भारतीय महाकाव्य रामायण भारत सहित विश्व के कई देशों में प्रसिद्ध है जिनमें बर्मा, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, फिलीपींस, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, जापान, मंगोलिया, वियतनाम, चीन आदि देश शामिल हैं। विश्व के कई देशों और क्षेत्रों में व्यापक होने के कारण रामायण के मूल संस्करण को विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुकूलित या अनुवादित किया गया जिनको क्षेत्र-संबंधी अलग-अलग रूप दिये गये हैं। रामायण महाकाव्य के प्राचीन संस्करण के लिए ऋषि नारद को उत्तरदायी माना जाता है, क्योंकि उन्होंने ही महर्षि वाल्मीकि को ज्ञान दिया जिसके बाद वाल्मीकि ने रामायण के सबसे पुराने और मूल संस्करण को लिखा। किंतु वर्तमान में इस महाकाव्य के लगभग तीन सौ संस्करण उपलब्ध हैं।
इन महत्वपूर्ण रूपांतरणों में 12वीं शताब्दी की तमिल भाषा में ‘रामवतारम’, 14वीं शताब्दी की तेलुगु भाषा में ‘श्री रंगनाथ रामायणम’, ‘खमेर रीमकर’ (Khmer Reamker), थाई ‘रामाकिएन’ (Thai Ramakien), ‘लाओ फ्रा लक फ्रा लाम’ (Lao Phra Lak Phra Lam) आदि शामिल हैं। मूल रामायण के सार को क्षेत्रीय संस्कृतियों और कलात्मक माध्यमों की एक विविध सारणी में व्यक्त किया गया है जो मूल रामायण के मुख्य विषयों का प्रकटीकरण कहीं अधिक व्यापक रूप से करते हैं। उदाहरण के लिये रामायण को लखाओन खमेर डांस थिएटर (Lkhaon Khmer dance theatre) में केरल और लक्षद्वीप के मुस्लिमों के मैपीला (Mappila) गीतों आदि रूपों में प्रदर्शित किया गया है। रामायण के सबसे प्रमुख संस्कृत संस्करण आध्यात्म रामायण, आनंद रामायण और अद्भुत रामायण हैं जिनमें से कुछ मुख्य रूप से वाल्मीकि की कथा का वर्णन करते हैं, जबकि अन्य परिधीय कहानियों पर आधारित हैं।
• अध्यात्म रामायण: रामायण के इस संस्करण को ब्रह्मानंद पुराण से लिया गया है जोकि तुलसीदास की रामचरितमानस से प्रेरित है। अध्यात्म रामायण भगवान राम के देवत्व रूप को बताती है। इस संस्करण को सात कांडों में आयोजित किया गया है।
• आनंद रामायण: रामायण के इस संस्करण के लिये पारंपरिक रूप से वाल्मीकि को उत्तरदायी माना जाता है। यह संस्करण राम की पारंपरिक कहानी को संक्षेप में व्यक्त करता है। यह मुख्य रूप से वाल्मीकि की कथा से संबंधित परिधीय कहानियों से बना है। यह संस्करण भगवान राम के जीवन के अंतिम वर्षों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
• अद्भुत रामायण: इस संस्करण के लिये भी वाल्मीकि को उत्तरदायी माना जाता है और इसमें भगवान राम से संबंधित कहानियों को शामिल किया गया है। यह मुख्य रूप से सीता की भूमिका को वर्णित करता है। यह माता सीता की जन्म परिस्थितियों के साथ-साथ रावण के 1000 सिरों वाले बड़े भाई महिरावण की पराजय की कहानी को भी व्यक्त करता है।
अद्भुत रामायण में रावण की पत्नी मंदोदरी को सीता माता की मां के रूप में उल्लेखित किया गया है। मंदोदरी मायासुर (असुरों का राजा) तथा हेमा (अप्सरा) की बेटी थी। रामायण में मंदोदरी को सुंदर, पवित्र और धर्मी स्त्री के रूप में दिखाया गया है। अपने पति के दोषों के बावजूद भी मंदोदरी उसका सम्मान करती है तथा उसे धर्म के मार्ग पर चलने की सलाह देती है। अद्भुत संस्करण के अनुसार रावण ऋषियों को मारकर उनके रक्त को एक बड़े बर्तन में संग्रहित करता था। एक बार जब ऋषि गृत्समद देवी लक्ष्मी को अपनी बेटी के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या कर रहे थे तो उन्होंने एक बर्तन में दरभा घास से दूध संग्रहित कर उसे मंत्रों से शुद्ध किया ताकि देवी लक्ष्मी उसमें निवास करें। किंतु रावण ने उनके बर्तन के दूध को अपने रक्त पात्र में डाल दिया। रावण के इस बुरे काम को देखकर मंदोदरी को बहुत निराशा हुई और उसने रक्त-पात्र की सामग्री पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की। रक्त पात्र की वह सामग्री ज़हर से भी अधिक ज़हरीली थी। किंतु मरने के बजाय मंदोदरी गृत्समद के दूध की शक्ति के कारण लक्ष्मी के अवतार के साथ गर्भवती हो जाती है। मंदोदरी ने इस भ्रूण को कुरुक्षेत्र में दफना दिया जहाँ से यह भ्रूण राजा जनक को प्राप्त हुआ और उन्होंने इसका नाम सीता रख दिया। इस प्रकार मंदोदरी माता सीता की मां के रूप में प्रकट हुई। माना जाता है कि मंदोदरी का जन्म स्थान मेरठ था।
रामायण कथा के अतिरिक्त संस्करणों के कुछ उल्लेखनीय उदाहरणों में तमिलनाडु की तमिल ‘कम्बरामायणम’, आंध्र प्रदेश की ‘श्री रंगनाथ रामायणम’, कर्नाटक की ‘कुमुदेंदु रामायण’, असम की ‘सप्तकाण्ड रामायण’, बंगाल की ‘कृत्तिवासी रामायण’, महाराष्ट्र की मराठी ‘भावार्थ रामायण’, उत्तर प्रदेश की ‘रामचरितमानस’ आदि शामिल हैं। रामायण के संस्करण अन्य धर्मों में भी उपलब्ध हैं। जैसे बौद्ध धर्म में ‘दशरथ जातक’, जैन धर्म में ‘पौमाचार्यम’ आदि। सिख धर्म के रामायण संस्करण में राम को आंतरिक आत्मा, सीता को बुद्धि, लक्ष्मण को मन तथा रावण को अहंकार के रूप में उल्लेखित किया गया है।
रामायण के इन सस्करणों पर ए. के. रामानुजन द्वारा ‘थ्री हंड्रेड रामायण- फाइव एग्ज़ाम्पल्स एंड थ्री थौट्स ऑन ट्रांस्लेशन’ (Three Hundred Ramayanas- Five Examples and Three Thoughts on Translation) नामक एक निबंध लिखा गया जो पूरे भारत और एशिया में रामायण के 2,500 साल या उससे अधिक की अवधि के बारे में और उसके इतिहास के बारे में बताता है। यह तथ्यात्मक रूप से यह प्रदर्शित करता है कि किस प्रकार से विभिन्न भाषाओं, समाजों, भौगोलिक क्षेत्रों और धर्मों में रामायण के बहुत सारे रूपांतरणों का प्रतिपादन किया गया। निबंध का शीर्षक ‘300 रामायण’ वास्तविक गणना का आधार है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Versions_of_Ramayana
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Mandodari
3. https://bit.ly/2YHjG29
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Adbhuta_Ramayana
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.kalakritiartgallery.com/artwork/sri-ramavatara/
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