स्तनधारियों की तुलना में पक्षी काफी लंबे समय तक जीवित रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि पक्षियों में स्तनधारियों की तुलना में अधिक चयापचय दर, शरीर का तापमान और एक उच्च ठहराव वाला ग्लूकोज़ (Glucose) होता है, जो इनकी उम्र बढ़ाने में सहायता करता है। लेकिन वास्तव में तो इन चयापचय कारकों से उम्र बढ़ने के बजाए कम होनी चाहिए। पक्षियों में असाधारण दीर्घायु होने से यह पता चलता है कि पक्षियों द्वारा चयापचय प्रक्रियाओं को, तेज़ी से उम्र बढ़ने से बचने के लिए विकसित किया गया है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि वे ऐसा करने में कैसे सक्षम हैं?
विवरणों से यह पता चलता है कि उड़ने वाले पक्षियों और स्तनधारियों में जीवन अवधि बढ़ जाती है। हाल ही के आंकड़ों से पता चलता है कि जो जानवर नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, वे नियमित रूप से व्यायाम ना करने वालों की तुलना में अधिक जीते हैं। पक्षियों में उड़ान के लिए आवश्यक ऊर्जा के बढ़ने के बावजूद, उनके माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA) में ऑक्सीडेटिव (Oxidative) क्षति का स्तर कम होता है। इसका अर्थ है कि ये चयापचय प्रक्रियाएं आम तौर पर मुक्त कणों को छोड़ती हैं और उन कोशिका घटकों को विशेष रूप से झिल्ली से बांधती हैं।
वहीं कुछ पक्षी, विशेष रूप से तोते अपनी उम्र की तुलना से काफी लंबे समय तक जीवित रहते हैं। मैकॉ भी अपने अनुमानित जीवन काल से लगभग चार गुना लंबा जीते हैं। सामान्यतः पक्षियों में ऑक्सीडेटिव क्षति में कमी होना यह दर्शाता है कि पक्षियों में प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन नस्ल के निम्न स्तर हैं या उन्होंने क्षति को कम करने के लिए कोई विशेष रणनीति विकसित की है। ऑक्सीडेटिव प्रक्रियाओं से नुकसान को कम करने के लिए पक्षियों के पास एक जटिल सारणी तंत्र भी है।
मेरठ में पाए जाने वाले मैकॉ और काकातुआ भी काफी लंबे समय तक जीवित रहते हैं। मैकॉ कई प्रकार के खाद्य पदार्थ खाते हैं जिनमें बीज, सुपारी, फल, ताड़ के फल, पत्ते, फूल, और तने शामिल हैं। मौसमी रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों की तलाश में कुछ बड़ी प्रजातियां जैसे आरा अरौराना (Ara Araurana - नीला और पीला मैकॉ) और आरा अम्बिगुआ (हरा मैकॉ) की जंगली प्रजातियां व्यापक रूप से 100 किमी से अधिक तक सफर करते हैं। जंगल के कुछ क्षेत्रों में मैकॉ द्वारा खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों में विषैले पदार्थ भी होते हैं जिन्हें वे पचाने में सक्षम नहीं होते हैं। जिसके लिए अमेज़न बेसिन (Amazon Basin) के तोते और मैकॉ इन विषैले पदार्थों के असर को खत्म करने के लिए नदी के किनारे से निकली चिकनी मिट्टी का सेवन करते हैं।
अब आइए जानते हैं विश्व के 6 सबसे लंबी उम्र तक जीवित रहे पक्षियों के बारे में:
1. कॉकी बेनेट (1796 - 26 मई, 1916) :- ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला कॉकी बेनेट (Cocky Bennett) एक प्रसिद्ध पक्षी था। इसकी मृत्यु मई 1916 में 120 साल की उम्र में हुई थी, इससे कॉकी बेनेट दुनिया का सबसे उम्रदराज़ पक्षी बन गया।
2. चार्ली (1 जनवरी, 1989 - अज्ञात) :- इंग्लैंड का नीले और पीले रंग का मैकॉ तोता “चार्ली” (Charlie) 2014 में कथित तौर पर 114 साल का था।
3. फ्रेड (1914 - वर्तमान) :- 2018 में ऑस्ट्रेलिया का फ्रेड (Fred) 103 वर्ष का हो चुका है।
4. पोंचो (1926 - वर्तमान) :- इंग्लैंड के पोंचो (Poncho), की वर्तमान उम्र 92 वर्ष है।
5. कुकी (30 जून, 1933 - 27 अगस्त, 2016) :- अमेरिका में रहने वाला कुकी 2016 में 83 वर्ष का हो चुका था।
6. ग्रेटर (अज्ञात - 30 जनवरी, 2014) :- यह पक्षी ग्रेटर ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड चिड़ियाघर में रहता था। वह 2014 में कम से कम 83 साल का था।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Macaw
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Cockatoo
3.http://www.oldest.org/animals/birds/
4.https://lafeber.com/pet-birds/birds-live-long/
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