ऐतिहासिक गौरव का प्रतीक है महासीर मछली

मेरठ

 04-07-2019 11:15 AM
मछलियाँ व उभयचर

आपने विभिन्न रियासतों के विभिन्न प्रतीकों को देखा और उनके बारे में सुना होगा। इन प्रतीकों में किसी मछली का शामिल होना और भी रोमांचक है, क्योंकि साधारणतया प्रतीक चिह्नों में किसी शक्तिशाली पक्षी या जंतु को ही शामिल किया जाता है। ऐसे में किसी मछली को प्रतीक चिह्न के रूप में स्थान देना आश्चर्य से कम नहीं। इन मछलियों में से एक है शेर मछली कहलायी जाने वाली हिमालयी महासीर जिसका उपयोग कई रियासतों के राज्य-चिह्नों के प्रतीक के रूप में किया गया।

टॉर (Tor), नियोलिस्सोकिलस (Neolissochilus), और नाज़िरिटोर (Naziritor) वंश की यह मछली साइप्रिनिडे (Cyprinidae) परिवार से सम्बंधित है। मछली की यह प्रजाति आमतौर पर वियतनाम लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, भारतीय प्रायद्वीप, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पायी जाती है। इनके आकार में बहुत ही अधिक रूपांतरण पाया जाता है जिस कारण से इनके वर्गीकरण को समझना बहुत ही कठिन है। महासीर मछलियां सर्वाहारी होती हैं तथा नदियों और झीलों दोनों में निवास करती है। इस समूह की पहली प्रजाति को वैज्ञानिक रूप से 1822 में फ्रांसिस बुकानन-हैमिल्टन ने वर्णित किया था। इनका उपयोग मछलीघर में रखकर सजावटी रूप से भी किया जाता है। कई स्थानों में इन्हें खाद्य पदार्थों में भी शामिल किया गया है जिनकी कीमत बाज़ार में बहुत अधिक होती है। कुछ के अनुसार महासीर शब्द इंडो-फ़ारसी से लिया गया है जिसमें महा का अर्थ है मछली और सीर का अर्थ है शेर या बाघ। इसकी तुलना शेर के साथ की जाती है क्योंकि यह साहस के साथ पहाड़ी नदियों और हिमालय की धाराओं में चढ़ती है और इसलिये इसे "टाइगर फ़िश" (Tiger Fish) भी कहा जाता है। मछली-शिकार में इसे पकड़ना बेहद मुश्किल माना जाता है।

इस मछली की सबसे खास बात यह है कि इसका प्रयोग कई राज-सत्ताओं के सर्वोच्च सम्मान के प्रतीक के रूप में किया गया जिसका उद्भव फ़ारसी संस्कृति से हुआ। फ़ारसी संस्कृति में इन्हें राजसी गौरव का प्रतीक माना जाता है। राज्य-चिन्हों में इसकी उपस्थिति इसके गौरव को व्यक्त करती है। रामपुर जो कि फारसी संस्कृति का अनुसरण करता है, के राज्य-चिह्नों में भी प्रतीक के रूप में महासीर को विशेष स्थान प्राप्त है। रामपुर नवाबों के राज्यचिन्ह में दो शेरों ने एक ढाल पकड़ी हुई है जिस पर महासीर मछली बनी हुई है। रामपुर के इतिहास में यह इतनी महत्वपूर्ण है कि रामपुर नवाबों के यहाँ जो भी व्यंजन बनते थे उनमें (माही सीक कबाब को छोड़कर) मछली का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। कुछ मुस्लिम शासित पूर्व रियासतों जैसे बावनी, भोपाल, कुर्वई ने भी इस मछली को राज-सत्ता के महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में अपनाया। अनौपचारिक रूप से यह पाकिस्तान की राष्ट्रीय मछली का प्रतिनिधित्व भी करती है।

महासीर के संदर्भ में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि आज के समय में यह प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गयी है। कई प्रजातियों की संख्या में गंभीर रूप से बहुत अधिक गिरावट देखी गयी है। इस मछली का बढ़ता शिकार और पर्यावरण में आते बदलाव इसके प्रमुख कारण हैं। मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में यह लगभग लुप्तप्राय हो चुकी है। प्रदूषण और निवास स्थान का नुकसान इसके लुप्तप्राय होने का नेतृत्व कर रहा है। विडंबना यह है कि इसके संरक्षण को अभी तक सही रूप नहीं मिल पाया है। भारत में पाई जाने वाली महासीर प्रजातियों में से पांच प्रजातियां लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध हैं जबकि दो अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट (Red List) में दर्ज हैं। इसके संरक्षण की आवश्यकता को सर्वप्रथम 1976 में राष्ट्रीय कृषि आयोग की रिपोर्ट (Report) में उजागर किया गया था।

आवास का विनाश, अवैध शिकार, अंधाधुंध मछली पकड़ना, बांधों का निर्माण और सीमित संसाधन इनकी आबादी पर दबाव डालने वाले कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं, जिन पर ध्यान केंद्रित करना बहुत ही आवश्यक है ताकि इस ऐतिहासिक प्रतीक के गौरव और गरिमा को भविष्य में भी बनाये रखा जा सके।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2XnXhlI
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Mahseer
3. https://bit.ly/2XrjGU7
4. https://rampur.prarang.in/posts/624/Rohu-farming-in-Rampur
5. https://rampur.prarang.in/posts/975/the-pride-of-rampur-mahseer-fish

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id