टैटू एक ऐसी प्रक्रिया है जो थोड़ी दर्दनाक ज़रूर है, किंतु बहुत लोकप्रिय है। इसके माध्यम से त्वचा पर किसी भी प्रकार का डिज़ाइन (Design) गुदवाया जा सकता है। यह डिज़ाइन हमारे मन के भावों और विचारों को व्यक्त कर सकता है तथा हमारी त्वचा को एक सुंदर रूप दे सकता है। युवाओं में इसकी लोकप्रियता सर्वाधिक होती है जो उन्हें टैटू बनवाने के लिए प्रेरित करती है। यह परंपरा सदियों पहले से विभिन्न देशों में अपनायी जाती रही है। पहले के समय में महिलाएं इसे अपनी अग्र-भुजाओं में गुदवाती थीं। पहले यह प्रायः श्रमिकों या अपराधियों के हाथ में गुदवाया जाता था ताकि उनकी पहचान की जा सके। अब यह प्रक्रिया विश्व-व्यापी हो गयी है तथा लोगों की पसंद बनती जा रही है। किंतु अगर आज आपको टैटू करवाना है, तो इस बात से सावधान रहना होगा कि यह आपके रोज़गार को प्रभावित कर सकता है।
जी हां, आजकल कई ऐसे व्यवसायिक क्षेत्र हैं जहां टैटू पूर्ण रूप से निषेधित किये गये हैं। इसका उदाहरण हमारे सैन्य बल से लिया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति जिसने अपनी त्वचा पर टैटू गुदवा रखा है, सेना में भर्ती नहीं हो सकता। इसके पीछे कारण यह दिया जाता है कि टैटू कई संक्रामक बीमारियों और एड्स (AIDS) जैसी भयावह बीमारी का कारण बन सकता है तथा औरों को भी प्रभावित कर सकता है, जिस कारण सैनिकों के शरीर में टैटू का निर्माण पूर्णतः वर्जित है।
इसके अतिरिक्त अन्य कॉर्पोरेट (Corporate) जगत में भी ऐसे नियम बनाये गये हैं जो आपके शरीर पर टैटू निर्माण को वर्जित कर देते हैं। उनका मानना है कि ऐसे व्यक्ति जिनके शरीर पर टैटू बना होता है, गम्भीर नहीं होते हैं। इसके साथ यह भी धारणा है कि कार्य क्षेत्र में टैटू वाले व्यक्ति अन्य लोगों के काम को प्रभावित कर सकते हैं। कई स्थानों पर व्यक्ति के साक्षात्कार के दौरान उसे शरीर पर कोई टैटू है या नहीं यह दिखाने के लिए भी कहा जाता है। और यदि कोई टैटू बना भी है तो उसे छिपाने के लिए कहा जाता है क्योंकि टैटू व्यक्ति के काम के प्रति उसकी कम गंभीरता को प्रदर्शित करता है। आज कई फर्मों (Firms) में टैटू अधिक सहनशील होते जा रहे हैं। नियोक्ता दृश्यमान टैटू के प्रति अधिक सहिष्णु होते जा रहे हैं। यह स्थिति भारत सहित अन्य देशों में भी है। 2016 में मानव संसाधन प्रबंधकों के द्वारा किए गये एक सर्वेक्षण में कैरियर (Career) की क्षमता को सीमित करने के लिए टैटू को तीसरी सबसे अधिक संभावित भौतिक विशेषता के रूप में बताया गया है तथा 70% लोग कार्यस्थल में अपने टैटू को छिपा देते हैं ताकि उनके रोज़गार की संभावनाओं पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
कार्य क्षेत्रों में टैटू को प्रतिबंधित करने की यह प्रथा अब धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। ऐसा करने से व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व, विचार और सांस्कृतिक विरासत को व्यक्त करने की अनुमति मिल सकेगी। इससे योग्य व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार रोज़गार मिल सकेगा चाहे उसकी त्वचा पर टैटू हो या ना हो। अब कई ऐसे उद्योग भी हैं जो टैटू के निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं। यदि आप भी टैटू के शौकीन हैं तथा रोज़गार के रूप में इसे अपनाना चाहते हैं तो आप इस क्षेत्र में अपना हाथ आज़मा सकते हैं।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2nL2LuR
2. https://www.bbc.com/news/business-48620528
3. https://bit.ly/32YWOJS
4. https://bit.ly/2OjQIQm
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