भारत में महाभारत महाकाव्य बहुत ही प्रसिद्ध है। इसके किरदार और घटनाएं आज भी लोगों को लुभाती हैं। यहां तक कि आज की पीढ़ी भी इसके प्रसंगों और घटनाओं में बहुत रूचि रखती है। महाभारत का प्रभाव केवल भारत में ही नहीं वरन विश्व के कई देशों में देखने को मिलता है, और ये प्रभाव आज ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही देखने को मिला है। यह महाकाव्य केवल हिंदी में ही नहीं बल्कि अन्य भाषाओँ में भी अनुवादित किया गया है, जिसके द्वारा पूरा विश्व ही इस महाकाव्य से प्रभावित हुआ है। तो आइये आज बात करते हैं महाभारत के फ़ारसी अनुवाद “रज़्मनामा” की।
रज़्मनामा महाभारत का ही फ़ारसी अनुवाद है और इसे ‘युद्ध की किताब’ (बुक ऑफ़ वॉर) के नाम से भी जाना जाता है। फारसी में, "रज़्म" का अर्थ है "युद्ध" और "नाम" का अर्थ है "कहानी" या "महाकाव्य"। इसलिए, रज़्मनामा का अर्थ है युद्ध की एक कहानी। 1574 में, अकबर ने फतेहपुर सीकरी में एक इबादत खाना (जहां अनुवाद का कार्य होता है) शुरू किया। एक लाख श्लोकों वाली महाभारत का फ़ारसी अनुवाद कार्य 1582-1584 की अवधि के दौरान हुआ।
इस अनुवाद कार्य की एक प्रति (कॉपी/Copy) जयपुर के "सिटी पैलेस म्यूज़ियम" (City Palace Museum) में भी उपलब्ध है। रज़्मनामा की विशेषता यह है कि इसमें महाभारत की घटनाओं का चित्रण भी किया गया है जिसका श्रेय मुगल चित्रकार मुश्फिक़ को जाता है। ख्वाजा इनायतुल्लाह द्वारा दौलताबाद से मंगवाए गए पृष्ठ पर लिखी गई जयपुर रज़्मनामा के 169 पृष्ठों में कलाकारों के नाम के साथ लघुचित्र भी हैं। जयपुर रज़्मनामा में अकबर, शाहजहाँ और शाह आलम की मुहर भी लगी हुई है। इस पांडुलिपि में 169 प्रकरण सचित्र हैं। इस प्रति के कलाकार बसावन, दासवंत और लाल थे।
रज़्मनामा की दूसरी प्रति 1598 और 1599 के बीच पूरी की गई थी। पहली प्रति की तुलना में दूसरी प्रति अधिक विस्तृत है। इस प्रति में मिले 161 चित्र महाभारत के प्रसंगों की व्याख्या करते हैं। अकबर के दरबारी अब्द अल-कादिर बदायुनी के अनुसार, अकबर ने अपने राज्य के सभी आमिर को ये प्रतियाँ भेजने का आदेश दिया, और उन्हें ईश्वर के उपहार के रूप में स्वीकार करने के निर्देश दिए। इतिहासकार अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखी गई प्रस्तावना के अनुसार, इस उपहार के वितरण का उद्देश्य बहुत ही पवित्र था। अकबर का मानना था कि विभिन्न धर्मों और विश्वासों के तर्कसंगत विषयों को प्रत्येक भाषा में अनुवादित किया जाना चाहिए।
रज़्मनामा को एशियन आर्ट म्यूजियम, सैन फ्रांसिस्को (Asian Art Museum, San Francisco) में "पर्ल्स ऑन अ स्ट्रिंग: आर्टिस्ट्स, पेटंस एंड पोएट्स एट दी ग्रेट इस्लामिक कोर्ट" की प्रदर्शनी के रूप में 2016 में दिखाया गया। इस पूरे वॉल्यूम को डिजिटल कर दिया गया था और यह प्रदर्शिनी सभी के लिए ऑनलाइन (Online) भी उपलब्ध है।
महाभारत का अनुवाद किस प्रकार किया गया था, इसका वर्णन समकालीन लेखक बदाउनी मुन्तखब अल-तवारीख ने किया। उनके अनुसार अकबर ने एक रात भारत के विद्वान पुरुषों को एकत्रित किया तथा महाभारत पुस्तक का अनुवाद करने का निर्देश दिया। महाभारत के अनुवाद में नकीब खान, बदाउनी मुन्तखब अल-तवारीख, मुल्ला शिरि, सुल्तान हाजी थानेसरी ‘मुनफरीद’, और शेख फैज़ी का विशेष योगदान है। इसके अनुवाद के लिए अकबर ने संस्कृत विद्वानों जैसे देबी मिश्रा, सत्वादन, मधुसूदन मिश्रा, रुद्र भट्टाचार्य आदि की सहायता भी ली। दशवंत, बसावन, लाल, मुकुंद, केशव, मुहम्मद शरीफ और फारुख चेला जैसे कलाकारों ने मुगल लघु चित्रकला के कुछ बेहतरीन नमूने इस अनुवाद के लिए दिए। अकबर की प्रतिलिपियों में 168 चित्र हैं, जो उस अवधि के किसी भी अन्य सचित्र पांडुलिपि से अधिक थे।
मुगलों की मध्ययुगीन पांडुलिपियों से यह पता चलता है कि वे संस्कृत भाषा से बहुत अधिक प्रभावित थे। अकबर द्वारा अक्सर आयोजित किये जाने वाले धार्मिक सम्मेलनों में संस्कृत के विद्वान भी शामिल हुआ करते थे। अबुल फ़ज़ल के ‘गंगाधर’, मौलाना शेरी के ‘हरिबंस’, बदाउनी के ‘कथा सरित सागर’, अबुल फज़ल के ‘किशन जोशी’, फैज़ी के ‘लीलावती’ और ‘नल दमन’, सहित संस्कृत की पुस्तकों राजतरंगिणी, अथर्ववेद, भगवद् गीता, रामायण और महाभारत जैसे संस्कृत ग्रन्थ भी फारसी में अनुवादित किये गए थे जो कि संस्कृत भाषा की सुंदरता और प्रभाव को दर्शाते हैं।
महाभारत के अट्ठारह पर्वों का निम्नलिखित रूप से फ़ारसी रूपांतरण किया गया है, जिसमें कुछ भिन्नताएं भी हैं:
• आदि पर्व: महभारत और रज़्मनामा दोनों में ही 8,884 श्लोक हैं, जो कौरवों और पांडवों का वर्णन करते हैं।
• सभा पर्व: दोनों में 2,511 श्लोक हैं। इसमें जादथल (Jadthal) का भाइयों को विश्व-विजय पर भेजना, राजसूय का आयोजन, जुए की सभा का आयोजन वर्णित है।
• वन पर्व: महाभारत में संस्कृत के 11,664 श्लोक हैं जबकि फारसी अनुवाद में 11,360 को ही वर्णित किया गया है। पांडवों के 12 साल के वनवास को इसमें उल्लेखित किया गया है।
• विराट पर्व: इस पर्व में 2,050 श्लोक संस्कृत के हैं, जबकि 2,005 ही फारसी अनुवाद में हैं। पांडवों की वन से वापसी और राजा भरत के राज्य में अज्ञातवास इसमें वर्णित किया गया है।
• उद्योग पर्व: महाभारत में 6,698 श्लोक संस्कृत के हैं किन्तु फारसी अनुवाद में 6,238 श्लोक ही दिए गए हैं। पांडवों का अपनी पहचान बताना और कुरखत (Kurkhat) में जाकर सेना की व्यवस्था करना इसमें उल्लेखित है।
• भीष्म पर्व: दोनों में ही 5,884 श्लोक हैं। युद्ध का प्रारम्भ इसमें दिखाया गया है।
• द्रोण पर्व: दोनों में 8,909 श्लोक हैं। द्रोण के पतन का वर्णन इसमें किया गया है।
• कर्ण पर्व: दोनों में 4,964 श्लोक हैं। कर्ण की दो दिन की लड़ाई और मृत्यु को इसमें वर्णित किया गया है।
• शल्य पर्व: इस पर्व में संस्कृत के 3,230 श्लोक हैं किंतु फारसी अनुवाद में 3,208 ही श्लोक हैं। शल्य और 90 लोगों की मृत्यु तथा 18 दिनों के युद्ध का वर्णन इसमें है।
• सौप्तिका पर्व: इस पर्व में संस्कृत 870 श्लोक हैं जबकि फारसी अनुवाद में 880 श्लोक हैं। कृतवर्मा के नेतृत्व में रात में हमले का वर्णन इसमें किया गया है।
• स्त्री पर्व: दोनों में ही 775 श्लोक हैं। दोनों पक्षों की महिलाओं का विलाप, गांधारी का कृष्ण को श्राप देना, इसमें वर्णित है।
• शान्ति पर्व: संस्कृत में 14,725 श्लोक हैं, जबकि फारसी में 19,374 श्लोक दिये गये हैं। जादशल (Jadshall) का कृष्ण के उपदेशों और सलाह को ध्यान से सुनना इसमें वर्णित किया गया है।
• अनुशासन पर्व: इसमें 8,000 श्लोक हैं। भीकम (Bhikam) की भिक्षा और दान का उल्लेख इसमें वर्णित है।
• अश्वमेधिका पर्व: संस्कृत के 3,320 श्लोक हैं; जबकि फारसी में 3,308 श्लोकों को ही वर्णित किया गया है।
• आश्रमवासिका पर्व: इस पर्व में 1,506 श्लोक संस्कृत के हैं जबकि केवल 300 श्लोक ही फ़ारसी में दिये गये हैं। धृष्टिक का पुनरुद्धार, जरासन (Jarjashan) की माता गांधारी, जोधिष्ठर (Jodishtar) की माता कुन्ती का कुरुक्षेत्र के जंगलों (जहां व्यास रहते थे) में जाने का उल्लेख इसमें किया गया है।
• मौसुल पर्व: इस पर्व में संस्कृत के 320 श्लोक हैं और 300 श्लोकों को ही फारसी में अनुवादित किया गया है। जदवान (बलराम) और कृष्ण की दयनीय परिस्थितियों में मृत्यु का उल्लेख इस पर्व में किया गया है।
• महाप्रस्थानिका पर्व: इस पर्व में 360 संस्कृत श्लोक हैं और 320 श्लोक ही फारसी अनुवाद में मिलते हैं। जधिष्टर (Jadishtar) और उसके भाइयों का संसार त्यागना एवं हिमालय की ओर प्रस्थान को इसमें वर्णित किया गया है।
• स्वर्गारोहण पर्व: संस्कृत के 209 श्लोक इस पर्व में दिये गये हैं जबकि 200 श्लोक ही फ़ारसी अनुवादित हैं। पर्वतों की ओर जाते हुए पांडवों का आत्मत्याग करना इसमें वर्णित है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Razmnama
2.https://bit.ly/2JpVs4e
3.https://bit.ly/2J8VA93
4. https://bit.ly/2VRj6gU
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