प्लास्टिक प्रदूषण ले रहा है समुद्री जीवन की जान

मेरठ

 18-10-2019 11:04 AM
समुद्र

वर्तमान में प्रदूषण की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है। प्रदूषण जहां पर्यावरण को दूषित करता है तो वहीं जीवों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। यदि प्लास्टिक (Plastic) प्रदूषण की बात की जाए तो यह समस्या विश्व में अपने चरम पर है। हम अपने दैनिक जीवन में विभिन्न भौतिक उत्पादों का प्रयोग करते हैं जिनकी पैकिंग (Packing) प्रायः प्लास्टिक की होती है। ठीक से निस्तांतरण न होने के कारण यह हमारे पर्यावरण में चारों ओर फैल गयी है और वायु, मृदा, पानी जैसे अनेक पहलुओं को प्रभावित कर रही है। इसके परिणाम स्वरूप हमारे महासागरों और समुद्र तटों पर जमा होने वाला प्लास्टिक एक वैश्विक संकट बन गया है और समुद्र की सतह का लगभग 40% हिस्सा प्लास्टिक से भर गया है।

प्लास्टिक प्रदूषण का वन्यजीवों पर सीधा और घातक प्रभाव पड़ता है। हर साल हज़ारों समुद्री पक्षी, समुद्री कछुए और अन्य समुद्री स्तनधारी प्लास्टिक के मुंह में फंस जाने या निगलने के कारण मर जाते हैं। कई प्रजातियां जो अब लुप्तप्राय हो रही हैं प्लास्टिक को निगलने के कारण ही मर रही हैं। अध्ययनों के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया के महासागरों में लगभग 15-51 खरब प्लास्टिक इकठ्ठा हो चुका है। यह क्षेत्र भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक तथा आर्कटिक से लेकर समुद्र तल तक फैला हुआ है जहां प्लास्टिक पाया गया है। विभिन्न उद्योगों में प्लास्टिकों को जलाकर निकलने वाला धुंआ भी महासागरों को विषाक्त करने का काम कर रहा है।

अब तक सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा प्रशांत महासागर में पाया गया है। उत्तर-मध्य प्रशांत महासागर में दुनिया का सबसे बड़ा प्लास्टिक कचरा संचित है। इस प्लास्टिक को खाने से हज़ारों जीव मौत की चपेट में आ जाते हैं। अनुमान है कि उत्तरी प्रशांत में मछलियां हर साल 12,000 से 24,000 टन प्लास्टिक निगलती हैं, जो उनकी आंतों में घाव और फिर मौत का कारण बन सकती है। इससे इन जीव-जन्तुओं में खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार कैलिफ़ोर्निया के बाज़ार की एक चौथाई मछलियों के कण्ठों में प्लास्टिक पाया गया था जिसमें ज्यादातर प्लास्टिक माइक्रोफाइबर (Microfiber) के रूप में था। नए अध्ययनों से पता चला है कि कई समुद्र तटों पर प्लास्टिक प्रदूषण इतना व्याप्त हो गया है कि इसका असर उनके प्रजनन पर भी पड़ रहा है। यह प्लास्टिक केवल समुद्र के किनारों पर ही नहीं बल्कि इनके गहरे तल पर भी पाया गया है। समुद्र तल के 35,849 फीट नीचे भी गोताखोरों ने प्लास्टिक का कचरा पाया है।

वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए हमें तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है जिसके लिए व्यक्तिगत रूप से उठाए गये कदम लाभकारी हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ बातों का अनुसरण करके इस समस्या का समाधान किया जा सकता है:
• हम अक्सर अपनी दैनिक दिनचर्या में प्लास्टिक की बोतलें, कप (Cup), बर्तन, बैग आदि का एक बार उपयोग करते हैं और फिर इन्हें फेंक देते हैं। ऐसा करने से ज़रा सोचिए कि कितना प्लास्टिक कचरा इकठ्ठा होता होगा। अतः ऐसे सामान का उपयोग किया जाना चाहिए जिसे बार-बार प्रयोग में लाया जा सके।
• प्लास्टिक का पुनर्चक्रण एक प्रभावी उपाय हो सकता है जिसमें फेंकी गयी प्लास्टिक का पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है। वर्तमान में, दुनिया भर में सिर्फ 9% प्लास्टिक का पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। इसका व्यापक उपयोग बहुत प्रभावी हो सकता है।
• समुद्र तटों या नदियों की सफाई में भाग लेने से यहां इकठ्ठा कचरे को साफ किया जा सकता है। यह समुद्र के प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने का सबसे प्रत्यक्ष और पुरस्कृत तरीका है। आप बस समुद्र तट या जलमार्ग पर जाएं और अपने दोस्तों या परिवार के साथ प्लास्टिक कचरे को एकत्र करें। आप इससे जुड़े अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी शामिल हो सकते हैं।
• दुनिया भर में कई नगर पालिकाओं और संस्थाओं ने एकल उपयोग प्लास्टिक जैसे बैग, बोतलें, डब्बे इत्यादि पर प्रतिबंध लगाया है। आप अपने समुदाय में ऐसी नीतियों को अपनाने का समर्थन कर सकते हैं।
• बारीक प्लास्टिक के कण, जिन्हें "माइक्रोबीड्स" (Microbeads) कहा जाता है, समुद्र के प्लास्टिक प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत बन गए हैं। ये प्रायः चेहरे के स्क्रब (Scrub), दंतमंजन, बॉडीवॉश (Bodywash) इत्यादि में पाए जाते हैं तथा हमारे जल निकास मार्ग के माध्यम से आसानी से महासागरों और जलमार्गों में पहुंच जाते हैं। इसलिए ऐसे उत्पादों को खरीदने से बचें जिनमें माइक्रोबीड्स पाए जाते हैं।
• प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूक रहें तथा दूसरों को भी इस समस्या से अवगत कराएं। अपने दोस्तों और परिवार को बताएं कि वे इस समाधान का हिस्सा कैसे बन सकते हैं।
• समुद्र के प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और खत्म करने के लिए कई गैर-लाभकारी संगठन काम कर रहे हैं। ये संगठन अपने महत्वपूर्ण कार्यों को जारी रखने के लिए आप जैसे लोगों के दान पर निर्भर हैं। इसलिए आपके द्वारा दिया गया छोटा सा दान भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।

संदर्भ:
1.
https://www.biologicaldiversity.org/campaigns/ocean_plastics/
2. https://bit.ly/2p0VfMa
3. https://on.natgeo.com/2m30V7K
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://pxhere.com/en/photo/1115089
2. https://pxhere.com/en/photo/567293
3. https://pixabay.com/photos/garbage-plastic-waste-beach-3552363/
4. https://bit.ly/2VSTqho

RECENT POST

  • चलिए अवगत होते हैं, भारत में ड्रॉपशिपिंग शुरू करने के लिए लागत और ज़रूरी प्रक्रियाओं से
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:30 AM


  • आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा का संगम है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:26 AM


  • भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का श्रेय जाता है, इसके मज़बूत डेयरी क्षेत्र को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     13-01-2025 09:26 AM


  • आइए, आज देखें, भारत में पोंगल से संबंधित कुछ चलचित्र
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:30 AM


  • जानिए, तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए, कुछ सक्रिय उपायों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:26 AM


  • इस विश्व हिंदी दिवस पर समझते हैं, देवनागरी लिपि के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति को
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:31 AM


  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id