ब्रिटिश राज के दौरान जहाँ भारत एक ओर गुलामी से जूझ रहा था वहीं दूसरी ओर यह प्रौद्योगिकी के मामले में भी काफी विकसित हो गया था। उस दौरान ब्रिटिश द्वारा कई इमारतों और संस्थानों की स्थापना भी की गई थी। जिसमें से एक है मेरठ से कुछ ही दूर रुड़की में स्थित आई.आई.टी. (Indian Institute of Engineering - IIT)। इस संस्थान का एक काफी रोचक इतिहास है जो मेरठ के पास से गुज़रती हुई यमुना नहर से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1845 की शुरुआत में, लेफ्टिनेंट बायर्ड स्मिथ, पूर्वी यमुना नहर के अधीक्षक, ने उप-सहायक कार्यकारी अभियंता के पद के लिए सिविल इंजीनियरिंग में सहारनपुर के युवा भारतीयों को प्रशिक्षित करना शुरू किया और 1846 में बीस उम्मीदवारों को इसमें भर्ती किया गया। जिससे यह साफ स्पष्ट होता है कि नहर परियोजना के चलते ही प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना की गई थी।
रॉबर्ट स्मिथ (1787-1873), बंगाल इंजीनियर्स (Bengal Engineers) में एक अधिकारी थे, जिन्होंने दिल्ली की जामा मस्जिद की मरम्मत की थी। साथ ही स्मिथ को कश्मीर और कलकत्ता के गेट के बीच एक घर का नवीनीकरण करने की ज़िम्मेदारी भी दी गई थी। यह घर दिल्ली के सहायक ब्रिटिश रेज़िडेंट, विलियम फ्रेज़र (1784-1835) के लिए 1805 में बनाया गया था। 1819 तक बंगला शैली का यह घर खाली हो गया था, और 1820 के दशक के दौरान रॉबर्ट स्मिथ ने इस पर कब्ज़ा कर लिया। मौजूदा इमारत ब्रिटिश और भारतीय शैली की वास्तुकला का एक मिश्रण है।
मार्च 1823 में स्मिथ को एक प्राचीन मुगल नहर के सर्वेक्षण के लिए चुना गया था, जिसे पूर्वी यमुना नहर या दोआब नहर परियोजना के रूप में जाना जाता है। इसे 17वीं शताब्दी में अली मर्दन खान द्वारा बनाया गया था, लेकिन भूभाग के साथ मतभेदों के कारण नहर पूरी तरह से संचालित नहीं हुई थी और कई वर्षों तक अप्रयुक्त रह गई थी। 1825 में स्मिथ को एक नए सहायक लेफ्टिनेंट, प्रोबी कॉटले (1802-1871) के साथ मिलकर यमुना नहर परियोजना के कार्य में भेजा गया। वहीं स्मिथ को जून 1830 में लेफ्टिनेंट-कर्नल (Lieutenant-Colonel) के रूप में पदोन्नत किया गया, लेकिन उस समय तक, उनका स्वास्थ्य काफी खराब हो चुका था। यूरोप वापस जाते समय उन्होंने अपनी जलयात्रा के दौरान गंगा नदी और उसके आस-पास के दृश्यों की चित्रकारी की। जिसमें से एक राष्ट्रीय सेना संग्रहालय में मौजूद है। रॉबर्ट स्मिथ द्वारा बनाए गए इस चित्र में उन्होंने बंगाल सेना के अधिकारियों और पुरुषों को यमुना नहर के पास आराम करते हुए दर्शाया है।
स्मिथ के भारत छोड़ने के तुरंत बाद दोआब नहर परियोजना अंततः 1830 में प्रोबी कॉटले द्वारा पूरी की गई। जैसे ही पूर्वी यमुना डाकपठार के पास 790 मीटर (2,590 फीट) की ऊंचाई पर उत्तरी मैदानों में प्रवेश करती है, पूर्वी यमुना नाहर डाकपठार बैराज से शुरू होती है और आसन एवं हथिनीकुंड बैराज पर रुकने के बाद दक्षिण की ओर चल देती है। वहीं पश्चिमी यमुना नहर का निर्माण 1335 ई. में फिरोज़ शाह तुगलक द्वारा किया गया था। अत्यधिक अवसादन के कारण इसने बहना बंद कर दिया था, जिसे ब्रिटिश राज ने 1817 में बंगाल इंजीनियर ग्रुप की मदद से तीन साल में नवीनीकरण किया था।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2kL0CxM
2. https://bit.ly/2m9cJoL
3. https://www.iitr.ac.in/hi/institute/pages/History.html
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Yamuna
5. https://bit.ly/2kL0CxM
6. https://en.wikipedia.org/wiki/Roorkee#/media/File:Ganges_canal_roorkee1860.jpg
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