भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अकाल की समस्या दशकों पहले से ही मौजूद रही है। इस समस्या का उल्लेख कई पुस्तकों में किया गया है जिनमें से पुस्तक ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रौट’ (Everybody loves a Good Dorught) भी एक है। यह किताब 1996 में प्रकाशित की गयी थी जिसे भारत पत्रकारिता विशेषज्ञ और मैग्सेसे पुरस्कार (Magsaysay Award) विजेता पी. सांईनाथ ने लिखा था। यह पुस्तक विशेष रूप से भारत के ग्रामीण खेती संकट पर आधारित है। हालांकि यह संकलन पुराना है लेकिन इसके कुछ पाठ 2019 में भी हमारे लिये प्रभावशाली हैं क्योंकि भारतीय किसानों को इस वर्ष भी अकाल का सामना करना पड़ रहा है।
सांई नाथ ने इस किताब में भारत के गरीब ग्रामीण जीवन को दर्शाया है। कुछ लोगों ने इस पुस्तक को ‘ग्रामीण भारत का इतिहास’ कहा जबकि कुछ के लिये यह ‘भारत का विवेक’ है। इस पुस्तक को ‘द सेंचुरीज ग्रेटेस्ट रिपोर्टाज- (The Century’s Greatest Reportage) (ऑर्डफ्रंट- Ordfront, 2000) में भी शामिल किया गया है। पुस्तक भारत के ग्रामीण गरीबों के संघर्षों और त्रासदियों का बखूबी वर्णन करती है।
पुस्तक का पहला खंड ग्रामीण भारत के अधूरे विकास को व्यक्त करता है जो कि गरीबों के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य या शिक्षा सेवा वितरण की कमी और कई तथाकथित विकास रणनीतियों के खोखलेपन पर आधारित था। गरीबों की उत्तरजीविता रणनीतियों को दूसरे खंड में उल्लेखित किया गया है जबकि बाद के खंड उधारदाताओं और शक्तिशाली ज़मीनदारों द्वारा गरीबों के शोषण और नौकरशाही को व्यक्त करते हैं। लेखक के अनुसार "जब गरीब साक्षर और शिक्षित हो जाते हैं, तो अमीर लोग अपने सेवकों को खो देते हैं अर्थात किसी भी गरीब व्यक्ति को अपने अधीन कार्य करवाना उनके लिये मुश्किल हो जाता है। पुस्तक का अंतिम भाग यह दर्शाता है कि किस प्रकार से ग्रामीण गरीब लोगों ने दुर्लभ साधनों के साथ अपनी परिस्थितियों से संघर्ष किया। अवैध देशी शराब की दुकानों को नष्ट करने के लिए पत्थर की खदान चलाने वाली और वनों को पुनर्जीवित करने वाली महिलाओं के प्रयासों को भी पुस्तक में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है। पुस्तक में गरीबों के विकास हेतु प्रेस (Press) की भूमिका पर भी लेखक ने तीव्र कटाक्ष किया है।
इस पुस्तक के लेखन के लिये सांईनाथ ने भारत के सबसे गरीब जिलों का दौरा किया, ताकि यह पता चल सके कि आज़ाद भारत के गरीब नागरिकों में सबसे ज़्यादा गरीब लोग जीवन निर्वाह किस प्रकार से कर रहे हैं। यह पुस्तक उन रिपोर्टों का संग्रह है जो लेखक ने अपनी यात्राओं के दौरान दर्ज की थीं। हालांकि उनकी कुछ रिपोर्टों ने विवादों को भी हवा दी जिसके कारण कुछ मामलों में अधिकारियों की ओर से कार्रवाई भी की गई। अध्ययन के लिए लेखक ने जिन जिलों का चयन किया वे देश के 5 सबसे गरीब राज्यों- उड़ीसा, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के सबसे गरीब दो जिले थे। पुस्तक गरीब लोगों की पीड़ा और निराशा के साथ-साथ उनकी मान्यताओं और आकांक्षाओं को भी दर्शाती है। गरीब लोगों के शोषण और उत्पीड़न की दिशा में योगदान देने वाली सरकार की नीतियों की जांच भी लेखक ने की और उस जांच को इस पुस्तक में उल्लेखित किया।
समीक्षकों के अनुसार यह एक दिल दहला देने वाली पुस्तक है जो कि भारतीय समाज के एक विशाल वर्ग को संदर्भित करती है। पी. सांईनाथ इसे लिखने के लिये पूरे देश में घूमे और गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में निवास किया ताकि वहां की स्थिति का पता लगाया जा सके। यह रिपोर्ट 1990 के दशक में ग्रामीण भारत की कमज़ोरियों और भावनाओं दोनों को दर्शाती है। यह सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक थी जिसने सैकड़ों गरीब भारतीयों को जीवित रहने के लिये संघर्ष करने हेतु फिर से प्रेरित किया। एशियाई आर्थिक चमत्कार के अनकहे पक्ष को समझने के लिये सांईनाथ की इस पुस्तक को पढ़ना बहुत ही लाभकारी होगा। समीक्षकों के अनुसार किसी भी व्यक्ति को इस पुस्तक को पढ़े बिना भारतीय स्वतंत्रता के वर्षों का मूल्यांकन नहीं करना चाहिए।
इस पुस्तक की कहानियों में अंतर्दृष्टि है। एक ओर यह पुस्तक नौकरशाही, भ्रष्टाचार, शोषण और राज्य के अत्यंत अन्यायपूर्ण व्यवहार की तस्वीर को दर्शाती है तो वहीं दूसरी ओर पुस्तक उन गरीब लोगों के प्रतिरोध और गर्व को भी बखूबी प्रदर्शित करती है। अकाल की समस्या को समझने और इससे निपटने में यह पुस्तक बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकती है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2Pnyvyj
2. https://bit.ly/31AWaCH
3. https://bit.ly/2XJV3hp
4. https://blog.motilalbooks.com/everybody-loves-a-good-drought
5. https://psainath.org/everyone-loves-a-good-drought/
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