उत्तर प्रदेश में भूजल विकास स्तर की स्थिति

मेरठ

 02-07-2019 10:36 AM
नदियाँ

कृषि भारतीय अर्थ व्यवस्था की अधारभूत इकाई है जो कि अधिकांशतः भूजल पर ही निर्भर है। भूजल स्तर में निरंतर आ रही कमी के लिये भूजल स्तर को समझना बहुत ही आवश्यक है। तो आईए सबसे पहले जानते हैं आखिर भूजल स्तर क्या है?

भूजल जल की वह मात्रा है जो धरती की सतह के नीचे चट्टानों और मिट्टी के कणों के बीच उपस्थित रन्ध्राकाशों में मौजूद होती है। जिन चट्टानों में भूजल जमा होता है, उन्हें जलभृत या एक्वीफर्स (Aquifers) कहा जाता है जो बजरी, रेत, बलुआ पत्थर या चूना पत्थर से मिलकर बने होते हैं। पृथ्वी की सतह के नीचे मिट्टी के कणों और खंडित चट्टानों के बीच के रिक्त स्थान को भूजल ही भरता है। वर्तमान समय में अत्यधिक दोहन के कारण इसमें अपरिवर्तनीय रूप से कमी आने लगी है।
भारत में भूजल व्यवस्था को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
प्रायद्वीपीय भारत के कठोर-चट्टान जलभृत: यह भारत के कुल जलभृत सतह क्षेत्र का लगभग 65% भाग है, जो अधिकांश मध्य प्रायद्वीपीय भारत में पाया जाता है।
इंडो गैंजेटिक (Indo-Gangetic) जलोढ़ जलभृत: ये जलभृत उत्तरी भारत में गंगा और सिंधु के मैदानों में पाए जाते हैं। तथा भूजल का महत्वपूर्ण भंडारण स्थान हैं।

भारत में विभिन्न क्षेत्रों को भूजल विकास स्तर के आधार पर निम्न श्रेणीयों में बांटा गया है:
सफेद क्षेत्र (White Area): वे क्षेत्र जहां भूजल विकास स्तर 65% से अधिक है।
ग्रे क्षेत्र (Grey Area): वे क्षेत्र जहां भूजल विकास स्तर 65% से 85% के मध्य है।
डार्क क्षेत्र (Dark Area): वे क्षेत्र जहां भूजल विकास स्तर 85% से 100% के मध्य है।
अति दोहन क्षेत्र: जिन क्षेत्रों में भूजल विकास स्तर 100% से अधिक है।

जिन क्षेत्रों में भूजल विकास स्तर 85% से अधिक है वहां भूजल का दोहन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। ग्रे क्षेत्र में भूजल का उपयोग संतुलित मात्रा में होता है। सफेद क्षेत्रों में भूजल स्तर पर्याप्त मात्रा में होता है।

अप्रैल 2015 में नदियों में प्राकृतिक प्रवाह के संदर्भ में भारत की जल संसाधन क्षमता या वार्षिक जल उपलब्धता लगभग 1,869 बिलियन क्यूबिक मीटर (Billion Cubic Meter-BCM) प्रति वर्ष थी। जबकि उपयोग योग्य जल संसाधन की उपलब्धता केवल 1,123 BCM प्रति वर्ष ही आंकी गयी। इस 1,123 BCM प्रति वर्ष में भूजल स्तर का हिस्सा 433 BCM प्रति वर्ष था तथा पूरे देश के लिए शुद्ध वार्षिक भूजल उपलब्धता 398 BCM थी।

दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भूजल विकास का स्तर बहुत अधिक है जो कि 100% से भी अधिक है। जबकि हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भूजल विकास के स्तर को 70% से अधिक आंका गया जिससे इन राज्यों को ग्रे क्षेत्र के अंतर्गत रखा गया। बाकी शेष राज्यों में भूजल विकास स्तर 70% कम है।

भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण भारत अति दोहन और प्रदूषण संकट की ओर निरंतर बढ़ता जा रहा है। भूजल के कृषि और पेयजल आपूर्ति का सबसे बड़ा हिस्सा और आसानी से सुलभ होने के कारण सतही जल की उपलब्धता भूमिगत जल की तुलना में अधिक हो गई है। भूजल का उपयोग सबसे अधिक सिंचाई के लिए किया जाता है जिनके मुख्य साधन नलकूप, नहरें, टैंक और कुएँ हैं। नहरों से 24.5% जबकि अन्य से 61.6% जल देश को प्राप्त होता है।

उत्तर प्रदेश राज्य का भूजल स्तर भी पिछले कुछ वर्षों में कम हुआ है। इसे ग्रे क्षेत्र के अंतर्गत रखा गया है क्योंकि यहां का भूजल विकास स्तर 70% से अधिक है।

2016 के जल स्तर आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 3% कुओं का जल स्तर 0-2 मीटर भू-स्तर से नीचे था जबकि, 33% कुओं में जल स्तर 2-5 मीटर भू-स्तर से नीचे पाया गया। 40% कुओं में जल स्तर 5-10 मीटर भू-स्तर से नीचे था। तथा 21% में यह स्तर 0-20 मीटर भू-स्तर से नीचे देखा गया। इटावा जिले में जल स्तर की गहराई 37.50 मीटर भू-स्तर से नीचे थी।

2015 के मुकाबले जल स्तर में 84% कुओं में गिरावट को देखा गया। 70% में गिरावट 0-2 मीटर के बीच थी तो 13% में यह गिरावट 2-4 मीटर के बीच थी। 2% कुओं में गिरावट को 4 मीटर से अधिक आंका गया। केवल 16% कुओं में ही जल स्तर में वृद्धि पायी गयी थी जोकि 0-2 मीटर के मध्य थी।

यदि 2016 में मानसून से पहले के जल स्तर को देखा जाये, तो केवल 39% कुंओं के जल स्तर में ही वृद्धि पायी गयी जबकि 60% कुंओं के जल स्तर में कमी पायी गयी। 38% कुंओं में जल स्तर वृद्धि 0-2 मी के बीच हुई थी। दशकों के आधार पर जल स्तर की तुलना करने पर राज्य के जल स्तर में पुनः सामान्य कमी पायी गयी। जल स्तर में गिरावट वाले कुएं (जनवरी 2006-2015) 89% थे। इनमें से 66% में जल स्तर कमी 0-2 मीटर थी तो 19% में कमी 2–4 मीटर थी। 4% कुंओं में जल स्तर कमी को 4 मीटर से अधिक पाया गया। केवल 11% कुएं ही ऐसे थे जिनमें जल स्तर में वृद्धि हुई जोकि सिर्फ 0-2 मीटर थी।

भूजल में कुछ दूषित पदार्थों जैसे आर्सेनिक (Arsenic), फ्लोराइड (Fluoride), नाइट्रेट (Nitrate) और आयरन (Iron) की निर्धारित सीमा से अधिक उपस्थिति के कारण यह प्रदूषित होता जा रहा है। इसे दूषित करने वाले पदार्थों में बैक्टीरिया (Bacteria) और फॉस्फेट (Phosphate) भी शामिल हैं। घरेलू गतिविधियों, कृषि पद्धतियों और औद्योगिक अपशिष्टों सहित मानवीय गतिविधियों के कारण यह समस्या और भी बढ़ती जा रही है। वर्तमान में हरित क्रांति और ग्रामीण विद्युतीकरण के निरंतर विकास और अधिकाधिक ट्यूबवेलों (Tubewells) व कुओं के निर्माण ने इसे सबसे अधिक प्रभावित किया है जिस पर ध्यान देना बहुत ही आवश्यक है ताकि भूजल स्तर में सुधार किया जा सके।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2KMUv7C
2. http://cgwb.gov.in/Ground-Water/GW%20Monitoring%20Report_January%202016.pdf

RECENT POST

  • चलिए अवगत होते हैं, भारत में ड्रॉपशिपिंग शुरू करने के लिए लागत और ज़रूरी प्रक्रियाओं से
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:30 AM


  • आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा का संगम है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:26 AM


  • भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का श्रेय जाता है, इसके मज़बूत डेयरी क्षेत्र को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     13-01-2025 09:26 AM


  • आइए, आज देखें, भारत में पोंगल से संबंधित कुछ चलचित्र
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:30 AM


  • जानिए, तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए, कुछ सक्रिय उपायों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:26 AM


  • इस विश्व हिंदी दिवस पर समझते हैं, देवनागरी लिपि के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति को
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:31 AM


  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id