क्या है कार्दाशेव माप और इसमें कहाँ खड़े हैं हम?

मेरठ

 09-10-2019 02:34 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

पृथ्वी पर मानव जीवन नश्वर है, यह पृथ्वी की अनुमानित आयु लगभग 450 करोड़ वर्ष के समक्ष क्षणभंगुर है। किन्तु फिर भी औद्योगिक क्रांति मानवता के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई है, जिसकी वजह से कई स्थाई सामाजिक-आर्थिक और भू-राजनौतिक परिवर्तन हो चुके हैं। लेकिन सोंचिये की क्या होगा यदि हम अपनी तकनीकी विज्ञान को इस हद तक विकसित कर ले की हम वास्तव में पृथ्वी को छोड़ सौर-मंडल के अन्य ग्रहों पर जीवन व्यतीत कार पाएं? अभी यह बातें विज्ञान की काल्पनिक कथाओं सी लगती है, पर हमारा मन हमेशा यह सोचता रहता है की क्या वास्तव में ब्रम्हांड में कोई होगा, जिसने इतनी वैज्ञानिक आधुनिकता को प्राप्त कार लिया होगा?

कर्दाशेव पैमाना (Kardashev Scale) एक विशुद्ध रूप से काल्पनिक पैमाना है, जिससे किसी भी सभ्यता की तकनिकी प्रगति उस सभ्यता के पास उपलब्ध ऊर्जा से मापी जा सकती है। इस पैमाने को सर्वप्रथम सन 1964 में सोविअत खगोलशास्त्री निकोलाई कर्दाशेव (Nikolai Kardashev) द्वारा उनके रिसर्च पेपर “Transmission of Information by Extraterrestrial Civilizations” में प्रस्तुत किया गया था। इस पैमाने के अनुसार ब्रम्हांड में 3 तरह की सभ्यताएँ होती हैं।

टाइप I सभ्यता
कर्दाशेव के अनुसार इस प्रकार की सभ्यता मात्र एक ही ग्रह पर सीमित रहती है, किन्तु उन्होंने इस हद की तकनिकी प्रगाढ़ता प्राप्त कर ली होती है की वे उस ग्रह पर स्थित ऊर्जा के सभी रूपों का उपयोग पूरी तरह से करने में सक्षम होते हैं। उनके लिए परमाणु संलयन (nuclear fusion) से ऊर्जा प्राप्त करना और प्रतिकण (antimatter) का दोहन करना बच्चों के खेल की तरह होता है।
वर्तमान आंकलन के अनुसार मानव सभ्यता, पृथ्वी के 450 करोड़ वर्ष आयु के बाद भी अभी मात्र 72% टाइप I सभ्यता के अनुरूप है।
टाइप II सभ्यता
कर्दाशेव के अनुसार इस प्रकार की सभ्यता तकनिकी और विज्ञान में इतनी आगे है, की वे अपने सौर-मंडल के सूरज की पूरी ऊर्जा को नियंत्रित कर सकते हैं। सूर्य की ऊर्जा पर नियंत्रण पाने का सबसे चर्चित तरीका है, उसके चारों तरफ डायसन गोला (Dyson Sphere) का निर्माण करना। यह काल्पनिक गोला सूरज के चारों तरफ इस प्रकार से बनाया जाता है की वह उसकी सारी ऊर्जा अवशोषित कर ले, जिसे बाद में जरुरत के अनुरूप उपयोग में लाया जा सके।
इसके अलावा यह सभ्यता उस सौर-मंडल के अन्य ग्रहों पर भी बसने में सक्षम होगी, जिसकी वजह से किसी भी जाति (species) का विलुप्त होना असंभव होगा।
टाइप III सभ्यता
इस सभ्यता के लोग तकनिकी क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होंगे, वे अपने सौर-मंडल के साथ-साथ अन्य सौर-मंडलों के ग्रहों और सूराजों पर भी नियंत्रण प्राप्त कर लेंगे। कुछ अनुमानों के अनुसार यह सभ्यता टाइप II सभ्यता से 1000 करोड़ गुना ज्यादा ऊर्जा पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते होंगे। उनकी तकनिकी क्षमता हमारी वर्तमान समझ और कल्पना के भी परे होगी।
यद्यपि मानव सभ्यता और टाइप III सभ्यता में करोड़ों वर्षों की दूरी है, किन्तु भौतिकी के नियम (laws of Physics) किसी भी सभ्यता के लिए हमेशा समान रहेंगे। विभिन्न सभ्यताओं के बीच यात्रा तब तक संभव नहीं होगी, जब तक प्रकाश की गति की बाधाओं को दरकिनार करने में कामयाब नहीं होंगे।

यह कहना तनिक भी अतिशियोक्ति नहीं होगी की टाइप III सभ्यता गति की बाधाओं को सफलता पूर्वक पार कर चुकी होगी।

इसी सन्दर्भ में सन् 2015 में प्लेनेट हन्टर्स प्रोजेक्ट (Planet Hunters Project) के दौरान वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से लगभग 1470 प्रकाश वर्ष दूर एक तारे की खोज की जिसे टैबी का सितारा (Tabby’s Star), KIC 8462852, बोयाजियन का तारा (Boyajian’s Star) या WTF तारा भी कहते हैं। इस तारे की विशेषता यह है की यह अपनी चमक में 22% तक की गिरावट के साथ-साथ अपने प्रकाश में असामन्य उतार-चढ़ाव भी प्रदर्शित करता है। यह एक परिकल्पना है, की ऐसा इसीलिए हो पा रहा है, क्योंकि किसी टाइप II सभ्यता की जाति ने इस तारे के चारों तरफ एक डायसन गोले का निर्माण किया है और वह अपनी जरुरत के अनुरूप तारे की ऊर्जा का खनन कर रहा है। यह अन्य विभिन्न प्रस्तावों और सिद्धांतों के अनुरूप भी है, जहां हम अंतरिक्ष में अंधेरे के अप्राकृतिक धब्बों या अस्पष्टीकृत प्रकाश के उतार-चढ़ाव को किसी अन्य उन्नत जाति द्वारा उनके पड़ोसी सितारों के चारों ओर डायसन गोलों का निर्माण करके, उनकी आकाशगंगा की ऊर्जा का उपयोग कर सकने के संकेत देता है।

सन्दर्भ:-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Kardashev_scale
2. https://futurism.com/the-kardashev-scale-of-civilization-types
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Dyson_sphere
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Tabby%27s_Star
5. https://futurism.com/civilization-type-0-living-in-a-subglobal-culture
6. https://ieet.org/index.php/IEET2/more/cannon201207231
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://bit.ly/2AXsnIc
2. https://www.flickr.com/photos/djandywdotcom/31437348556
3. https://bit.ly/2LWWKom

RECENT POST

  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन तेलुगु गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:25 AM


  • भारत के 6 करोड़ से अधिक संघर्षरत दृष्टिहीनों की मदद, कैसे की जा सकती है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:29 AM


  • आइए, समझते हैं, मंगर बानी और पचमढ़ी की शिला चित्रकला और इनके ऐतिहासिक मूल्यों को
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:24 AM


  • बेहद प्राचीन है, आंतरिक डिज़ाइन और धुर्री गलीचे का इतिहास
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:36 AM


  • विविधता और आश्चर्य से भरी प्रकृति की सबसे आकर्षक प्रक्रियाओं में से एक है जानवरों का जन्म
    शारीरिक

     01-01-2025 09:25 AM


  • क्या है, वैदिक दर्शन में बताई गई मृत्यु की अवधारणा और कैसे जुड़ी है ये पहले श्लोक से ?
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     31-12-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id