मानो अगर हम किसी एक स्थान पर बैठे हों और तमन्ना करें कि उस जगह की सारी बातें आपको पता चल जाएं, तो?
यह आज हम सब को आसान बात लगती है लेकिन आज से एक दशक पहले इसकी कल्पना इतनी आसानी से नहीं होती थी। आज व्यक्ति के मात्र एक बटन (Button) दबाने मात्र से देश-दुनिया की तमाम जानकारियाँ हमें प्राप्त हो जाती हैं और यह सब संभव हुआ सर्च इंजिन (Search Engine) से।
आज दुनिया भर में कई सर्च इंजिन पाए जाते हैं जैसे कि याहू (Yahoo), गूगल (Google) आदि। अब यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि आज के दौर में सर्च इंजिन की आवश्यकता कितनी है? और एक योग्य सर्च इंजिन क्या हो सकता है? ये दोनों प्रश्न इस समय में अत्यंत ही महत्वपूर्ण हैं। तो सबसे पहले जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर सर्च इंजिन की आज के युग में इतनी अहमियत क्यों है? सर्च इंजिन इन्टरनेट (Internet) द्वारा चालित एक ऐसा ज़रिया है जिससे हम ऐसी हर चीज़ ढूंढ सकते हैं जो पूरे विश्व भर में कहीं पर भी उपलब्ध है और वह इन्टरनेट पर किसी भी वेबसाइट (Website) पर अपलोड हो। यह अध्ययन अध्यापन के कार्य के अलावा, खेल, मनोरंजन, शोध, खबर आदि की जानकारी मुहैया कराता है। अब मान लीजिये कि आप अपने मोबाइल (Mobile) या लैपटॉप (Laptop), जिस पर इन्टरनेट चालू है, से पुराने गाने की फरमाइश करते हैं तो यह अनेकों ऐसी वेबसाइट आपको बता देता है जिसपर वो गाने उपलब्ध हैं।
सर्च इंजिन ने जीवन को सरल बनाने में अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है परन्तु सर्च इंजिन के अभी तक के लगभग दो दशक के इतिहास में कई ऐसी बातें हैं जिनका होना अभी भी बाकी है। पहले यह प्रश्न अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि आखिर सर्च इंजिन जिसे हम आज प्रयोग में ला रहे हैं, वह उत्तम या सटीक है या नहीं। अब बात करते हैं गूगल की। गूगल एक बेहतर सर्च इंजिन है परन्तु जब हम पूर्णता की और सटीकता की बात करते हैं तो गूगल भी उतना सटीक नहीं हो पाता है। मानो हमें कोई एक विशेष चित्र की तलाश है जिसे हम गूगल इमेज सर्च (Image Search) पर डालते हैं तो यह अनेकों प्रकार के चित्र हमें दिखा देती है जिससे यह छाटना लगभग असंभव सा हो जाता है कि हमने किस चित्र की मांग की थी। यही कथन सर्च इंजिन के वेब सर्च पर भी लागू होता है।
अब आइये बात करते हैं एक उत्तम सर्च इंजिन की और जानने की कोशिश करते हैं कि इसका स्वरुप कैसा होना चाहिए? अभी हाल ही में हुयी सर्च इनसाइडर समिट (Search Insider Summit) में एरन गोल्डमैन ने एक ऐसे पैनल (Panel) का गठन किया जिसका शीर्षक था ‘दी परफेक्ट सर्च इंजिन’ (The Perfect Search Engine) और इस के पैनल के लोगों ने यह मूल्यांकन करने की कोशिश की कि कैसे एक परफेक्ट सर्च इंजिन आवाज़, लेख और अन्य सिग्नलों (Signals) से जानकारी लेने में सक्षम हो और यह किस प्रकार से उस जानकारी को प्रदर्शित करे। अब यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर एक प्रयोगकर्ता अपने सर्च इंजिन से क्या चाहता है? इस बात में सबसे ज़्यादा लोगों का जवाब आएगा कि वे एक ऐसा सर्च इंजिन चाहते हैं जो कि उनके इरादे को समझ सके और वही रिज़ल्ट (Result) प्रदान करे जो उनके इरादे से मेल खाता हो। अब गूगल या वर्तमान सर्च इंजिन की बात ऊपर बताई जा चुकी है कि वे कैसे कार्य करते हैं। एक परफेक्ट सर्च इंजिन को खोजकर्ता के दिमाग को समझ कर परिणाम दिखाना चाहिए। अब यह भी नहीं है कि सर्च इंजिन लोगों के दिमाग को पढ़े पर व्यक्ति के इरादे को समझने योग्य उसमें क्षमता होनी चाहिए। इसे वही जानकारी देनी चाहिए जो कि खोजकर्ता के इरादे को प्रदर्शित करती है। जब इरादे को नहीं समझा जा सकता है तब एक ऐसा उत्तर सर्च इंजिन से आना चाहिए जो कि इरादे से मिलते जुलते हों। यह सब होने से प्रयोगकर्ता को और आसानी से जानकारी प्राप्त हो सकती है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2myIcRM
2. https://www.whoishostingthis.com/blog/2017/01/09/search-engine-history/
3. https://bit.ly/2mxpb29
4. https://bit.ly/2mxjzVB
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