क्या हमने कभी सोचा है कि हम इस पृथ्वी पर बचे हुए आखिरी मानव हैं? मनुष्य इस पृथ्वी पर आने वाला एक नया जीव है जोकि अभी हाल ही में पृथ्वी पर विकसित हुआ। आज के वर्तमान मनुष्य के अलावा भी कई अन्य मनुष्य प्रजातियाँ इस पृथ्वी पर आयीं और विलुप्त हो गयीं। प्रत्येक के विलुप्त होने के साथ साथ एक नयी प्रजाति ने जन्म लिया। आइये जानते हैं की आखिर वे कौन सी प्रजातियाँ थी जो विकसित और विलुप्त हुयी और हम क्यूँ आखिरी मानवों की श्रेणी में आते हैं?
प्रथम बिंदु यह है कि हम आखिरी बचे इंसान क्यूँ हैं? दो पुरातत्त्वविदों ने यह तर्क दिया है कि पृथ्वी पर मात्र एक ही नस्ल के मानवों का निवास करना कोई इतर बात नहीं है यह होमो सेपियन्स के अत्यंत ही कठिन परिस्थितियों में रहने की क्षमता के कारण संभव हो पाया है, और यही कारण है की मनुष्य की अन्य नस्लों के इतर होमो सेपियन्स इस पृथ्वी पर बनी हुयी है। होमो सेपियन्स वह मानव नस्ल है जोकि कठिन से भी कठिन परिस्थिति में रह सकती है। आज वर्तमान जगत में हम कुल 7.5 बिलियन की संख्या में इस पृथ्वी के प्रत्येक पारिस्थितिकी तंत्र में निवास कर रहे हैं। यदि हम मनुष्यों की तुलना जीवों के वंशों से करें तो यह बहुत ही सीमित है अगर इस विषय में देखा जाए तो हमारा जीन होमो है जिसमें अभी तक सिर्फ 6 और नस्ल ही पैदा हुयी हैं और ये ऐसे हैं जिनके बारे में हम जानते हैं। एक एक करके हमारे तमाम पूर्वज विलुप्त होते गए। आज से तकरीबन 30,000 वर्ष पहले हमारा पिछला पूर्वज निएंडरथल विलुप्त हुआ।
मनुष्यों के पूर्वजों जैसे की एरेक्टस, निएंडरथल, होबलिस, नेलेडी आदि का जन्म अफ्रीका में हुआ और ये यायावरी जीवन जीते हुए विभिन्न स्थानों पर पहुचे। ये चित्रकारी से लेकर शिकार आदि तक किया करते थे। मौसम में परिवर्तन और प्रत्येक स्थान पर जीने की परंपरा दोनों ही मानव मानव नस्लों के खात्मे और जीवन को नए तौर से जीने के साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं। मनुष्य का पहला पूर्वज अफ्रीका में करीब 2 मिलियन साल पहले दिखाई दिया था जो की होमो एर्गास्टर था। यह मानव औजार बनाना जानता था और साथ ही साथ इसके हड्डियों के साक्ष्यों से पता चला है की यह एक कुशल धावक भी था। यह भी समझना जरूरी है की वह पहला मानव कौन था जो अपने निवास स्थान से बाहर निकला। ऐसे में विभिन्न साक्ष्यों से पता चलता है की पहला मानव जोकि अफ्रीका के बाहर निकला था वह था होमो एर्गास्टर। यही मानव अफ्रिका से निकल कर एशिया में आया और यहाँ पर निवास करना शुरू किया था। एशिया में ही और भी विकसित होने के साथ साथ ये मानव होमो एरेक्टस के नाम से जाने गए। यह नाम इनको इसलिए भी मिला क्युकि ये सीधे खड़े होने में सक्षम थे। इसी प्रकार से एक नयी नस्ल का जन्म होता गया और पुरानी नस्ल गायब होती गई और आखिरी में बचे हम।
अनुमानत: हम इस पृथ्वी पर बचे आखिरी इंसान हैं तो हमारे कुछ कर्त्तव्य हैं जिनका हमें निर्वहन करना चाहिए। हमारी आने वाली नयी नस्ल के लिए अत्यंत ही छुद्र कारक बचे हुए हैं और जिस प्रकार से संसार को नष्ट करने पर हम आमदा हैं, इससे हमारी आने वाली पीढ़ी को जीवन जीना नामुमिकन हो जायेगा। हमें इस पर्यावरण को संरक्षित करने को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता है और इसके प्रति सजग और ठोस कदम उठाने की भी। आपस में लड़ना छोड़ कर हमें एक साथ आगे बढ़ने की भी प्रेरणा लेना चाहिए।
सन्दर्भ:-
1. https://bbc.in/2NcstBq
2. https://www.bbc.com/news/science-environment-13874671
3. https://bit.ly/32LbpJp
4. https://bit.ly/2Jle3gW
5. https://bit.ly/2PkE18i
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