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यौन सम्बंध पूरे विश्व की दिनचर्या का एक हिस्सा हैं। किंतु विकास के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद भी भारत में आज वयस्कों के बीच यौन संक्रमण की सम्भावना निरंतर बनी हुई है क्योंकि भारत में आज भी यौन सम्बंधित शिक्षा को उचित स्तर प्रदान नहीं किया जा रहा है। वर्तमान में यौन संक्रमण का प्रभाव सबसे अधिक युवाओं के बीच देखने को मिल रहा है।
इस सम्बंध में जागरूकता बढ़ाने के लिये भारतीय सरकार द्वारा यौन शिक्षा को लेकर कुछ योजनायें बनाई गईं जिसमें यौन संबंधों, लिंग भेद और गर्भावस्था के प्रति जागरूकता को संदर्भित किया जाता है। इस शिक्षा की मुख्य तीन श्रेणियां हैं: विद्यालयों में किशोरों पर लक्षित यौन शिक्षा पाठ्यक्रम, वयस्कों के लिए परिवार नियोजन और तीसरा एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS) रोकथाम की शिक्षा है। किंतु इस शिक्षा के सीमित प्रचार प्रसार के कारण भारत में यौन शिक्षा की गुणवत्ता में कुछ खास सुधार नहीं आ पाया है।
2011 में भारत में प्रति 1000 पुरुषों पर केवल 943 लड़कियों का जन्म हुआ था जो कि लिंगानुपात में पुरूषों की प्रधानता को व्यक्त कर रहा था। महिलाओं द्वारा कम कैलोरी का सेवन, कन्या भ्रूण हत्या, लड़कों के लिये सांस्कृतिक प्राथमिकता आदि इस प्रधानता के मुख्य कारक हैं। यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार, भारत में पहले लगभग 24 करोड़ महिलाओं का विवाह यौन शिक्षा के अभाव के कारण 18 साल की आयु में ही कर दिया जाता था हालांकि यह आयु अब धीरे-धीरे 20 वर्ष हो रही है।
किशोर प्रजनन के तहत 64% महिलायें 17-19 वर्ष की आयु में ही गर्भवती हो जाती हैं, जो उनके स्वास्थ्य को आगे नुकसान पहुंचाता है। उचित गर्भनिरोधकों का कम उपयोग भी यौन शिक्षा की कमी को दर्शाता है जिसके फलस्वरूप महिलाओं का स्वास्थ्य अधिक प्रभावित होता है। असुरक्षित यौन सम्बंधों के कारण होने वाला एचआईवी/एड्स भी अधिकतर यौन शिक्षा की कमी के कारण होता है। एचआईवी एड्स एक जानलेवा बीमारी है जिसका महत्वपूर्ण कारक असुरक्षित यौन सम्बंध भी है।
यौन शिक्षा के तहत युवाओं को एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। यह जागरूकता शहरी क्षेत्रों में तो फैल रही है किंतु कई ग्रामीण क्षेत्रों में शर्म के कारण इस पर चर्चा नहीं की जाती और फलस्वरूप यौन शिक्षा का अभाव अब भी वहां बना हुआ है। यौन शिक्षा के तहत विविध प्रकार के अभियान भी चलाये गये लेकिन इसे गलत मानकर स्थानीय लोगों द्वारा ये अभियान बंद करवा दिये गये।
अपरोक्त चित्र में नर और मादा (मनुष्य) के जननागों को दिखाया गया है।
भारत में आज अनगिनत यौन-शोषण की घटनायें दिन प्रतिदिन सामने आ रही हैं। अभी हाल ही में मेरठ में हुई यौन शोषण की भयंकर घटनायें इसी का उदाहरण है। यौन शिक्षा की कमी भी कहीं न कहीं इन घटनाओं के लिये उत्तरदायी है। इन घटनाओं को खत्म करने के लिये मेरठ जिले की पुलिस ने अब यौन अपराधों से संबंधित कानून प्रवर्तन के लिए एक प्रशिक्षण मैन्युअल (Manual) विकसित किया है। भारत में यह पहला जिला है जहां इन घटनाओं को पूर्णरूप से खत्म करने के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं। यौन शोषण के लिये बाल तस्करी से संबंधित मामलों की जटिलता को देखते हुए मेरठ पुलिस ने मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure ) प्रारम्भ की है जो बाल तस्करी को रोकने की ओर प्रयासरत है।
यौन संक्रमणों से बचने के लिये वर्तमान में स्वास्थ्य और स्वच्छता पर विशेष जोर दिया जा रहा है। यदि कुछ सावधानियां बरती जायें तो यह संक्रमण कम किया जा सकता है।
कुछ महत्वपूर्ण स्वच्छता नियमों के तहत यौन संक्रमणों से बचा जा सकता है जो कि निम्नलिखित हैं:
• जननांगों की उचित सफाई
• कीटाणुओं और जीवाणुओं से बचने के लिये यौन सम्बंध के पहले और बाद में हाथों और नाखूनों की सफाई
• महिलाओं को अपने मासिक चक्र के पहले दो दिनों में यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए।
• पसीने से तर कपड़ों और अंडरवियरों (Underwears) की उचित सफाई
• दिन में दो बार या कम से कम एक बार नहाना
• बगलों और पैरों के बीच की सफाई पर विशेष ध्यान
• मासिक धर्म प्रवाह को अवशोषित करने के लिए सैनिटरी नैपकिन (Sanitary napkins) या टैम्पोन (Tampon) का उपयोग
• सेनेटरी नैपकिन को समय-समय पर बदलना
• सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध न होने पर केवल कोमल सूती कपड़े का उपयोग और उसकी उचित सफाई करें।
यौन संक्रमण से बचने के लिये जहां इन नियमों का पालन करना आवश्यक है वहीं यौन सम्बंधों के विषय में जागरूकता फैलाना निरंतर आवश्यक है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2JZBDBZ
2. https://www.onlymyhealth.com/tips-sex-hygiene-1298541444
3. https://www.healthlibrary.com/book37_chapter382.htm
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Sex_education_in_India
5. https://bit.ly/2WM2c3M