शुभ मंगल दायक शिवयजुर्मन्त्र का हिंदी अर्थ

मेरठ

 29-07-2019 11:41 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

हिन्दू धर्म के हिंदी पञ्चांग अनुसार यह श्रावण मास है। इस मास में भगवान शिव को पूजा जाता है। इस मास की भगवान शिव के भक्तों के लिए एक अनन्य श्रद्धा है। भगवान शिव मूर्ति रूप, अनंत रूप और निराकार सभी रूपों में पूजे जाते हैं। भगवान शिव का शिवयजुर्मन्त्र का विशेष महत्व है। चाहे कोई भी पूजा, अभिषेक, या जागरण हो। यह चाहे घर में हो या मंदिर में हो। किसी भी देवी देवता का हो परन्तु एक मंत्र के बिना आरती पूर्ण नहीं मानी जाती है, वह है कर्पूरगौरं करुणावतारम् (शिवयजुर्मंत्र)। यह मंत्र आम तौर पर प्रत्येक मंदिर में और प्रत्येक पूजा में सुनने को मिल जाता है।

महादेव का यह स्तोत्र शिव पार्वती के विवाह के अवसर पर स्वयं भगवान विष्णु द्वारा गाया गया था। भगवन महादेव श्मशान वासी के रूप में जाने जाते हैं। उनका स्वरुप भयानक माना गया है।

परन्तु इस स्तोत्र में भगवान शिव का दिव्य स्वरुप बताया गया है। उन्हें दया का प्रतिमूर्ति बताया गया है। उनमें पूरी सृष्टि समाहित है। उनका हृदय कमल के समान कोमल कहा गया है।

इस स्तोत्र के माध्यम से कहा जाता है की, जो इस संसार के स्वामी हैं वो हमारे ह्रदय में वास करें। शिव मृत्यु को दूर करते हैं। हमारे मन में ऐसे देवता निवास करें और मृत्यु का भय दूर हो।

कर्पूरगौरं करुणावतारम् – शिवयजुर्मन्त्र

कर्पूरगौरं करुणावतारम्
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ||
मंदारमाला कुलितालकायै कपालमालांकृत शेखराय।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय, नमः शिवायै च नमः शिवाय। ||

शिवयजुर्मन्त्र (कर्पूरगौरं करुणावतारम्) का हिंदी में अर्थ
कर्पूरगौरं :- वह जो कपूर के समान शुद्ध हैं ।
करुणावतारम् :- करुणा (दया ) के अवतार हैं अर्थात जो बड़े ही दयालु हैं ।
संसारसारं :- वह जो संसार का सार है अर्थात जिनमें पूरा ब्रह्माण्ड समाहित है।
भुजगेन्द्रहारम् :- वह जो नाग राजा को अपने गले में हार के तरह धारण किये हुए हैं।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे :- सदैव कमल के समान हृदय में निवास करने वाला
(स्पष्टीकरण: ह्रदय अरविंद का अर्थ है ‘हृदय में (जो शुद्ध है) कमल के समान है। कमल, यद्यपि मैले पानी में पैदा होता है, लेकिन यह चारों ओर कीचड़ से अछूता रहता है। इसी तरह भगवान शिव सदैव प्राणियों के दिल में निवास करते हैं जो सांसारिक मामलों से प्रभावित नहीं हैं।)
भवं भवानी सहितं नमामि :- ऐसे प्रभु को माता पार्वती सहित प्रणाम करता हूँ।

चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.pexels.com/photo/god-lord-shiva-1295398/

RECENT POST

  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id