कवक या फंफूद ऐसे नाम है जो की रोजाना दिखाई तो देते ही हैं, साथ ही साथ खाने में और दवाइयों के रूप में भी प्रयुक्त होते हैं।
अरगट (Ergot), ऐसे ही फंफूदों में से एक ऐसा फफूंद है जो दवाई से लेकर जहर तक का कार्य करती है। आइये पहले जानते हैं की आखिर अरगट (Ergot) फंफूद का इतिहास क्या है? अरगट का सबसे पहला उदाहरण असीरिया (Assyria) के टेबलेट से मिलती है जिसकी तिथि 600 ईसा पूर्व है। इसका इतिहास मध्यकाल के दौरान बड़ा ही दिलचस्प रहा है। उस समय में अरगट (फंफूद), जौ इत्यादि से बनी पाव रोटी (Bread) पर आमतौर पर उत्पादित होता रहता था और इसको संत एंथोनी (Saint Anthony) के आग के रूप में जाना जाता था। इस फंफूद से हुयी बिमारी का इलाज संत एंथोनी के चर्च में जा कर हो जाती थी, जो की फ़्रांस देश में एक अरगट से मुक्त स्थान था।
अरगट, फंफूद की गंभीर सुरक्षा चिंताओं के बावजूद भी अरगट का प्रयोग दवाई के रूप में किया जाता रहा है। कुछ महिलायें मासिक धर्म के दौरान, गर्भपात के दौरान और बच्चा पैदा होने के बाद भी इसका प्रयोग दवा के रूप में करती हैं। एक अरगट की गुठली को स्क्लेरोटियम (sclerotium) कहा जाता है। यह तब पैदा होता है जब एक फंफूद का बीजाणु जो की क्लाविसप्स जीन्स (Claviceps purpurea) का है एक फूल वाले पौधे के पुष्पक को संक्रमित कर देता है। संक्रमण प्रक्रिया निषेचन के दौरान यह वास्तविक फूल के पराग की नक़ल करती है। अन्तोगत्वा यह फंफूद पौधे के अण्डाशय को नष्ट कर देता है। यह पदार्थ सामान्यत: संक्रमित घास के फूलों से निकलता है।
अरगट एक ऐसी फंफूद है जो की जौ, धान आदि पर तेज़ी से बढती है और यह उनसे बनाए गए ब्रेड से लोगों को संक्रमित कर देती है। इस फंफूद से होने वाले रोगों में शरीर के चमड़े पर चकतियाँ पड़ना, बोलने में असहज महसूस करना, बार-बार बीमार हो जाना आदि आता है। यह लोगों को फालिज या लकवा जैसी गंभीर बिमारियों से भी ग्रसित कर सकता है।
वर्तमान समय में नशा एक सबसे बड़ी समस्या है और इस कारण आज की युवा पीढ़ी का अवसाद इत्यादि के कारण नशे के कब्जे में आ जाना है। यदि देखा जाये तो आज नशों के प्रकारों की पूरी शब्दकोष मौजूद है उन्ही में से एक है एल एस डी (L.S.D.)। एल एस डी एक ऐसा नशा है जो की वर्तमान समय में बड़ी मात्रा में बढ़ रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम या पूरा नाम है लायसर्जीक एसिड डीएथिलामाइड (lysergic acid diethylamide )।
अरगट पूर्ण रूप से एल एस डी तो नहीं उत्पादित करता परन्तु यह एल एस जरूर पैदा करता है जिसको शोधगृह में विभिन्न प्रयोगों के द्वारा एल एस डी की शक्ल दे दी जाती है। इसके प्रतिबंधित होने के पहले एल एस डी का प्रयोग मानसिक रोगों की चिकित्सा में प्रयोग में लाया जाता रहा है । वैज्ञानिकों की मान्यता थी की ये कुछ मानसिक रोगों को दूर करने में कारगर सिद्ध होगी।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Ergot
2. https://www.webmd.com/vitamins/ai/ingredientmono-431/ergot
3. https://science.howstuffworks.com/lsd6.htm
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Ergotism
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.