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प्रकृति में अनेक ऐसी वस्तुएं हैं जो उनकी दुर्लभता के कारण बहुमुल्य बनी हुयी हैं। आज हम प्रकृति की धरोहर से ऐसा ही एक अमूल्य मोती चुन कर लाए हैं, जो सिंधु सभ्यता से अस्तित्व में है और आज भी अपनी अतुलनीय विशेषताओं के कारण अमूल्य बना हुआ है। तो चलिए जानते हैं अमूल्य मोती अर्थात ड्ज़ी (Dzi) के विषय में।
ड्ज़ी 2000 और 1000 ईसा पूर्व के मध्य से भारत में उपलब्ध था। जिन्हें फारस और तिब्बती सैनिक, आक्रमण के दौरान अपने साथ ले गए। यह लोग बुरी नज़र के प्रभाव को गंभीरता से लेते थे तथा ड्ज़ी को इसके प्रतिकार के रूप में मानते थे। ड्ज़ी नकारात्मक ऊर्जा और दुर्घटना से बचाता है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यद्यपि ड्ज़ी मोतियों की भौगोलिक उत्पत्ति अनिश्चित है, फिर भी इनकी उत्पत्ति तिब्बत से मानी जाती है, इसलिए इन्हें ‘तिब्बती मूंगा’ भी कहा जाता है। तिब्बती इन मोतियों को संजोकर रखते हैं और उन्हें वंशानुगत रत्न मानते हैं, जिन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक पहना जा सकता है। तिब्बत से ही इसका अन्य क्षेत्रों में विस्तार किया गया। साका या सिथियन (Scythian) जैसी घूमंतु जनजातियां इसका व्यापार करती थीं। चरवाहों और किसानों को ड्ज़ी स्वतः ही मिट्टी में मिल जाता है इसलिए लोग इसे प्रकृति निर्मित बताते हैं, न कि मानव निर्मित। कुछ प्राचीन तकनीकों से ड्ज़ी को रेखांकित और चित्रित किया जाता था, जो आज भी एक रहस्य है। इसमें चित्रकारी से पूर्व छेद किया जाता था, क्योंकि इस दौरान ड्ज़ी के टूट जाने की संभावना अधिक होती है।
तिब्बती मान्यता के अनुसार इसे देवताओं द्वारा पहना जाता था, यदि वे थोड़ा सा भी खण्डित हो जाते थे तो वे इन्हें फेंक देते थे, शायद इसलिए आज कोई भी ड्ज़ी सही अवस्था में प्राप्त नहीं होता है। इस प्रकार की अन्य धारणाएं भी इसके विषय में प्रचलित हैं किंतु प्रमाणित तथ्य किसी के पास उपलब्ध नहीं है। ड्ज़ी में नेत्र के समान आकृति बनी होती हैं, जिनकी संख्या भिन्न-भिन्न होती है तथा इनका अर्थ भी अलग-अलग होता है। अर्थात यह मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालते हैं, जैसे-एक आंख वाला ड्ज़ी आशा की किरण का प्रतीक है, यह ज्ञान में वृद्धि करता है तथा जीवन में खुशहाली लाता है। दो आंख वाला ड्ज़ी दांपत्य जीवन में सांमंजस्य स्थापित करता है। 3 आंखों वाला ड्ज़ी भाग्य, खुशी, सम्मान और दीर्घायु का प्रतिनिधित्व करता है। 4 आंखों वाला ड्ज़ी नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में मदद करता। इस प्रकार इनकी संख्या और प्रभाव भिन्न-भिन्न हैं।
ड्ज़ी में नेत्र के अतिरिक्त कुछ प्रतीक चिह्न भी होते हैं, जिनका अपना एक विशेष महत्व होता है। यह विभिन्न प्रकार के होते हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
• धारीदार ड्ज़ी मनका: यह मनका धन और उच्च जीवन शैली का समर्थन करता है।अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण इसकी विश्व में सबसे अधिक मांग है तथा यह अत्यंत मूल्यवान भी है। ड्ज़ी को विशेष देखरेख की भी आवश्यकता होती है। इसकी निरंतर सफाई करनी चाहिए, जिसके लिए बहते पानी का उपयोग किया जा सकता है तथा धोने के बाद इसे धूप में सुखाएं। इसकी अद्वितीय शक्तियों को बनाए रखने के लिए इसका सम्मान करें। लोग तिब्बत यात्रा के दौरान स्मृति के तौर पर ड्ज़ी मोती को खरीदते हैं, हालांकि यह बहुत महंगा होता है। तिब्बत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में ड्ज़ी मोतियों का औषधी के रूप में उपयोग किया जाता है। यह उच्च मूल्यवान तिब्बती चिकित्सा में एक घटक है।
आपके जन्म का वर्ष आपके लिए ड्ज़ी पत्थर चुनने में मदद करता है। चीनी लुनार कलैण्डर (Chinese Lunar Calendar) में प्रत्येक 12 वर्ष के नाम, एक पशु के नाम पर रखे गए हैं। किंवदंती है कि भगवान बुद्ध ने धरती से विदा लेने से पूर्व सभी जानवरों को उनके पास बुलाया। उनमें से केवल बारह उन्हें विदायी देने आए थे और इन बारह पशुओं के नाम पर वर्षों के नाम रखे गए। चीनीयों का मानना है कि जो पशु जिस वर्ष का प्रतिनिधित्व कर रहा है, उस वर्ष में जो व्यक्ति पैदा होते हैं, उस पर उस पशु का प्रभाव देखने को मिलता है। जिनके आधार पर ड्ज़ी का चयन किया जा सकता है।