गुड़हल उन फूलों में से एक है जिनकी प्रजाति लगभग संपूर्ण विश्व में पायी जाती है, जिसे सजावट के साथ-साथ अन्य बहुद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है। गुड़हल मालवेशिए (Malvaceae) परिवार से संबंधित एक फूल है। यह विश्व के समशीतोष्ण, उष्णकटिबंधीय और अर्द्ध उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके फूल आकार में बड़े, आकर्षक, तुरही के जैसे होते हैं तथा इनके रंगों में विविधता देखने को मिलती है।
गुड़हल की कुछ प्रजातियों का उपयोग सजावट के लिए किया जाता है, तो कुछ को औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है। गुड़हल की चाय सेहत के लिए लाभदायक मानी जाती है। कुछ कीट प्रजातियों के लार्वा इसका प्रयोग भोजन के रूप में करते हैं। दक्षिण भारत के मूल निवासी गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल बालों की देखभाल के लिये करते हैं।
भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार गुड़हल की जड़ों को पीस कर कई दवाएँ बनाई जाती हैं। इसके कुछ स्वास्थ्य लाभ इस प्रकार हैं:
• गुड़हल के सूखे फूलों को उबालकर बनाया गया पेय डायटिंग (Dieting) करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभदायक होता है।
• कैंसर से लड़ता है।
• सर्दी को ठीक करता है।
• ऊर्जा को बढ़ाता है।
• शरीर के मुँहासे ठीक करता है।
• शरीर में द्रव संतुलन बनाए रखता है।
• शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
• चयापचय को गति देता है।
• रूसी, बवासीर और रक्तचाप की अनियमितताओं के इलाज में सहायक है।
• इस फूल में एंटीऑक्सीडेंट्स (Antioxidants) होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं।
कुछ लोग इसके फूलों का उपयोग चटनी, सूप और तरी बनाने के लिए करते हैं। इन बहुमुखी लाभों को देखते हुए विश्व में इसकी मांग बढ़ती जा रही है।
हमारे मेरठ में भी इसकी खेती को एक बेहतर विकल्प के रूप में चुना जा सकता है। मेरठ का मौसम और भूमि गुड़हल की खेती के लिए अनुकूलित है। गुड़हल उष्णकटिबंधीय पौधे हैं जिन्हें पर्याप्त प्रकाश और नमी की आवश्यकता होती है तथा ये बड़ी तीव्रता से पनपते हैं। यह 15 फीट ऊंचा तथा 6 फीट चौड़ा हो सकता है। इन फूलों के पौधों को गमलों, खुले खेतों में ग्रीनहाउस (Greenhouse) और पॉलीहाउस (Polyhouse) में भी उगाया जा सकता है। फूलों की उचित वृद्धि और गुणवत्ता हेतु, इसे निरंतर नमी की आवश्यकता होती है, जो मौसम के अनुरूप भिन्न-भिन्न होती है।
गुड़हल के लिए हल्की रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, लेकिन उसमें नमी की मात्रा कम होनी चाहिए। महीन मिट्टी की बजाय थोड़ी खुरदुरी मिट्टी इसके लिए ज्यादा उपयुक्त है। गुड़हल के पौधों को पनपने के लिए बहुत सारे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। गर्मियों के समय में, एक उच्च पोटेशियम (Potassium) उर्वरक का उपयोग करें। एक अच्छी फसल प्राप्त करने हेतु समय-समय पर इसके वृक्ष की कटाई और छंटाई की आवश्यकता होती है। इसकी छंटाई के लिए अगस्त से अक्टूबर का महीना उपयुक्त है।
गुड़हल के फूल की फसल कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे पानी, खाद और अन्य रोगों की रोकथाम के उपाय। रोग के लक्षणों और उनके नियंत्रण के लिए अपने स्थानीय बागवानी विभाग की सहायता लेना एक अच्छा विकल्प है। वे इसकी खेती में कीट और रोग समाधान का सबसे अच्छा स्रोत हैं। यदि फसल बड़े पैमाने पर उगाई जाती है, तो थोक बिक्री के लिए जड़ी-बूटी, औषधीय और आयुर्वेदिक कंपनियों (Companies) से संपर्क करें। गुड़हल के फूलों की आपूर्ति दैनिक आधार पर स्थानीय बाज़ारों में की जा सकती है। उचित देखभाल, प्रबंधन और विपणन रणनीति गुड़हल की खेती को एक लाभदायक व्यवसाय बना सकते हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Hibiscus
2. https://www.healthline.com/health/all-you-need-to-know-hibiscus#3
3. http://blog.nurserylive.com/2016/08/25/how-to-grow-the-gorgeous-hibiscus-in-your-garden-and-gardening-in-india
4. https://www.agrifarming.in/hibiscus-cultivation
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