शुरुआती दिनों की विरासत हैं रामपुर स्थित फव्वारे

मेरठ

 13-09-2019 01:44 PM
मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

रामपुर शहर को अपनी समृद्ध विरासत के लिए पूरे भारत में जाना जाता है। यह शहर कई ऐसी ऐतिहासिक वस्तुओं को संजोए हुए है जो मुश्किल से कहीं अन्य स्थानों पर देखने को मिलती हैं। रामपुर के कोठी खास बाग और रज़ा पुस्तकालय जो कि इंडो इस्लामी साहित्य का समृद्ध पुस्तकालय है, में स्थित पुराने फव्वारे भी रामपुर की सांस्कृतिक विरासत में से एक हैं। लोगों को आकर्षित करने, पशुओं की प्यास बुझाने आदि उद्देश्यों के लिए इन फव्वारों का निर्माण यहां के नवाबों द्वारा किया गया था किंतु समय बीतने के साथ इन फव्वारों ने अपनी चमक और महत्व को कहीं खो दिया। ये फव्वारे रामपुर शहर के शानदार शुरुआती दिनों की विरासत हैं किंतु आज हालत यह है कि इन फव्वारों में से कोई भी काम नहीं करता है। हालांकि शहर में कई स्थानों पर अन्य फव्वारों का निर्माण किया जा रहा है किंतु इन पुराने फव्वारों को फिर से जीवित करने की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया है।

पुराने समय में भारत के कई शहरों में भी मनमोहक फव्वारों का निर्माण किया गया था जो अभी भी सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं। अगर कोई काम नहीं भी कर रहा हो, तो उसे भी शहर प्रशासन द्वारा ठीक करवा दिया जाता है। इसके प्रत्यक्ष उदाहरणों को मुम्बई और चंडीगढ़ जैसे शहरों में देखा जा सकता है जहां स्थित फव्वारों को अंग्रेजों के समय में या स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ समय बाद बनवाया गया था। पुराने समय के ये फव्वारे उन लोगों की याद दिलाते हैं जिनकी स्मृति में इन्हें बनाया गया था। अगर ये पूर्णतः काम करना बंद कर दें तो इनसे जुड़े हुए इतिहास को कभी वापस नहीं लाया जा सकता है। भारत में स्थित कुछ पुराने फव्वारों को निम्न श्रेणियों में रखा गया है:

• एडम फव्वारा (Adam's fountain)
• बृंदावन गार्डन (Brindavan Gardens)
• फ्लोरा फव्वारा (Flora Fountain)
• गुलज़ार हौज़ (Gulzar Houz)
• हौज़-ए-शम्सी (Hauz-i-Shamsi)
• सहेलियों की बाड़ी (Saheliyon-ki-Bari)
• सुखडिया सर्कल (Sukhadia Circle)


भारत के कुछ सुंदर फव्वारों को आप निम्नलिखितलिंक पर जाकर देख सकते हैं।
चंडीगढ़ में फव्वारों को पुनः ठीक करने और स्थापित करने के लिए शहर प्रशासन द्वारा लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। यहां स्थित फव्वारों की कीमत 25 लाख रुपयों से 50 लाख रुपयों तक है जिन्हें यहां गोल चक्करों, उद्यानों, प्रवेश द्वारों आदि में लगाया गया है। यहां एक संगीतमय फव्वारा भी है जिसकी कीमत लगभग 50 लाख रुपए है। मुंबई स्थित कई प्राचीन फव्वारों ने भी अनदेखा किए जाने और रख रखाव में कमी के कारण अपनी पहचान खो दी थी किन्तु इनकी मरम्मत करवाकर इन्हें फिर से जीवित किया गया है। यहां स्थित पुराने फव्वारों में कैशोजी नाइक फव्वारा (Kesowwji Naik), सर कौसजी जहांगीर (Sir Cowasji Jehangir) फव्वारा, देवीदास प्रभुदास कोठारी प्याऊ, आंनद विठ्ठल कोली प्याऊ आदि शामिल हैं जिन्हें स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले बनाया गया था। मुंबई प्याऊ परियोजना के ज़रिए इन फव्वारों को पुनर्जीवित कर लोगों के आकर्षण का केंद्र बनाया जा रहा है।
रामपुर के फव्वारों को भी पुनर्जीवित करने के लिए मुंबई और चंडीगढ़ जैसे प्रयास किए जाने आवश्यक हैं।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/2kHF7Ov
2. https://www.livemint.com/Leisure/RpjbeC3aq51fXrgFkg9aPP/Legacy--The-idea-of-Rampur.html
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Category:Fountains_in_India
4. https://www.thebetterindia.com/113078/pics-mumbai-ancient-water-fountains/
5. http://archive.indianexpress.com/news/chandigarh-the-city-of-fountains/587809/

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