गौतम बुद्ध के जन्म से पहले की अवधि को आम तौर पर महाजनपद युग के नाम से जाना जाता है। बौद्ध और जैन धार्मिक ग्रन्थों से पता चलता है कि छठी-पाँचवीं शताब्दी ईसा का भारत अनेक छोटे-छोटे सोलह राज्यों में विभक्त था जिन्हें महाजनपद अर्थात् बड़े राज्य कहा गया, जिसमें एक कुरु राज्य था। कुरु राज्य के अंतर्गत आज के हरियाणा, दिल्ली और मेरठ का क्षेत्र सम्मिलित था। इसकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ (हस्तिनापुर) थी। इस काल को अक्सर भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है, जहाँ सिन्धु घाटी की सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित) का उदय हुआ।
साथ ही साथ ये सोलह महाजनपद में लोहे के प्रयोग के कारण युद्ध अस्त्र-शस्त्र और कृषि उपकरणों द्वारा योद्धा और कृषक अपने-अपने क्षेत्रों में अधिक सफलता पा सके। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है। “अंगुत्तरनिकाय” तथा “महावस्तु” जैसे प्राचीन बौद्ध ग्रंथ और जैन ग्रंथ “भगवती सूत्र” में भी इन सोलह महान राज्यों का उल्लेख कई बार मिलता है। हालांकि अलग-अलग ग्रंथों में इन राज्यों का नाम अलग-अलग दिया गया है। इन राज्यों में से दो संभवतः प्रजातंत्र राज्य थे और अन्य राज्यों में राजतंत्र था।
बौद्ध निकायों में भारत को पाँच भागों में वर्णित किया गया है - उत्तरपथ (विन्ध्य क्षेत्र के उत्तर में), मध्यदेश (मध्य का भाग), प्राच्य (पूर्वी भाग), दक्षिणपथ (विन्ध्य क्षेत्र के दक्षिण में) तथा प्रतीच्य (पश्चिमी भाग) का उल्लेख मिलता है। यह जनपद वर्तमान के अफ़ग़ानिस्तान से लेकर बिहार तक और हिन्दुकुश से लेकर गोदावरी नदी तक फैले हुए थे। बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु में 16 महाजनपद और उनकी राजधानियों का उल्लेख निम्नलिखित है:
काशी
इसकी राजधानी वाराणसी थी। काशी गंगा और गोमती नदियों के संगम पर स्थित थी। वर्तमान की वाराणसी व आसपास का क्षेत्र इसमें सम्मिलित रहा था। काशी के कोसल, मगध और अंग राज्यों से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे।
कोसल:
सोलह महाजनपदों में, कोसल एक है, जिसमें श्रावस्ती, कुशावती, साकेत और अयोध्या शामिल थे। कोसल राज्य की राजधानी श्रावस्ती थी। इसमें उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिला, गोंडा और बहराइच के क्षेत्र शामिल थे। यह जनपद सदानीर नदी, सर्पिका या स्यन्दिका नदी (सई नदी), गोमती नदी और नेपाल की तलपटी से घिरा हुआ था।
अंग:
यह महाजनपद मगध राज्य के पूर्व में स्थित था। इसकी राजधानी चंपा थी। आधुनिक भागलपुर और मुंगेर का क्षेत्र इसी जनपद में शामिल था। यह गौतम बुद्ध के निधन तक भारत के छह महान राज्यों में से एक था।
मगध:
बौद्ध साहित्य में इस राज्य की राजधानी गिरिव्रज या राजगीर और निवासियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। वर्तमान बिहार के पटना, गया और शाहाबाद जिलों के क्षेत्र इसके अंग थे। गौतम बुद्ध के समय बिम्बिसार यहां के राजा थे और वे हर्यक वंश के थे।
वज्जि या वृजि:
प्राचीन भारत के सोलह महाजनपद में से एक वज्जि भी था। वज्जि एक संघ था, जिसके कई वंशज थे, लिच्छवि, वेदहंस, ज्ञानत्रिक और वज्जि सबसे महत्वपूर्ण थे। इसकी राजधानी वैशाली थी।
मल्ल:
यह भी एक गणसंघ था और पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधुनिक जिलों देवरिया, बस्ती गोरखपुर के आसपास था। मल्लों की दो शाखाएँ थीं। जिनमें एक की राजधानी कुशीनगर (जहाँ महात्मा बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ) और दूसरे भाग की राजधानी पावा थी।
चेदी:
यह महाजनपद यमुना नदी के किनारे स्थित था और आधुनिक बुंदेलखंड में फैला हुआ था। इसकी राजधानी ‘शुक्तिमती’ या ‘सोत्थिवती’ थी।
वत्स:
कौशाम्बी इसकी राजधानी थी। बुद्ध के समय में इसका शासक उदयन था। यह उत्तर प्रदेश के प्रयाग (इलाहाबाद) और मिर्ज़ापुर के आस-पास केन्द्रित था।
कुरु:
पाली ग्रंथों के अनुसार कुरु के राजा युधिष्ठिर गोत्र के थे। इसमें थानेश्वर (हरियाणा राज्य में) दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के क्षेत्र सम्मिलित थे और इसकी राजधानी हस्तिनापुर थी। पाली ग्रंथों के अनुसार, छठी शताब्दी में कुरु पर युधिष्ठिर का शासन था। परंतु बौद्ध जातक के अनुसार, कुरु के राजाओं के रूप में कौरवों का शासन था।
पांचाल:
इसमें वर्तमान रोहिलखंड और उसके समीप के कुछ जिले सम्मिलित थे। पांचाल की दो शाखाएं थी उत्तरी और दक्षिणी। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिणी पांचाल की काम्पिल्य थी।
मत्स्य:
इस जनपद में आधुनिक जयपुर और चंबल तथा सरस्वती नदियों के किनारे के जंगलों के बीच का क्षेत्र, जिले में शामिल थे। विराट नगर संभवतः इसकी राजधानी थी। सम्भवतः यह जनपद कभी चेदि राज्य के अधीन रहा था। उसके बाद ये मगध साम्राज्य का हिस्सा बन गया था।
शूरसेन:
यह राज्य यमुना नदी के तट पर स्थित था और इसकी राजधानी मथुरा थी। मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्र इस जनपद में शामिल थे।
अस्सक या अस्मक:
यह राज्य गोदावरी नदी के किनारे पर स्थित था और पाटेन अथवा पोटन इसकी राजधानी थी। पुराणों के अनुसार इस महाजनपद के शासक इक्ष्वाकु वंश के थे।
अवन्ति:
आधुनिक उज्जैन और नर्मदा घाटी का एक हिस्सा ही प्राचीन काल की अवन्ति राज्य था। इसके दो भाग थे― उत्तरी अवन्ति और दक्षिणी अवन्ति। उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिणी अवन्ति की राजधानी माहिष्मती थी।
गांधार:
इस जनपद में वर्तमान पेशावर, रावलपिंडी, काबुल और कश्मीर का कुछ भाग भी शामिल था। तक्षशिला इसकी राजधानी थी। गांधार का राजा पुमकुसाटी गौतम बुद्ध और बिम्बिसार का समकालीन था। उसने अवंति के राजा प्रद्योत से कई युद्ध किए और उसे पराजित किया।
कम्बोज:
यह राज्य गांधार के पड़ोस में था और कश्मीर के हिन्दुकुश पर्वतों के आसपास स्थित था। राजपुर इस राज्य की राजधानी थी। वैदिक काल के बाद में यह राज्य ब्राह्मणवादी धर्म के अध्ययन के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित हुआ।
संदर्भ:
1. https://www.globalsecurity.org/military/world/india/history-mahajanapadas.htm
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Mahajanapadas
3. http://www.historydiscussion.net/history-of-india/mahajanapadas-by-buddhist-angauttara-nikaya-16-names/5706
4. https://www.gktoday.in/gk/mahajanapada/
5. http://theindianhistoryblog.blogspot.com/2016/01/mahajanapada-period-600-bc-325-bc.html
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.