वर्षों से विकास के पथ पर अग्रसर रेलवे को भारत में परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। आधुनिक युग में कदम रखते हुए कब हम यातायात सुविधा के लिए मेट्रो रेल (Metro Rail) पर आश्रित हो गए यह शायद ही किसी को याद होगा। जब मेट्रो रेल की बात आती है तो सर्वप्रथम यह कहा जाता है कि परिवहन के दृष्टिकोण से यह आज के समय का सस्ता, आरामदायक और सुरक्षित साधन है। बड़े शहरों में जहां आबादी ज्यादा होने के साथ ही समय का हमेशा आभाव रहता है, वहां यातायात के तीव्र साधनों की आवश्यकता को महसूस किया जा सकता है। इसलिए सरकार इस क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है आरआरटीएस (RRTS- Regional Rapid Transport System) जो एन सी आर (NCR- National Capital Region) में क्षेत्रीय बुनियादी पहलुओं को परस्पर जोड़ने वाली एक नई, उच्च गति व उच्च क्षमता से युक्त कम्यूटर (Computer) आधारित सेवा है।
यह सुविधा पारंपरिक रेलवे तथा मेट्रो सुविधा से अलग है क्योंकि यह अधिक विश्वसनीय, उच्च आवृत्ति व उच्च गति पर क्षेत्रीय यात्रा के लिए तैयार की जा रही है, जो कम स्टॉप (Stop) के साथ अधिक गति से अपेक्षाकृत लंबी दूरी तय करेगी। इस मेट्रो से 45-50 मिनट के भीतर 100 किलोमीटर की दूरी तय की जा सकेगी और यह गैर-स्टॉप मार्गों पर 150 किमी/घंटा की रफ़्तार से चलेगी। भारतीय रेलवे, इंटर स्टेट बस टर्मिनलों (ISBT- Inter State Bus Terminal), हवाई अड्डों और दिल्ली मेट्रो के साथ सहज एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए नेटवर्क की योजना बनाई जाएगी जिसे स्थानिक रूप से लागू किया जाएगा। वर्ष 2005 में योजना आयोग द्वारा शहरी विकास मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक कार्य दल का गठन किया गया। इस दल का कार्य निकट के केंद्रों का आंकलन करना, मल्टी मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (Multi-Modal Transit System) का अध्ययन करना तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Report) तैयार करना था।
भारत में पहली रैपिड ट्रांजिट प्रणाली कोलकाता मेट्रो है, जिसने 1984 में परिचालन शुरू किया था। पूरे देश में दिल्ली, मेट्रो का सबसे बड़ा नेटवर्क है। नई दिल्ली में स्थित 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रीय परिवहन निगम (NCRTC)' केंद्र सरकार, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की एक संयुक्त क्षेत्र की कंपनी है जो दिल्ली-NCR में देश की पहली आरआरटीएस (RRTS) परियोजना को लागू करने के लिए उत्तरदायी है।
वर्ष 2006 में, राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति के अंतर्गत 20 लाख की आबादी वाले प्रत्येक शहर में एक मेट्रो रेल प्रणाली के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया। 11 अगस्त 2014 को, संघ सरकार ने घोषणा की कि वह 10 लाख से अधिक की आबादी वाले सभी भारतीय शहरों में मेट्रो रेल प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इसके पश्चात मई 2015 में, केंद्र सरकार द्वारा 50 शहरों में मेट्रो रेल प्रणाली लागू करने के केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है।
आरआरटीएस चरण 1 के तहत विकसित किए जा रही योजनायें निम्नवत हैं:
दिल्ली - मेरठ कॉरिडोर
दिल्ली - पानीपत कॉरिडोर
दिल्ली - अलवर कॉरिडोर
एनसीआरटीएस (NCRTC) तीन प्रमुख आरआरटीएस (RRTS) योजनाओं पर कार्य कर रहा है। अपने पहले चरण में, 82 किमी लंबी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ प्रारम्भिक योजना है जो 55 मिनट का अपेक्षित यात्रा समय लेगी, इसके बाद 103 किमी लंबी दिल्ली-सोनीपत-पानीपत योजना 65 मिनट में और 164 किलोमीटर लंबी दिल्ली -गुरुग्राम-रेवाड़ी-अलवर योजना जो 117 मिनट का यात्रा समय लेगी। आरआरटीएस नेटवर्क पर, ट्रेनें प्रत्येक 5-10 मिनट के अंतराल पर चलेंगी और स्टेशनों को नौ कोच (Coach) वाली ट्रेनों के लिए डिज़ाइन किया जाएगा। नौ कोचों में से एक ‘बिजनेस क्लास’ (Business Class) कोच सुविधाओं के लिए भुगतान करने के इच्छुक यात्रियों के लिए उपलब्ध होगा। वातानुकूलित कोच, बिजनेस कोच में सामान, वाई-फाई कनेक्शन (Wifi Connection), लक्जरी सीटों (Luxury Seats) और जलपान के लिए एक ओवरहेड केबिन (Overhead Cabin) होगा। हाल ही में आयोजित सार्वजनिक निवेश बोर्ड की बैठक में, केंद्र सरकार ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को आरआरटीएस के लिए स्वीकृति प्रदान की थी। मोदी मंत्रिमंडल से इस परियोजना के लिए जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। 1 फरवरी को, मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट 2019 में एनसीआरटीसी को 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश का बजट हाल ही में पेश किया गया था और अपने बजट में, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए एनसीआरटीसी को 400 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
संदर्भ
1. https://www.ncrtc.in/rrts-background/
2. https://www.ncrtc.in/project-details/
3. http://bit.ly/2VHezxg
4. https://www.ncrtc.in/salient-features/
5. http://bit.ly/2Wg4dl7
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