कचरा प्रबंधन समस्या से झूझते मेरठ के लिए भारत तथा विश्व के अन्य शहरों से कुछ सीख

मेरठ

 27-06-2019 10:44 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

ठोस कचरा प्रबंधन मेरठ शहर में बनिया पारा, केसरगंज, आदि जैसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामने प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। खाली ज़मीनों को डंपिंग ग्राउंड (Dumping ground) के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और वे एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक (Plastic) और अन्य खतरनाक कचरे से भरे हुए हैं।

स्वच्छता के संदर्भ में यहाँ मल तंत्र नहीं है। यह कचरा हमारी सड़कों को दूषित करता है। कुछ साल पहले तक नाली में पानी बेहता था, अब यह सभी प्रकार के मल-मूत्र से भरा हुआ है और बीमारी के लिए एक स्रोत बना हुआ है। कई लोगों ने समस्या का हल खोजने के लिए नगर निगम को लिखा है, लेकिन उन्होंने नाले पर एक सीमा बनाने के अलावा कुछ नहीं किया है।

कचरे के इन ढेरों से निकलने वाली दुर्गंध लोगों को शहरों में प्रवेश करते ही नमस्कार करती है। इन शहरों में लाखों टन कचरा और ई-कचरा (e-waste) डंप किया जा रहा है, जो कई बीमारियों का प्रजनन मैदान बनके न केवल शहरवासियों बल्कि आसपास रहने वाले ग्रामीणों को भी प्रभावित कर रहा है।

समस्या के स्तर का अंदाजा कुछ उदाहरणों से लगाया जा सकता है। आगरा में प्रतिदिन 900 मीट्रिक टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है। पिछले पांच वर्षों में, लगभग 1.30 करोड़ मीट्रिक टन कचरा 75 एकड़ कुबेरपुर डंपिंग स्थल पर छोड़ दिया गया है, जो ताजमहल से सिर्फ 8 किमी दूर है। इसी तरह मेरठ, प्रतिदिन, 1,000 टन ठोस अपशिष्ट का उत्पादन करता है, जिसे शहर की सीमा के बाहर तीन जगहों पर ढेर किया जाता है, जिससे आस-पास के ग्रामीणों के लिए जीवन मुश्किल हो जाता है। इलाके में कचरे के ढेरों को लेकर हाल ही में कई हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।

खराब स्वच्छता प्रबंधन के साथ कुछ और कारणों से यह मुद्दा बढ़ गया है। मेरठ गाजियाबाद को प्रतिदिन 200 टन कचरा डंप करने की अनुमति देता है। एनजीटी समिति के आदेश पर गाज़ियाबाद मैनेजमेंट कमीटी (Ghaziabad Management Committee - GMC) प्रताप विहार लैंडफिल (Landfill) में मल ढेर न करने पर मजबूर हो गई थी। इसी वजह से गाजियाबाद में ठोस मल प्रबंधन संकट में पड़ गया था।

किसी भी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नीति के अभाव में, यह समस्या हर रोज़ तेज़ी से बढ़ेगी। इसे कम करने के लिए उपलब्ध तकनीकों में से कुछ इस प्रकार हैं:
1. जमा-वापसी योजना- यह उपभोक्ता को बोतल वापस करने के लिए प्रेरित करती है या जिसके लिए उसे मुआवज़ा दिया जाता है, और यह उत्पाद के जीवन चक्र को बढ़ाते हुए लैंडफिल पर दबाव कम करता है।
2. जापान (Japan) का कामिकात्सु- निवासियों ने अपने कचरे को 34 श्रेणियों में अलग कर दिया। इस क्षेत्र में 80% कचरे का पुनर्चक्रण किया जाता है, जबकि केवल 20% ही भूमि में जाता है।
3. स्वीडन (Sweden) में अपशिष्ट-से-ऊर्जा- घर और व्यवसाय के मालिक कचरे को खतरनाक कचरे और रिसाइकिल (Recycle) करने योग्य सामग्री में फ़िल्टर (Filter) करते हैं और अलग कर देते हैं, जो बाद में विभिन्न अपशिष्ट-प्रबंधन प्रणालियों, जैसे कि भस्मक और पुनर्चक्रण, और लैंडफिल के लिए थोड़ी मात्रा में भेजे जाते हैं।
4. भारत में, पणजी में, पूरा शहर न्यूनतम 6 अंशों में कचरे को अलग करता है। पुनर्चक्रण के लिए सूखे कचरे को आगे 18-20 अंशों में अलग किया जाता है, जैविक कचरे को कंपोस्ट (compost) किया जाता है।
5. विजयवाड़ा नगर निगम ने विकेंद्रीकृत वर्मीकम्पोस्टिंग (Vermicomposting) सुविधाओं के माध्यम से जैविक कचरे के सरल और प्रभावी प्रबंधन को प्रदर्शित किया है।

वर्तमान में, मेरठ में, प्रशासन ने उन सभी सार्वजनिक सुविधाओं के लिए खाद बनाना अनिवार्य कर दिया है जो दैनिक आधार पर 100 किलो या उससे अधिक कचरा पैदा करती हैं। 100 किलो के मानदंड के अलावा, यहां तक कि आरडब्ल्यूए (रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन / Resident Welfare Association) जैसे संस्थान जहां 500 से अधिक परिवार निवास करते हैं, या 10 से अधिक कमरे वाले होटल (Hotel), या 50 से अधिक बिस्तर वाले अस्पताल, या 5,000 वर्ग फुट से अधिक परिसर वाले या 500 से अधिक छात्रों वाले बड़े विद्यालय आदि को भी अपने कचरे का कम्पोस्ट के रूप में प्रबंधन करना होगा।


सन्दर्भ:
1. https://www.thequint.com/my-report/meerut-garbage-dump-nullah-citizen-report
2. http://bit.ly/2X0GSZ2
3. http://bit.ly/2IycyMt
4. http://bit.ly/2RqRiuW
5. http://bit.ly/2J0Tm9c
6. http://bit.ly/2RqR2fs

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id