क्रिकेट (Cricket) एक ऐसा खेल है जो भारत में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्या बच्चे और क्या बूढ़े, सभी इस महोत्सव का आनंद लेते हैं। विश्व का कोई भी खेल हो उसमें मुख्य बिंदु होता है उस खेल का नियम। नियम किसी भी खेल में उसके आभूषण की तरह होता है जो कि खेल की गरिमा और आनंद को बनाये रखता है। यह नियम ही है जो कि खेल में एक अनुशासन का भी प्रतिरोपण करता है। क्रिकेट खेल में कई नियम हैं जो कि खेल में एक रोमांच लाते हैं जैसे कि एल. बी. डब्लू. (LBW), काट बिहाइंड (Caught Behind), क्लीन बोल्ड (Clean Bold) आदि। ये नियम कुछ एक साल या दशक की महनत नहीं हैं बल्कि इन नियमों को बनाने में सदियों का समय लगा है।
ऐसे ही क्रिकेट के खेल में कुछ ऐसे नियम हैं जो कि इस खेल में एक जान फूंकने का कार्य करते हैं और कुछ कम लोगों को ही ये नियम पता हैं जैसे कि विकेट कीपर (Wicket Keeper) को, जबतक गेंद न फेंक दी जाए, विकेट के पीछे शांत और स्थिर खड़ा रहना होता है। यदि कोई आउट (Out) हो चुका है पर विरोधी टीम का कोई खिलाड़ी आउट की मांग नहीं करता तो अंपायर (Umpire) के पास कोई अधिकार नहीं है कि वो बैट्समैन (Batsman) को आउट करार दे। अब नियमों के इतिहास के विषय में यदि हम बात करें तो पहला लिखित प्रमाण हमें ससेक्स रिकॉर्ड ऑफिस (Sussex Record Office) से मिलता है जोकि 1727 ईसवी का है जिसे चार्ल्स लेनक्स द्वितीय और एलन ब्रोडरिक द्वीतीय के मध्य खेले गए खेल का है जिसमें समझौते का निर्माण किया गया था। यह अपनी तरह की क्रिकेट के इतिहास की पहली लिखित नियमावली है। इसमें आज से मिलते-जुलते कई नियम भी बनाए गए थे जैसे यदि गेंद को हवा में पकड़ा जाता है तो बल्लेबाज़ जिसने वह गेंद खेली है, को आउट करार दिया जाएगा। विकेट के पीछे कैच (Catch) लपकने पर भी बल्लेबाज़ को आउट करार दिया जायेगा। क्रिकेट के पिच (Pitch) की लम्बाई 23 यार्ड (23 Yard) निर्धारित की गई थी। उस समय 12 खिलाड़ी क्रिकेट का खेल प्रत्येक टीम की ओर से खेलते थे। रन भागते हुए तभी रन माना जाता था जब बल्लेबाज़ प्रत्येक रन के दौरान अंपायर के हाथ की छड़ी को छूता था। आज के आधुनिक दौर में पिच की लम्बाई को घटा कर 22 यार्ड का कर दिया गया है, और वहीं अब अंपायर को नहीं बल्कि विकेट के सामने बनी रेखा को छू कर जाने पर रन की मान्यता होती है। रन आउट की भी अवधारणा उस नियमावली में निर्धारित की गयी थी।
क्रिकेट के नियमों को कुछ महत्त्वपूर्ण कोड (Code) में लिखा गया है जो कि काफी हद तक आज भी मान्य है। कोड 1744 - यह अब तक का सबसे प्राचीन नियम है जो कि 1744 में लिखा गया था। इसमें टॉस (Toss) का, स्टंप की गहराई और ऊँचाई का, गेंद के वज़न का, नो बाल का, विकेट कीपर आदि का निर्देश लिखित है। 25 फरवरी 1744 को नियमों में और भी फेर बदल किये गए जिसमें बैट की चौड़ाई, लम्बाई आदि का, गेंदबाज़ के दौड़ और गेंद फेंकते वक़्त उसके पैर की स्थिति का, और एल. बी. डब्लू. नियम आदि जोड़े गए। इस नियमावली का मुख्य बिंदु एल. बी. डब्लू. का नियम था जो आज के क्रिकेट में हम देखते हैं। 1744 के कोड के बाद 1788 का कोड आया जिसे “लॉज़ ऑफ़ द नोबेल गेम ऑफ़ क्रिकेट” (Laws of The Noble Game of Cricket) कहा गया। इस नियमावली में इसमें गिल्लियों के आकार प्रकार और क्रिकेट के मैदान का विवरण दिया गया। एम. सी. सी. के निर्माण के बाद उनकी भी नियमावली आई जो कि खेल में कई बदलाव लायी। हाल ही में हुए परिवर्तनों में 2017 की नियमावली है।
क्रिकेट में हुए ऐसे ही नियमों और फेर बदलों के कारण आज क्रिकेट अत्यंत ही दिलचस्प हो चुका है। एक समय ऐसा हुआ करता था जब 230 रन एक विजित स्कोर (Winning Score) हुआ करता था परन्तु आज के नियमों के अनुसार यह स्कोर बहुत ज्यादा नहीं माना जा सकता। नए नियमों और आधुनिक तकनीकी के सहारे आज के बल्लेबाज़ 200 रन तो अकेले ही बना लेते हैं। 50 ओवरों के बीच मिलने वाला पॉवरप्ले (Powerplay) बल्लेबाज़ों के लिए तोहफा साबित होता है जो कि बल्लेबाज़ों को हाथ खोलने का मौक़ा प्रदान करता है। सन 2000 के बाद हुए नियमों ने भी आज के क्रिकेट में बदलाव किये हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Laws_of_Cricket
2. https://bit.ly/2Ycf84x
चित्र संदर्भ:-
1. https://pxhere.com/en/photo/952646
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