विश्व भर में 26 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस विश्व के विभिन्न देशों को परमाणु हथियारों के खतरे के प्रति जागरूक करने एवं उनके उन्मूलन के लिए मनाया जाता है। परंतु यदि विरोधी देशों को देखते हुए बात करें तो आज परमाणु हथियार होना काफी आवश्यक है, जिसके चलते भारत और संयुक्त राज्य के बीच जुलाई 2005 में वाशिंगटन में हुए सम्मेलन के बाद 2 मार्च, 2006 को नई दिल्ली में, जॉर्ज बुश और मनमोहन सिंह ने एक नागरिक परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
3 अगस्त, 2007 को दोनों देशों ने 123 समझौते को जारी किया। भारत-संयुक्त राज्य परमाणु समझौते के मुख्य वार्ताकार निकोलस बर्न्स द्वारा कहा गया कि यदि भारत परमाणु हथियार का परीक्षण करता है तो अमेरिका को इस सौदे को समाप्त करने का अधिकार है और समझौते का कोई भी हिस्सा भारत को परमाणु हथियार राज्य के रूप में मान्यता नहीं देता है (जो एनपीटी के विपरीत होगा)। इस समझौते से भारत को परमाणु अप्रसार संधि का पक्ष तो नहीं मिलता है लेकिन फिर भी यह भारत को विश्व के बाकी हिस्सों के साथ परमाणु वाणिज्य करने की अनुमति देता है।
वहीं भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए 1950 के दशक में होमी भाभा द्वारा दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों के मोनाज़ाइट (Monazite) रेत में पाए जाने वाले यूरेनियम (Uranium) और थोरियम (Thorium) के भंडार के माध्यम से भारत के तीन-चरण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को तैयार किया गया था। कार्यक्रम का अंतिम केंद्र-बिन्दु देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत के थोरियम भंडार को सक्षम करने पर है। भारत के लिए थोरियम विशेष रूप से आकर्षक है, क्योंकि इसमें वैश्विक यूरेनियम भंडार का केवल 1-2% है, लेकिन विश्व के ज्ञात थोरियम भंडार का लगभग 25% वैश्विक हिस्सा है।
भारत के नाभिकीय कार्यक्रम के तीन चरण निम्न हैं-
1) कार्यक्रम के पहले चरण में, प्राकृतिक यूरेनियम ईंधन वाले भारी जल रिएक्टर (PHWR) द्वारा उप-उत्पाद के रूप में प्लूटोनियम -239 का उत्पाद करते हुए बिजली का उत्पादन किया जाता है।
2) दूसरे चरण में, फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (Fast Breeder Reactor) प्लूटोनियम -239 से बने मिश्रित ऑक्साइड (MOX) ईंधन का उपयोग करके, पहले चरण में खर्च किए गए ईंधन और प्राकृतिक यूरेनियम की पुन: आपूर्ति की जाती है।
3) तीसरे चरण में, रिएक्टर या एक उन्नत परमाणु ऊर्जा प्रणाली में थोरियम-232 और यूरेनियम-233 ईंधन रिएक्टरों की एक स्वयंधारी श्रृंखला को शामिल किया जाता है। यह एक थर्मल ब्रीडर रिएक्टर (Thermal Breeder Reactor) होता है, जिसमें सैद्धांतिक रूप से केवल प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले थोरियम का उपयोग करके ईंधन को भरा जा सकता है।
मेरठ, नरौरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन के बहुत करीब स्थित है जो कि नरौरा, बुलंदशहर जिले में स्थित है। इस प्लांट में दो रिएक्टर हैं, प्रत्येक में एक दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) है जो 220 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने में सक्षम है। NAPS-1 का वाणिज्यिक संचालन 1 जनवरी 1991 से शुरू हुआ, NAPS-2 को 1 जुलाई 1992 में शुरू किया गया था। वहीं भारत का परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं होने के कारण रिएक्टर IAEA सुरक्षा उपायों के तहत नहीं हैं। यहाँ पर 31 मई 1993 में संचालन के 28 महीने बाद NAPS-1 में दो भाप टरबाइन ब्लेड (Turbine blades) में खराबी के कारण बड़ी आग लग गई थी। रिएक्टर केबल सिस्टम (Reactor’s Cabling System) में समस्याओं के साथ संयोजन के कारण परमाणु लगभग पिघल गया था।
अधिकांश लोग अक्सर परमाणु ऊर्जा और परमाणु हथियार को एक सामान मान लेते हैं, लेकिन वास्तव में इन दोनों में काफी अंतर है।
• दोनों प्रौद्योगिकियों में परमाणु प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा का निकलना शामिल है। परमाणु ऊर्जा को मूल रूप से अमेरिकी नौसेना द्वारा पनडुब्बियों और विमान वाहक को बिजली के स्रोत प्रदान करने के लिए विकसित किया गया था।
• परमाणु हथियारों में एक अनियंत्रित विस्फोट करके दो परमाणुओं को एक साथ शामिल किया जाता है। वहीं परमाणु ऊर्जा में धीमी और नियंत्रित प्रतिक्रिया को स्वाभाविक रूप से रेडियोएक्टिव (Radioactive) तत्वों की मदद से गर्मी विकसित करके और भाप पैदा करके टरबाइन को घुमाया जाता है।
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संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Narora_Atomic_Power_Station
2. https://en.wikipedia.org/wiki/India%27s_three-stage_nuclear_power_programme
3. https://thehill.com/blogs/pundits-blog/energy-environment/333329-time-to-stop-confusing-nuclear-weapons-with-nuclear
4. https://en.wikipedia.org/wiki/India%E2%80%93United_States_Civil_Nuclear_Agreement
5. https://nuclearsecrecy.com/nukemap/
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