श्री कृष्ण के जीवन से प्रेरित हैं इंडोनेशिया के मंदिर

मेरठ

 24-08-2019 12:16 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

कृष्ण जन्माष्टमी भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी बड़े धूमधाम से मनायी जाती है। इसका एक कारण शायद यह भी है कि हिंदू धर्म प्राचीन काल से ही विदेशी संस्कृतियों को प्रभावित करता आ रहा है तथा विदेशों में कई ऐसे भारतीय मौजूद हैं जो आज भी हिंदू धर्म का अनुसरण कर रहे हैं। इन देशों का एक उदाहरण इंडोनेशिया भी है जहां मुस्लिमों की संख्या हिंदुओं की अपेक्षा बहुत अधिक है। यहां की आबादी का 88% हिस्सा मुस्लिम है किंतु अपने मज़बूत प्रभाव के कारण हिंदू धर्म ने आज भी यहां अपने अस्तित्व को बनाए रखा है। यहां के राष्ट्रपति जोको विडोडो (Joko Widodo) जो स्वयं एक मुस्लिम हैं, से जब यह पूछा गया कि उनके पसंदीदा सुपरहीरो (Superhero) कौन हैं तो उन्होंने भगवान श्री कृष्ण का नाम लिया। उनके अनुसार भगवान कृष्ण शक्तिशाली तो हैं ही किंतु साथ ही साथ वे अत्यंत बुद्धिमान भी हैं जो उन्हें औरों से अलग बनाता है। भगवान कृष्ण को इंडोनेशिया में शक्तिशाली माना जाता है, विशेष रूप से जावा में। यहां की संस्कृति हिंदू महाकाव्य महाभारत और रामायण से भी बहुत अधिक प्रभावित है जिनके चित्र यहां स्थित मंदिरों में स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।

हिंदू धर्म इंडोनेशिया के छह आधिकारिक धर्मों में से एक है जिसे व्यापारियों, नाविकों, विद्वानों और पुजारियों के द्वारा पहली शताब्दी में इंडोनेशिया लाया गया था। यहां की संस्कृति ने हिंदू विचारों को खुद में संलयित कर लिया था। 6ठी शताब्दी में यहां हिंदू धर्म का इंडोनेशियाई संस्करण विकसित हुआ। हिंदू धर्म के ये विचार इंडोनेशिया में श्रीविजय और माजापाहित साम्राज्यों के दौरान विकसित होते रहे। लगभग 1400 ई. में इन राज्यों पर मुस्लिम सेनाओं ने हमला किया जिसके बाद हिंदू धर्म इंडोनेशिया के कई द्वीपों से गायब हो गया। महाभारत महाकाव्य की कहानियों को पहली शताब्दी में इंडोनेशिया के द्वीपों में पाया गया था जिनके संस्करण दक्षिण-पूर्व भारतीय प्रायद्वीपीय क्षेत्र (अब तमिलनाडु और दक्षिणी आंध्र प्रदेश) के समान थे। यहां स्थित जावा और पश्चिमी इंडोनेशियाई द्वीपों में की गई खुदाई से कई हिंदू शिलालेख, देवी-देवताओं की प्रतिमाएं आदि प्राप्त हुईं जो इंडोनेशिया में हिंदू धर्म के अस्तित्व का प्रमाण देती हैं। इंडोनेशियाई राजघराने ने भी भारतीय धर्मों और संस्कृति का स्वागत किया तथा हिंदू धर्म के आध्यात्मिक विचारों को अपनाया जिसके बाद वहां की जनता ने उनका अनुसरण किया। 4थी शताब्दी में पूर्वी कालीमंतन में कुताई राज्य, पश्चिम जावा में तरुणानगर और मध्य जावा में होलिंग (कलिंगा) इस क्षेत्र में स्थापित प्रारंभिक हिंदू राज्यों में से थे जिन्होंने कई हिंदू मंदिरों का निर्माण करवाया तथा भारत की नदियों के नाम पर अपनी नदियों को नाम दिये। मुस्लिम सेनाओं के आक्रमण के बाद यहां इस्लाम धर्म का क्रमिक विकास होना प्रारंभ हुआ जिसके बाद यहां हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म की सामंजस्यपूर्ण प्रथा विकसित हुई। इस सामंजस्यपूर्ण प्रथा का एक महत्वपूर्ण उदाहरण इस्लाम की ‘वेतु तेलु’ (Wetu Telu) परंपरा है जिसके तहत लोग हिन्दू और मुस्लिम मान्यताओं के एक मिश्रण को अपना धर्म मानते हैं।

इंडोनेशिया में स्थित जावा में एक अन्य प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जिसे ‘प्रम्बनन’ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर जावा द्वीप का सबसे बड़ा मंदिर परिसर है जिसे संजय राजवंश द्वारा 9वीं ईस्वी के मध्य में बनाया गया था। प्रम्बनन मंदिर में मुख्य तीन मंदिर हैं- एक भगवान ब्रह्मा का, एक भगवान विष्णु का और एक भगवान शिव का। हर मंदिर के लिए इनमें विराजमान भगवानों के वाहनों के मंदिर भी मौजूद हैं। इनके अलावा परिसर में और भी कई मंदिर बने हुए हैं। यहां पर देवी की मूर्ति की स्थापना के पीछे एक किंवदंती है। कहा जाता है कि उस समय जावा में बोको साम्राज्य का एक राजा था जिसकी एक कुंवारी बेटी थी। जावा में कुंवारी लड़कियों को ‘रोरो’ (Roro) कहा जाता है। पड़ोसी साम्राज्य पेंगिंग के राजा ने बोको के राजा को मार डाला। तथा उसकी बेटी अर्थात रोरो के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन रोरो ऐसा नहीं चाहती थी। शादी के प्रस्ताव को मना करने के लिए रोरो ने राजा के सामने एक शर्त रखी कि राजा को एक कुआँ तथा एक ही रात में एक हज़ार मंदिर बनाने होंगे। अगर वह ऐसा कर देगा, तो ही वह उससे शादी करेगी। शर्त को पूरा करने के लिए राजा ने अपनी जादुई शक्तियों से एक ही रात में 1000 मंदिर बना दिए। यह देखकर रोरो ने अपनी दासियों से शहर में आग लगाने तथा ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने के लिए कहा ताकि ऐसा लगे कि सुबह हो गयी है। धोखे का अंदाज़ा लगते ही राजा बहुत गुस्सा हुआ और उसने रोरो को एक पत्थर की मूर्ति में बदल दिया। किंवदंतियों के अनुसार, परिसर में 999 मंदिर थे। हालांकि वास्तु प्रमाण 240 मंदिरों का ही सुझाव देते हैं। रोरो जोंग्गरंग मंदिर या प्रम्बनन मंदिर हिंदुओं के साथ-साथ वहां के स्थानीय लोगों के लिए भी भक्ति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। प्रम्बनन मंदिर की सुंदरता और बनावट देखने लायक है।

मंदिर की दीवारों पर हिंदू महाकाव्य रामायण के चित्र भी बने हुए हैं जो रामायण की कहानी को दर्शाते हैं। मंदिर की दीवारों पर की गई यह कलाकारी इस मंदिर को और भी सुंदर और आकर्षक बनाती है। इन कलाकारियों में भगवान श्री कृष्ण का चित्र भी शामिल है जिसकी नक्काशी पत्थर पर की गयी है। इन मूर्तियों को यहां मुस्लिमों द्वारा पुनः बनाया गया तथा संरक्षित किया गया। यहां अन्य भी कई ऐसे स्थान हैं जहां भगवान श्री कृष्ण के जीवन की लीलाओं को पत्थरों पर उकेरा गया है।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/30txJGd
2.https://bit.ly/2HmbBGe
3.https://bit.ly/2U8KDpc
4.https://bit.ly/2L1W1k6
5.https://bit.ly/2P9N6T2

RECENT POST

  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM


  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id