीज़ और लंबी पतलून पहनें।
• आंखों को सुरक्षित रखने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए।
• सांस लेने में मदद के लिए मास्क (Mask) का प्रयोग करें तथा अपने चेहरे को एक नम कपड़े से ढकें।
• ज्वालामुखी से बचने के लिए ज्वालामुखी क्षेत्रों से दूर रहें।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_volcanoes_in_India
2.https://bit.ly/2NtxdCM?
3.https://bit.ly/2N6rSCr
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Volcano
5.http://volcano101.weebly.com/extinct-volcanoes.html
6.http://nemo.gov.vc/nemo/index.php/hazards/volcanoes/285-what-to-do-during-a-volcanic-eruption
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