1760 के दशक में बनायी गयी पहाड़ी चित्रकला शैली (बसोहली) का एक चित्र आज भी ज्युरिक़ (स्विट्जरलैण्ड) के एक संग्रहालय में रखा गया है। यह चित्र महाभारत के एक प्रमुख प्रकरण लाक्षागृह से संबंधित है, जिसमें रात्रि में लाक्षागृह को धधकते हुए दिखाया गया है। यह चित्र माणकु और नैनसुख की पहली पीढ़ी (फत्तू, खुशाला, काम, गौधु, निक्का, और रांझा) के द्वारा तैयार लघुचित्रों में से है, जिसे माणकु के पुत्र फत्तू द्वारा 1760 में हिमाचल प्रदेश के गुलेर में बनाया गया गया था। माणकु के दो पुत्र (फत्तू और खुशाला) और नैनसुख के चार पुत्र (काम, गौधु, निक्का और रांझा) सामूहिक रूप से नैनसुख और माणकू के बाद की पहली पीढ़ी के नाम से जाने जाते थे।
यह पहली पीढ़ी बसोहली चित्रकला में पारंगत थी। बसोहली शैली में मज़बूत और विपरीत रंगों का उपयोग दिखायी देता है। इनकी एक रंग की पृष्ठभूमि होती है, जिस कारण चित्र बहुत आकर्षक दिखायी देते हैं। विशेष रूप से भागवत पुराण के दृष्टांतों के कई दृश्यों में भी यह शैली अपनायी गयी है। भागवत लघुचित्रों में भी शैली और सजावटी डिज़ाइन (Design) में विविधता को एक ही श्रृंखला में बनाया गया है। बसोहली चित्रकला शैली के अंतर्गत रामायण, महाभारत तथा गीत गोविन्द पर आधारित चित्रों की भी रचना की गयी है। लाक्षागृह का लघु चित्र भी महाभारत से लिया गया था।
लाक्षागृह वह स्थान है जहां दुर्योधन द्वारा पाण्डवों को जीवित जला देने की योजना बनाई गयी थी, जिन्हें विदुर की विद्वता द्वारा बचा लिया गया था। यह लाक्षागृह मेरठ से 35 किमी. बागपत जिले के आधुनिक बरनावा गाँव में स्थित है। यह स्थल लगभग 100 फीट ऊंचे टीले पर स्थित है, जो कि हिंडन नदी के किनारे 29 एकड़ भूमि में फैला है, जिसके अब मात्र अवशेष ही शेष रह गए हैं। इस किले में कई प्रचीन मूर्तियां स्थित हैं तथा इसमें गुरूकुल आश्रम और गौशाला बनायी गयी हैं। इस टीले की देख-रेख का दायित्व भारतीय पुरातत्व विभाग को सौंपा गया है।
इलाहाबाद में गंगा नदी के उत्तरी तट पर 29 बीघा के क्षेत्र में फैले एक विशाल टीले, जैसा कि इतिहास में उल्लेखित है, के लिए संभावित लाक्षागृह होने का दावा किया जाता है, जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण अभी उपलब्ध नहीं हैं।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/324fI2n
2. https://www.harekrsna.com/sun/features/03-17/features3791.htm
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Lakshagraha
4. https://www.patrika.com/travel-news/lakshagrah-of-barnava-is-of-mahabharat-1199170/
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