भारत पर विश्व युद्धों का प्रभाव तथा रामपुर के नवाब का इनमें योगदान

मेरठ

 02-08-2019 12:35 PM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

प्रथम विश्व युद्ध आधुनिक विश्‍व के इतिहास की सबसे प्रलयकारी घटना है। ये वो विश्‍व युद्ध था जिसने केवल यूरोप के ही नहीं बल्कि पूरे विश्‍व के सामाजिक और राजनैतिक ढांचे को बदल दिया था। आज के समय में भी इस युद्ध का काफी प्रभाव है, क्‍योंकि इसने कई देशों और वंशों को नया आकार दिया। यह युद्ध 1914 से 1918 तक चला जो मुख्य रूप से यूरोप, एशिया व अफ़्रीका के बीच लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहा जाता है।

चूँकि इस युद्ध में ब्रिटेन भी शामिल था और उन दिनों भारत पर ब्रिटेन का शासन था इसलिए भारत के सैनिकों को भी इस युद्ध में शामिल होना पड़ा। उस समय भारत में राष्ट्रवाद के प्रभुत्व का दौर था तथा राष्ट्रवादियों का मानना था कि यदि युद्ध में ब्रिटेन को सहयोग दिया जायेगा तो परिणामस्वरूप अंग्रेजों द्वारा भारतीय निवासियों पर उदारता बरती जाएगी और उन्हें अधिक संवैधानिक अधिकार दिये जायेंगे। किंतु राष्ट्रवादियों की यह महत्वाकांक्षा पूरी नहीं हुई। युद्ध के तुरंत बाद ही अंग्रेज़ो द्वारा भारत में रौलेट एक्ट (Rowlatt Act) पारित कर दिया गया तथा अंग्रेजों द्वारा और भी अधिक भयावह घटनाओं को अंजाम दिया गया था। उस समय भारत की जनता गुलामी की मानसिकता से ग्रसित थी लेकिन फिर भी उसने ब्रिटेन को अपना पूरा सहयोग दिया। भारत की ओर से लड़ने गए अधिकतर सैनिक इसे अपनी स्वामी भक्ति का ही हिस्सा मानते थे। वे जिस भी मोर्चे पर गये वहां जी-जान से लड़े। इस युद्ध में लगभग 13 लाख भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया जिसमें से लगभग 74,000 से भी अधिक सैनिक मारे गये। इस युद्ध के कारण भारत की अर्थव्यवस्था लगभग दिवालिया हो गयी थी। युद्ध में भर्ती के लिए गांव से लेकर शहर तक अभियान चलाए गये। भारी मात्रा में युद्ध के लिये चन्दा भी जुटाया गया। अधिकतर जवान खुशी-खुशी सेना में शामिल हुए और जिन्होंने आनाकानी की उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा जबरदस्ती भर्ती किया गया। सेना के अन्दर भी उनके साथ भेदभाव किया जाता था। राशन से लेकर वेतन भत्ते और दूसरी सुविधाओं के मामले में उन्हें ब्रिटिश सैनिकों से नीचे रखा जाता था। लेकिन फिर भी भारतीय सैनिकों ने लड़ना जारी रखा और इस भेदभाव का असर कभी अपनी सेवाओं पर नहीं पड़ने दिया।

प्रथम विश्वयुद्ध ने भारत को वैश्विक घटनाओं और इसके विभिन्न प्रभावों से जोड़ने का कार्य किया। भारत इस विश्वयुद्ध के कारण सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही रूप से प्रभावित हुआ जोकि निम्नानुसार हैं –
राजनीतिक प्रभाव

युद्ध की समाप्ति के बाद भारत में पंजाबी सैनिकों की वापसी ने उस प्रांत में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों को भी उत्तेजित किया जिसने आगे चलकर व्यापक विरोध प्रदर्शनों का रूप ले लिया।
जब मोंटगू-केम्सफोर्ड सुधार गृह, शासन की अपेक्षाओं को पूरा करने में असफल रहा तो भारत में राष्ट्रवाद और सामूहिक नागरिक अवज्ञा का उदय हुआ।
युद्ध हेतु सैनिकों की जबरन भर्ती से उत्पन्न आक्रोश ने राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की पृष्ठभूमि तैयार की। सामाजिक प्रभाव
युद्ध के तमाम नकारात्मक प्रभावों के बावजूद वर्ष 1911 और 1921 के बीच, भर्ती हुए सैनिक समुदायों में साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। सैनिकों ने अपने विदेशी अभियानों हेतु पढ़ना-लिखना सीखा।
युद्ध में भाग लेने वाले विशेष समुदायों का सम्मान समाज में बढ़ गया।
इसके अतिरिक्त गैर-लड़ाकों की भी बड़ी संख्या में भारत से भर्ती की गई- जैसे कि नर्स (Nurse), डॉक्टर इत्यादि। अतः इस युद्ध के दौरान महिलाओं के कार्य-क्षेत्र का भी विस्तार हुआ और उन्हें सामाजिक महत्त्व भी प्राप्त हुआ।
आर्थिक प्रभाव
ब्रिटेन में भारतीय सामानों की मांग में तेज़ी से वृद्धि हुई क्योंकि ब्रिटेन में उत्पादन क्षमताओं पर युद्ध के कारण बुरा प्रभाव पड़ा था।
युद्ध का एक और परिणाम मुद्रास्फीति के रूप में सामने आया। वर्ष 1914 के बाद छह वर्षों में औद्योगिक कीमतें लगभग दोगुनी हो गईं और बढ़ती कीमतों में तेज़ी ने भारतीय उद्योगों को लाभ पहुँचाया।
कृषि की कीमतें भी धीमी गति से बढीं। अगले कुछ दशकों में और विशेष रूप से महामंदी (Great Depression) के दौरान वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट की प्रवृत्ति जारी रही।
खाद्य आपूर्ति, विशेष रूप से अनाज की मांग में वृद्धि से खाद्य मुद्रास्फीति में भी भारी वृद्धि हुई।
ब्रिटेन में ब्रिटिश निवेश को पुनः शुरू किया गया, जिससे भारतीय पूंजी के लिये अवसर सृजित हुए।

इसके अगले विश्व युद्ध में रामपुर के नवाब रज़ा अली खान बहादुर ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रज़ा अली खान 1930 से लेकर 1966 तक रामपुर रियासत के नवाब रहे। वे एक सहिष्णु और प्रगतिशील शासक थे जिन्होंने अपनी सरकार में हिंदुओं की संख्या का विस्तार किया था। रियासत में उन्होंने सिंचाई प्रणाली का विस्तार, विद्युतीकरण आदि परियोजनाओं को पूरा करने के साथ-साथ स्कूलों, सड़कों और निकासी प्रणाली का निर्माण भी किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देशभक्त नवाब ने अपने सैनिकों को विश्व युद्ध में भाग लेने के लिये भेजा जहां इनके सैनिकों ने बहुत बहादुरी के साथ अपना शक्ति प्रदर्शन किया। अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, नवाब रज़ा अली खान बहादुर ने भारत के डोमिनियन (Dominion) के लिए सहमति व्यक्त की और रामपुर को आधिकारिक रूप से वर्ष 1949 में भारत में विलय कर दिया गया। यह क्षेत्र वर्ष 1950 में उत्तर प्रदेश के नवगठित राज्य का हिस्सा बना। बाद में नवाब रज़ा अली खान ने विभिन्न धर्मार्थ परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया।

संदर्भ:
1.https://bit.ly/2OrjZdx
2.https://bit.ly/2ZjJX3C
3.https://bit.ly/2YAcHUI
4.https://bit.ly/2yplhuO
5.https://bit.ly/2Yq0bHa

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id