कैसे, शाकाहार इस्लाम की मान्यताओं के अनुरूप है?

मेरठ

 12-08-2019 03:29 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

आज मुस्लिम धर्म के सबसे पवित्र पर्वों में से एक ईद-उल-जुहा है जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार में भारी संख्या में बकरों की बलि देने की प्रथा है। कहा जाता है कि इस प्रथा की शुरूआत इब्राहिम द्वारा खुदा के आदेशानुसार की गई थी जिसमें वह बलि के लिए अपने पुत्र को लेकर गये थे किंतु खुदा ने इब्राहिम की भक्ति से खुश होकर उसके बेटे को बकरा से बदल दिया और बच्चे की जान बचा ली। तब से यह प्रथा इस्लाम धर्म के लोगों द्वारा निरंतर अपनायी जा रही है। बलि से मिले मांस को तीन हिस्सों में बांटकर एक हिस्सा गरीबों को, एक रिश्तेदारों को, तथा एक परिवार को दिया जाता है। इस प्रकार इस्लाम धर्म में मांस खाना धर्म के अनुकूल माना जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग अपने दैनिक आहार में भी मांस को व्यापक रूप से शमिल करते हैं। कई मुसलमानों का तर्क है कि ईश्वर ने कहा है कि जो उसने जायज़ (हलाल) किया है उसे नाजायज़ (हराम) न बनाया जाए। दूसरे शब्दों में, अगर ईश्वर ने कहा है कि यह गलत नहीं है, तो इसे गलत नहीं बनाना चाहिए। और इसलिए हलाल की प्रथा को जायज़ माना जाना चाहिए। कुरान में किसी भी प्रकार के नशे को निषेधित किया गया है जबकि मांस के सेवन के संदर्भ में इसमें किसी भी प्रकार के निषेध का ज़िक्र नहीं पाया जाता है। कुछ इस्लामी लोगों के मत के अनुसार मांस खाना अगर अनुचित होता तो निश्चित रूप से इसका ज़िक्र पवित्र कुरान में भी अवश्य किया गया होता। जबकि सुअर के मांस और शराब जैसे कुछ पदार्थों से परहेज का उल्लेख कुरान में स्पष्ट रूप से किया गया है। इस्लामिक कानून के अनुसार ऐसा कोई आधार नहीं है जिस पर तर्क दिया जा सके कि भोजन के लिए जानवरों को नहीं मारा जाना चाहिए। मुसलमानों को केवल कुछ ही चीज़ों के सेवन के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है और वे अपने स्वयं के भोजन पर प्रतिबंध लगाने का विकल्प भी नहीं चुन सकते हैं क्योंकि यह अधिकार केवल अल्लाह को है। कुछ का मानना है कि जानवरों के हित को प्राथमिकता देने के बहाने शाकाहार की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इस तरह के निर्णय भगवान के विशेषाधिकार हैं जिन्हें मनुष्य स्वयं नहीं ले सकता।

किंतु ये सभी कथन प्रत्येक परिस्थितियों के लिए सही प्रतीत नहीं होते हैं क्योंकि वर्तमान में कई ऐसे मुस्लिम हैं जो कुछ कारणों से शाकाहार जीवन शैली को अपना रहे हैं। इन कारणों में स्वास्थ्य लाभ, पर्यावरण संरक्षण, कृषि को प्रोत्साहित करना आदि शामिल हैं। शाकाहार मांस के सेवन को प्रतिबंधित करता है। शाकाहार के अनुसार दैनिक आहार में केवल फल, सब्ज़ी, दूध आदि के सेवन को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। मांस खाना शाकाहार में प्रायः वर्जित होता है जबकि इस्लाम में मांस का सेवन वर्जित नहीं है। कुछ का कहना है कि इस्लाम धर्म के पैगंबर मुहम्मद के समय के मुसलमानों द्वारा मांस के सेवन को अनिवार्य नहीं समझा जाता था। खुद मुहम्मद भी मांस को अनिवार्य रूप से आहार में सम्मिलित करने के पक्षधर नहीं थे। क्योंकि उनके अनुसार निरंतर मांस खाने से इसकी लत लग सकती है। कुछ ने कहा कि कुरान के अनुसार जानवर मनुष्य के समान ही संवेदनशील प्राणी हैं और उसके साथ मनुष्य के समान ही व्यवहार करना चाहिए। इस्लाम धर्म में दया का भी बहुत बड़ा महत्व है। जानवरों का इलाज करना और उनके कल्याण के लिए चिंता करना इसी दया के अंतर्गत आता है। पवित्र कुरान में भी जानवरों के प्रति दया भावना को कई छंदों में वर्णित किया गया है। कुरान कहता है कि जानवरों को केवल संसाधनों के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। जानवर मनुष्यों के तरह ही समुदाय और समूह बनाते हैं। इस्लामी शिक्षाएं जानवरों को मनुष्य के बराबर मानती हैं और शांतिपूर्ण जीवन के लिए उनके अधिकारों को लगातार उजागर करती हैं। कुरान के अनुसार एक जानवर के लिए किया गया एक अच्छा काम उतना ही सराहनीय है जितना कि एक इंसान के लिए किया गया एक अच्छा काम। कुरान के अनुसार अगर कोई प्राणी एक सूक्ष्मजीव पर भी दया करेगा और यहां तक कि उसके संरक्षण के लिए अपनी जान भी दे देगा तो अल्लाह उस पर न्याय के दिन दयालु होगा। अल्लाह (ईश्वर) किसी पर भी दया नहीं दिखायेगा, सिवाय उन लोगों के जो दूसरे प्राणियों पर दया करते हैं। विभिन्न पैगम्बरों ने जानवरों की खाल के उपयोग को भी दया के विरूद्ध माना था। उन्होंने जानवरों की पिटाई और उनके चेहरे पर हमला करने जैसी गतिविधियों की भी घोर निंदा की थी। इस्लाम करुणा, दया और शांति का धर्म है जिसके अंतर्गत सभी जीवित प्राणी आते हैं। इस्लाम धर्म के इतिहास में भी कई मुस्लिमों, विशेष रूप से सूफी मुस्लिमों ने शाकाहार का अभ्यास किया। हालांकि कुछ ने इसके लिए हिंदू या बौद्ध प्रभावों को ज़िम्मेदार ठहराया।

आज दुनिया भर में मुसलमानों की बढ़ती संख्या न केवल पश्चिमी देशों में बल्कि पारंपरिक इस्लामी वातावरण में भी शाकाहारी जीवन शैली का अभ्यास कर रही है। इसके अंतर्गत कई राष्ट्रीय मुस्लिम शाकाहारी संगठन भी बनाये गए हैं। हज की यात्रा के दौरान भी शिकार करने की अनुमति नहीं दी जाती है। पोषण संबंधी स्वास्थ्य पर वर्तमान वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मुसलमान शाकाहारी भोजन से भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कुछ मतों का मानना है कि इस्लामी रिवाज़ में पशु बलि का अस्तित्व इस्लामी अरब समाज के मानदंडों और शर्तों से बनाया गया है जबकि इसे खुद इस्लाम द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था। कुरान में कहीं नहीं लिखा गया है कि हम मांस या जानवरों का उपभोग करने के लिए बाध्य हैं। कुरान केवल जानवरों के ही नहीं अपितु पर्यावरण के संरक्षण पर भी ज़ोर देती है और हमें इसकी देखभाल कैसे करनी चाहिए यह भी समझाती है। इस प्रकार इस्लाम धर्म की मान्यताएं पूर्ण रूप से शाकाहार के विपरीत नहीं हो सकती हैं क्योंकि स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के कुछ मुद्दों के कारण अधिकांश मुसलमान शाकाहार को अपना रहे हैं।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2OmfD6g
2. https://bit.ly/1XtWhuC
3. https://bit.ly/2EUr7YP
4. https://bit.ly/2OQhyS3

RECENT POST

  • चलिए अवगत होते हैं, भारत में ड्रॉपशिपिंग शुरू करने के लिए लागत और ज़रूरी प्रक्रियाओं से
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:30 AM


  • आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा का संगम है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:26 AM


  • भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का श्रेय जाता है, इसके मज़बूत डेयरी क्षेत्र को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     13-01-2025 09:26 AM


  • आइए, आज देखें, भारत में पोंगल से संबंधित कुछ चलचित्र
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:30 AM


  • जानिए, तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए, कुछ सक्रिय उपायों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:26 AM


  • इस विश्व हिंदी दिवस पर समझते हैं, देवनागरी लिपि के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति को
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:31 AM


  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id