अरावली पर्वत श्रृंखला, इसकी रचना एवं महत्त्व

मेरठ

 26-08-2019 02:32 PM
पर्वत, चोटी व पठार

पहाड़ियाँ पृथ्वी के खनिजों की सबसे बड़ी स्रोत हैं। पृथ्वी पर ये पहाड़ियाँ करोड़ों साल से मौजूद हैं। इनमें से कुछ का निर्माण अभी हाल ही में हुआ। भारत में विभिन्न पहाड़ियाँ पायी जाती हैं जैसे कि हिमालय क्षेत्र, अरावली, विन्ध्य, नीलगिरी आदि। प्रस्तुत सभी पहाड़ी श्रृंखलाएं अनेकों तत्त्वों और खनिजों की एक वृहद् गोदाम हैं। अरावली की पहाड़ी रामपुर से मात्र 750 किलोमीटर दूर है, जो कि करीब आधे दिन की यात्रा के बराबर है। अरावली की पहाड़ी गुजरात से लेकर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुयी है। यह पहाड़ी श्रृंखला कुल 692 किलोमीटर लम्बी है। अरावली पहाड़ी श्रंखला की सबसे ऊंची चोटी माउंट आबू है जिसकी ऊँचाई 5650 फीट है। अरावली की पहाड़ी श्रृंखला भारत की सबसे प्राचीन श्रृंखला है। इसका इतिहास इसको उस समय तक ले जाता है जब भारतीय टेक्टोनिक प्लेट (Tectonic Plate) यूरेशियन प्लेट से अलग हो रही थी।

यदि अरावली की पहाड़ियों की तिथि की बात की जाए तो ये प्रोटेरोज़ोइक (Proterozoic) काल, मेसोज़ोइक (Mesozoic), सनोज़ोइक (Cenozoic) और प्रीकैंब्रियन (Precambrian) काल से सम्बन्ध रखती हैं। प्राचीन काल में ये आज की वास्तविक उंचाई से कहीं ज्यादा उंची थी परन्तु यह समय के साथ-साथ और क्षरण के कारण काफी छोटी हो गयी। जहाँ हिमालय यंग फोल्ड (Young Fold) पहाड़ी श्रंखला में आता है तो यह साल दर साल बढ़ने की ओर अग्रसर है, वहीं अरावली पर्वत श्रृंखला ओल्ड फोल्ड (Old Fold) पहाड़ी है जो कि अब नहीं बढ़ सकती है। अरावली पहाड़ी प्राचीन पृथ्वी के क्रस्ट (Crust) पर स्थित है (क्रस्ट टेकटोनिक प्लेट के नीचे की सतह को कहते हैं)। पर्वतों का निर्माण एक लाखों वर्षों का प्रयत्न है जो कि पृथ्वी के निचली सतह और टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण होता है।

जैसे कि हम जानते हैं कि पर्वत कई तत्वों और खनिजों के भण्डार होते हैं तो यह जानना आवश्यक होता है कि यह खनिज आखिर आता कहाँ से है? ये खनिज या तत्त्व पृथ्वी के गर्भ से पहाड़ के निर्माण के दौरान ऊपर आते हैं। कई अन्य प्रकार के तत्त्व या खनिज इस प्रक्रिया के दौरान पैदा हुई गर्मी और ज्वालामुखी फूटने के कारण भी बनते हैं। अरावली की पहाड़ियाँ विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक खनिज के भण्डार हैं, जैसे कि चूना पत्थर, संगमरमर, ग्रेनाईट आदि। ये पहाड़ियाँ लेड (Lead), जस्ता और चांदी आदि की भी भण्डार हैं।

वर्तमान काल में अरावली की पहाड़ियों में गहन उत्खनन और इसमें से पत्थर और खनिज निकाले जाने का कार्य चल रहा है जिसके कारण ये पहाड़ियाँ अपना वजूद खोती जा रही हैं। अब यदि दिल्ली में देखा जाए तो अरावली श्रृंखला की पहाड़ियाँ लगभग ख़त्म हो चुकी हैं। दिल्ली के महरौली में आज भी अरावली के पहाड़ के साक्ष्य उपलब्ध हैं। पहाड़ों के ख़त्म होने से पृथ्वी पर एक गहन संकट उत्पन्न हो सकता है जिसका सीधा-सीधा प्रभाव यहाँ के वातावरण के ऊपर पड़ता है। बारिश और अन्य मौसम पर भी पहाड़ों के ख़त्म होने से प्रभाव पड़ता है। अरावली पहाड़ के ऊपर और तलहटी में कई प्रजातियों के जीव रहते हैं जिनके जीवन पर पहाड़ों का ख़त्म होना एक अभिशाप है। यहाँ की पारिस्थितिकी पर इनका ख़ास प्रभाव रहा है परन्तु उत्खनन ने अब इनके जीवन को ख़त्म करना शुरू कर दिया है। आज अरावली के पहाड़ों में हो रहे उत्खंनन आदि को केंद्रीकृत करके इनके संरक्षण का कदम उठाने की आवश्यकता। जीव संरक्षण और पौधों को काटे जाने से रोके जाने पर भी यहाँ पर उपस्थित पारिस्थितिकी में बदलाव आयेंगे।

माउंट आबू अरावली पहाड़ी श्रंखला में सबसे ऊंचा है और धार्मिक रीति रिवाज़ों में उत्कृष्ट भी है। यह कहा गया है कि जब ऋषि परशुराम ने पृथ्वी को क्षत्रीय विहीन कर दिया था तो ऋषि वशिष्ठ ने यहीं पर विशेष यज्ञ कर के क्षत्रियों को पुनः इस पृथ्वी पर बुलाया। यहाँ पर विभिन्न साम्राज्यों ने मंदिरों आदि का निर्माण कराया है जिनमें हिन्दू और जैन दोनों शामिल हैं। यह स्थान घूमने के लिए किसी शानदार स्थान से कम नहीं है। यहाँ पर घूमने और उसके अनुभवों को जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर हमारा एक लेख पढ़ें:
https://lucknow.prarang.in/posts/2902/The-richness-of-natural-naturalness-for-tourism-of-Lucknow-Mount-Abu

संदर्भ:
1.
https://www.downtoearth.org.in/news/climate-change/aravallis-a-mountain-lost-63811
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Aravalli_Range
3. https://bit.ly/2Z94Y4P
4. https://bit.ly/3245cY0

RECENT POST

  • भारत के 6 करोड़ से अधिक संघर्षरत दृष्टिहीनों की मदद, कैसे की जा सकती है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:29 AM


  • आइए, समझते हैं, मंगर बानी और पचमढ़ी की शिला चित्रकला और इनके ऐतिहासिक मूल्यों को
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:24 AM


  • बेहद प्राचीन है, आंतरिक डिज़ाइन और धुर्री गलीचे का इतिहास
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:36 AM


  • विविधता और आश्चर्य से भरी प्रकृति की सबसे आकर्षक प्रक्रियाओं में से एक है जानवरों का जन्म
    शारीरिक

     01-01-2025 09:25 AM


  • क्या है, वैदिक दर्शन में बताई गई मृत्यु की अवधारणा और कैसे जुड़ी है ये पहले श्लोक से ?
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     31-12-2024 09:33 AM


  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM


  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id