बड़ी तेज़ी से बन रहा है शहरों के मध्य पौरमंडल

मेरठ

 23-10-2019 01:20 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

पौरमंडल एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसमें कई शहर, नगर व अन्य शहरी क्षेत्र, जनसंख्या वृद्धि और भौतिक विस्तार के माध्यम से एक निरंतर शहरी या औद्योगिक रूप से विकसित क्षेत्र के रूप में विलय करते हैं। अधिकांश पौरमंडलों में कई केन्द्रीय क्षेत्र होते हैं जिनके बीच यातायात बहुत विकसित हो चुका होता है। आर्थिक रूप से ये एक-दूसरे से पूरी तरह जुड़ चुके होते हैं और लोग कार्य व आवास के लिए इनके बीच नियमित अभिगमन करते हैं।

पैट्रिक गेडेस ने अपनी पुस्तक ‘सिटीज़ इन इवोल्यूशन’ (Cities In Evolution (1915)) में पौरमंडल शब्द का उल्लेख किया था। उन्होंने विद्युत शक्ति और मोटर (Motor) चालित परिवहन की तत्कालीन नई तकनीक की क्षमता पर ध्यान आकर्षित किया और शहरों को एक साथ विलय होने की अनुमति दी। उन्होंने इंग्लैंड में "मिडलैंडटन", जर्मनी में रूहर, नीदरलैंड में रैंडस्टैड, और संयुक्त राज्य अमरीका में उत्तरी जर्सी जैसे उदाहरण भी दिए थे।

भारत में, पौरमंडल का घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर, बनाए हुए क्षेत्र का प्रतिशत, जनसंख्या प्रतिशत में भिन्नता, शहरी समुदय में शहरों की संख्या और चलित कारखानों के समग्र सूचकांक पर विचार करने के बाद निर्धारित किया जाता है। कोलकाता, मुंबई और चेन्नई को लंबे समय से पौरमंडल के रूप में पहचाना जाता है। दिल्ली और आस-पास के कस्बों और शहरों सहित एक विशाल पौरमंडल विकसित हो रहा है। वहीं मेरठ 33वाँ सबसे अधिक आबादी वाला शहरी समुदाय है और भारत का 26वाँ सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। 2006 में मेरठ 292 वें स्थान पर था और 2020 तक इसकी विश्व के सबसे बड़े शहरों और शहरी क्षेत्रों की सूची में 242 वें स्थान पर आने की संभावना है। मेरठ की बढ़ती आबादी देखते हुए इसे पौरमंडल शहरीकरण में वर्गित किया जा सकता है।

पौरमंडल की विशेषताओं को निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है :-
1)
एक पौरमंडल एक निरंतर निर्मित क्षेत्र है लेकिन इसमें रिबन (Ribbon) विकास शामिल नहीं है। यह भी जरूरी नहीं कि निर्मित क्षेत्र को मुख्य निर्मित क्षेत्र से संकीर्ण ग्रामीण भूमि द्वारा अलग किया जाए, जिससे यह अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हो।
2) एक पौरमंडल उच्च जनसंख्या घनत्व को दिखाता है। इसकी आबादी आसपास के शहरों की तुलना में बहुत अधिक होती है।
3) एक पौरमंडल में विभिन्न विविध उद्योग चल रहे हैं जो श्रम, उत्कृष्ट परिवहन, आदि के भंडार पर निर्भर करते हैं।
4) पौरमंडल में वित्तीय व्यक्तित्व होता है जो स्तर में भिन्न होता है।

भारत और विश्व के अन्य हिस्सों में पौरमंडल काफी तेज़ दर से बढ़ रहा है, जो एक चिंता का कारण बन गया है। उन्मत्त विकास के परिणामस्वरूप समुचित अवसंरचनात्मक सुविधाएं और नागरिक सुविधाएं संपूर्ण जनसंख्या की ज़रूरतों की पूर्ति करने में सक्षम नहीं होती है। जिससे शहरी झुग्गी-झोपड़ियों और गरीबी, बेरोज़गारी, असुरक्षा और अपराध में वृद्धि हुई है और पूरे क्षेत्र का कुशल प्रशासन एक समस्या बना हुआ है।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Conurbation
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Urbanization#Dominant_conurbation
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Conurbation#India
4.https://bit.ly/2p9b8kc

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