बंगेश-बुंदेला युद्ध के कारण पड़ी रोहिलखंड राज्य की नींव

मेरठ

 08-08-2019 03:50 PM
मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

भारत कई सदियों तक विदेशी शक्तियों के अधीन रहा। इन विदेशी शक्तियों में मुगल शासक भी शामिल थे। जिन्होंने भारत के कई क्षेत्रों और राज्यों में अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इन मुगल शासकों में से एक मुहम्मद खान बंगेश भी था जिसने 1715 में उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद के पहले नवाब के रूप में शपथ ली। रोहिलखंड वंश के निर्माता मुहम्मद खान ने फ़र्रुख़ाबाद आने और रोहिलखंड स्थापित करने से पहले कई वर्षों तक इलाहाबाद और असम की मुगल सेना में "बावन हजारी सरदार" (52000 पुरुष बल के कमांडर) के रूप में कार्य किया। जिसका मुख्‍य कारण मालवा राजा छत्रसाल के साथ उनका युद्ध था।

हालांकि मुहम्मद खान बंगेश असभ्य और अनपढ़ था लेकिन उसे मुख्य रूप से अपनी निष्ठावान छवि के लिए जाना जाता था। भारत में क़ौम-ए-बंगेश से विख्यात बंगेश के पिता ऐन खान बंगेश थे, जो औरंगज़ेब के शासन काल के दौरान मऊ-रशीदाबाद में आकर बस गए थे। शुरूआती दौर में मुहम्मद खान ने पहले अफगानी भाड़े के योद्धा के रूप में कार्य किया तथा काफी समय तक बुंदेलखंड का सहारा लिया जहां उन्होंने उस प्रांत के राजाओं को अपनी सेवाएं दी। अपनी हिम्मत और क्षमता के कारण वे भाड़े की इस अफगानी सेना के प्रमुख बन गये थे किंतु यह सिलसिला हमेशा के लिए जारी नहीं रहा। 1665 को जन्मे मुहम्मद खान बंगेश ने मुग़ल साम्राज्य के मामलों में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिस कारण वह स्वतंत्र स्थानीय राजवंश बनाने में सफल हुआ।

48 साल की आयु में 1712 में बंगेश अपनी 12,000 की सेना को लेकर फर्रूखसियर की सेना में शामिल हुआ। और 1713 में जहाँदार शाह के साथ हुए युद्ध में उसको शिकस्त दी। अपनी बहादुरी और सेवाओं के लिए बंगेश को बुंदेलखंड और फर्रुखाबाद जिले में नवाब की उपाधि और भूमि अनुदान से सम्मानित किया गया। मुहम्मद खान ने उन क्षेत्रों को स्थापित किया जो फर्रुखाबाद राज्य के आस-पास स्थित थे। बरहा सैय्यद और तुरानी गुटों के बीच हुए युद्धों में मुहम्मद खान ने फर्रूखसियर के प्रति कोई रूचि नहीं दिखाई या कोई भी सहायता प्रदान नहीं की जिस कारण फर्रूखसियर की मृत्यु हुई और गद्दी की कमान मुहम्मद शाह के हाथों में आ गयी।

1719 में मुहम्मद शाह ने इलाहाबाद के मुगल शासक मुहम्मद खान बंगेश को छत्रसाल के खिलाफ कूंच करने का आदेश दिया, जिसमें मुहम्मद खान बंगेश ने 1720 और 1729 के बीच लड़े गए बंगेश-बुंदेला युद्ध का नेतृत्व किया। 1720 और 1729 के बीच हुए "बंगेश बुंदेला" युद्धों ने रोहिलखंड राज्य की नींव रखी, जो बाद में रामपुर राज्य बना। मुहम्मद खान की मृत्यु के समय तक उनके उपनिवेशों में फर्रुखाबाद के सभी क्षेत्र तथा शाहजहाँपुर, बदायूँ और अलीगढ़ सहित कानपुर के कुछ हिस्से शामिल थे।

मुहम्मद खान बंगेश और छत्रशाल के बीच हुए बंगेश-बुंदेला युद्ध में छत्रसाल की जीत हुई। 52 (बावन) युद्धों के विजेता के रूप में विख्यात छत्रसाल को बुंदेल खंड के नायक के रूप में भी जाना जाता है। छत्रसाल (1649 –1731) भारत के मध्ययुग के एक प्रतापी योद्धा थे जिन्होंने मुगल शासक औरंगजेब से युद्ध करके बुन्देलखण्ड में अपना राज्य स्थापित किया और 'महाराजा' की पदवी प्राप्त की। बुंदेला राज्‍य की आधारि‍शला रखने वाले चंपतराय के पुत्र छत्रसाल का जीवन मुगलों की सत्ता के खि‍लाफ संघर्ष और बुंदेलखंड की स्‍वतंत्रता स्‍थापि‍त करने के लि‍ए जूझते हुए नि‍कला तथा जीवन के अंतिम समय तक भी वे आक्रमणों से ही जूझते रहे। उनके पिता बुंदेल प्रमुख बीर सिंह देव के वफादार अधिकारियों में से थे। शाहजहां के शासनकाल में बुंदेलखंड को आजाद करने के लिए चंपतराय ने स्‍वतंत्रता की लड़ाई छेड़ी किंतु इसी बीच दिल्‍ली की सल्‍तनत बदल गई और उन्होंने औरंगजेब का साथ दिया। इस युद्ध में औरंगजेब की जीत हुई किंतु बाद में चंपतराय ने औरंगजेब की दमनकारी नीतियों का प्रखर विरोध किया और उसके खिलाफ खुला विद्रोह किया। किंतु इस विद्रोह में चंपतराय बुरी तरह घिर गये और उन्होंने अपनी पत्नी सहित आत्महत्या कर ली। इस प्रकार छत्रसाल अनाथ हो गये। इसके कुछ वर्ष बाद छत्रसाल ने अपने भाई के साथ पिता के दोस्त राजा जयसिंह के पास पहुंचकर सेना में भर्ती होकर आधुनिक सैन्य प्रशिक्षण लेना प्रारंभ कर दिया। राजा जयसिंह तो दिल्ली सल्तनत के लिए कार्य कर रहे थे अतः औंरगजेब ने जब उन्हें दक्षिण विजय का कार्य सौंपा तो छत्रसाल को इसी युद्ध में अपनी बहादुरी दिखाने का पहला अवसर मिला। अपने पिता के शत्रु का साथ देना छत्रसाल को गंवारा न था और इसलिए उन्होंने अपने सैनिकों का एक दल बनाया और मुग़लों पर आक्रमण करने की तैयारी की। छत्रसाल छत्रपति शिवाजी महाराज से बहुत अधिक प्रभावित थे और उन्होंने 1668 में छत्रपति शिवाजी से मुलाकात की जहां शिवाजी ने उन्हें स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने का सुझाव दिया। औरंगजेब और छत्रसाल के बीच हुए युद्ध में छत्रसाल ने औरंगजेब को करारी शिकस्त दी और बुन्देलखंड से मुगलों का एकछत्र शासन समाप्त कर दिया।

1720 और 1729 को जब मुहम्मद खान बंगेश और छत्रसाल के बीच बंगेश-बुंदेला युद्ध हुआ तो बंगेश ने छत्रसाल को पराजित करने का सिलसिला शुरू किया। इस कारण हताशा में छत्रसाल ने युद्ध में बाजीराव पेशवा की मदद ली। बाजीराव और उनके सैनिक मार्च 1729 को बुंदेलखंड पहुँचे और बंगेश को करारी शिकस्त दी। कुछ दिनों बाद बंगेश ने आत्मसमर्पण की शर्तों पर हस्ताक्षर किए जिसमें वह इलाहाबाद लौटने और राजा छत्रसाल को फिर कभी परेशान नहीं करने के लिए सहमत हुआ। 1731 में 82 वर्ष की आयु में राजा छत्रसाल की मृत्यु के बाद, उनका राज्य उनके पुत्रों में विभाजित हो गया।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2MIUAJC
2. https://bit.ly/2GPG7bf
3. https://bit.ly/2Yv7S3K
4. https://bit.ly/2Kx1C1k
चित्र सन्दर्भ:-
1. http://www.istampgallery.com/chhatrasal/
2. https://twitter.com/Pashz7

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id