मेरठ स्थित मंशा देवी मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर है, जहां प्रत्येक रविवार को दूर-दूराज़ से श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं। कहते हैं कि यह मंदिर भगवान राम के युग (त्रेता युग) का गवाह रह चुका है। यह मंदिर मेरठ से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर खरखौदा में स्थित है। मेरठ के गढ़ रोड पर मेडिकल कॉलेज (Medical College) के गेट के ठीक सामने मंशा देवी का यह मंदिर है। ये हिन्दुओं का पवित्र स्थल माना गया है और प्रातः 5 बजे से लेकर सायं 8 बजे तक खुलता है। यहां पर हर रविवार को भक्त आकर भोग लगाते हैं और मनोकामनाएँ मांगते हैं। कहा जाता है कि इस मन्दिर में सभी भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
इस मंदिर की खासियत है कि यहां लोग आंखें बंद करके नहीं बल्कि लोग आंखें खोलकर माता की आराधना करते हैं और उनसे मनोकामना मांगते हैं। इस प्राचीन मंदिर के परिसर में वर्तमान में पाँच दरबार स्थित हैं जिसमें कि शिव परिवार, दुर्गामाता, मंशा माता, संतोषी माता और रामभक्त हनुमान, ये सभी शामिल हैं। साढ़े चार बीघा जमीन में यह मंदिर बना है। मुख्य मंदिर के अलावा 25 अन्य मंदिर बने हैं। पहले शुरूआती दौर में लोग यहां आने से भी डरते थे क्योंकि पहले यहां जंगल था और जंगल के पास ही शमशान भूमि भी थी, जिसके बीच में मंदिर हुआ करता था। लेकिन आज यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। रविवार को यहां विशेष पूजा होती है और जिन भक्तों की मनोकामनायें पूरी हो जाती हैं वे यहां रविवार को विशेष भंडारा या प्रसाद वितरित करते हैं।
मंशा देवी का एक अन्य स्वरूप मेरठ में पास बागपत के बड़ागांव में भी देखने को मिलता है। इस मंदिर में बागपत से ही नहीं बल्कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और हरियाणा से भी लोग आते हैं। बागपत स्थित मंशा देवी के सिद्धपीठ होने से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि लंका नरेश रावण हिमालय से तपस्या करके देवी शक्ति साथ लाए थे। उन्हें यह शक्ति बीच रास्ते में नहीं रखनी थी क्यों कि मां ने रावण को कहा था कि, अगर तुमने रास्ते में मुझे कहीं रखा तो मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगी। रावण मां को लेकर लंका के लिए चल पड़ा। रास्ते में वह मां का भार सहन नहीं कर पाया और बागपत स्थित बड़ागांव में मूर्ति को पृथ्वी पर रख दिया। तब से मां मंशा बड़ागांव के मंदिर में विराजमान हैं।
मनसा देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा भारत के अलग-अलग हिस्सो में होती है। कहा जाता है कि मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है और इन्हे सांपों की एक हिंदू देवी भी कहा गया है। मां मनसा, मुनि जरत्कारु की पत्नि, आस्तिक जी की माता और नागराज वासुकी की बहन हैं। इन्हें शिव की मानस पुत्री माना जाता है परंतु कई पुरातन धार्मिक ग्रंथों में इनका पिता कश्यप मुनि को बताया गया है। प्राचीन काल में देवी मनसा का पूजन आदिवासी लोग करते थे परंतु धीरे-धीरे इनकी मान्यता भारत में फैल गई।
संदर्भ:
1.https://www.patrika.com/meerut-news/chaitra-navratri-2018-special-story-of-mansa-devi-mandir-2514828/
2.https://www.bhaskar.com/news/UP-MEER-maa-mansa-devi-mandir-in-meerut-news-hindi-5434852-PHO.html
3.http://www.mansadevimandir.com/
4.https://en.m.wikipedia.org/wiki/Manasa
5.https://bit.ly/2WD7qyE
6.https://bit.ly/2KoyXx5
7.https://bit.ly/2WmJFeJ
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.