त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान। वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है तथा तपती धूप, कड़ाके की ठंड तथा मूसलाधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाती है। वहीं किसान के लिए उसकी फसल की अच्छी पैदावार के लिए सबसे ज़रूरी होती है, मिट्टी की गुणवत्ता। यदि मिट्टी उत्तम नहीं हुई तो फसल की भी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती। वहीं बिगड़ती हुई मिट्टी की सेहत चिंता का विषय बन गई है तथा इसकी वजह से कृषि संसाधनों का अधिकतम उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसलिए नियमित अंतराल पर मिट्टी की सेहत के बारे में आकलन करने की आवश्यकता है जिससे कि मिट्टी में पहले से ही मौजूद पोषक तत्वों का लाभ उठाते हुए किसान अपेक्षित पोषक तत्वों को भी इसमें सुनिश्चित कर सकें।
इस विषय को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा एक योजना “मृदा सेहत कार्ड” को लागू किया है। मृदा सेहत कार्ड (Card) एक मुद्रित रिपोर्ट (Report) है, जिसमें किसानों को उनके खेत की मिट्टी की संपूर्ण जानकारी मुद्रित की हुई होती है। मृदा सेहत कार्ड के तहत प्रत्येक किसान को उसकी मिट्टी के पोषक तत्व की स्थिति के बारे में जानकारी देना और उर्वरकों की खुराक पर सलाह देना और लंबे समय तक मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक मिट्टी के संशोधनों के बारे में बताया जाता है।
इसमें 12 मापदंडों, अर्थात् एन, पी, के (N,P,K) (मैक्रो(macro)-पोषक तत्व); एस (S) (माध्यमिक- पोषक तत्व); Zn, Fe, Cu, Mn, Bo (सूक्ष्म पोषक तत्व); और पीएच, ईसी, ओसी (pH, EC, OC) (भौतिक मापदंड) के संबंध में उसकी मिट्टी की स्थिति के बारे में बताया जाएगा। साथ ही यह खाद के गुण और खेत के लिए आवश्यक मिट्टी संशोधन का भी संकेत देगा। किसान इस कार्ड की मदद से उर्वरकों और उनकी मात्रा का प्रयोग सही तरीके से कर सकेगा और साथ ही यह कार्ड उन्हें मिट्टी में पर्याप्त रूप से संशोधन करने में मदद करेगा। किसानों को यह कार्ड 3 वर्षों में एक बार दिया जाएगा। साथ ही यह अगले तीन वर्षों के लिए प्रदान किए गए कार्ड में पिछले कारकों की वजह से मिट्टी के स्वास्थ्य में आए परिवर्तन को मापने में सक्षम होगा।
अब प्रश्न यह उठता है कि कार्ड को बनाने के लिए मिट्टी के नमूने लेने के मानदंड क्या हैं?
जीपीएस (GPS) उपकरणों और राजस्व मानचित्रों की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हेक्टेयर और वर्षा आधारित क्षेत्र में 10 हेक्टेयर की मिट्टी के नमूने लिए जाएंगे। इन नमूनों को एक प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा 15-20 सेमी की गहराई से "वी (V)" आकार में काटकर एकत्र किया जाएगा। नमूनों को खेत के चार कोनों और क्षेत्र के केंद्र से एकत्र करके अच्छी तरह से मिश्रित किया जाएगा और इसका एक हिस्सा नमूने के रूप में उपयोग कर, इसे विश्लेषण के लिए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं किसानों द्वारा राज्य सरकार को प्रति मिट्टी के नमूने का 190 रुपये देना होगा। इसमें किसान की मिट्टी के नमूने के संग्रह, उसके परीक्षण, उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण की लागत शामिल है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2lASNer
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