ख़राब स्ट्रीट लाइटों से हमारा मेरठ अंधेरे में, क्या हो सकता है उपाय?

मेरठ

 09-05-2019 11:00 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

आज भारत के लगभग हर हिस्‍से में बिजली पहुंच गयी है, यदि बात की जाए स्ट्रीट लाइट (Street Light - सड़क पर किये गए प्रकाश प्रबंध) की तो भारत में करीब 2 करोड़ 70 लाख से अधिक स्ट्रीट लाइटें रात के अंधेरे को दूर करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। शहरों की सड़कें कोने-कोने तक जगमगा रही हैं, किंतु हमारे मेरठ शहर की सड़कें पथ प्रकाश की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था होने के बाद भी अंधकारमय बनी हुयी हैं। शहर में छाए अंधेरे को देखते हुए कोई विश्‍वास नहीं करेगा कि सरकार ने सड़कों पर सोडियम लाइटों (Sodium Lights) के साथ-साथ बिजली बचाने के उद्देश्‍य से 55,000 से भी अधिक एलइडी (LED) लाईटें भी लगवायी हैं, किंतु कुशल व्‍यवस्‍था के अभाव में कहीं तो 24 घण्‍टे लाइट जल रहीं है तो कहीं महीनों से अंधेरा पसरा हुआ है।

ऊपर दिया गया चित्र मेरठ में लगी हुई ख़राब स्ट्रीट लाइट का है।

वास्‍तव में एलइडी लाइटों को लगवाने की जिम्‍मेदारी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज़ लिमिटेड (Energy Efficiency Services Limited) को दी गयी थी, जिसने लाइट जलाने, बुझाने ठीक करने का उत्‍तरदायित्‍व अन्‍य कंपनी को सौंप दिया। कंपनी के कर्मचारियों की निष्‍क्रियता के कारण शहर में 20 हजार से भी ज्‍यादा लाईटें बंद पड़ी हैं। जिसके लिए लोगों की निरंतर शिकायतें आ रहीं हैं किंतु व्‍यवस्‍थापकों के कान में जूं नहीं रेंग रही। जिस कारण आए दिन हादसे का माहौल बना हुआ है, तो वहीं 24 घण्‍टे जलने वाली लाइटों से ऊर्जा की क्षति हो रही है। जबकि देश भर में सरकार बिजली बचाने के उद्देश्‍य से सोडियम लाइटों के स्‍थान पर एलइडी लगवा रही है। वैसे तो दोनों लाइटों के अपने विशेष महत्‍व हैं किंतु आज एलइडी को ही ज्‍यादा महत्‍व दिया जा रहा है।

सोडियम लाइट:
यह लाइटें गर्म पीले रंग के लिए जानी जाती हैं। इनका सी.आर.आई. (CRI – Colour Rendering Index) कम होता है जो कि चिंताजनक हो सकता है, क्योंकि ये अंधेरे में अधिक गहरी परछाई बनाती हैं तथा कुछ चीज़ों को इनमें देखना मुश्किल हो सकता है। यह अपने पूरे जीवनकाल में 90% प्रकाश को बनाए रखती है। इनकी आयु लगभग 24,000 घंटे होती है।

एलइडी लाइट:
एलइडी की प्रकाश क्षमता बल्‍बों से अधिक होती है तथा इसका जीवनकाल भी सोडियम लाइट की अपेक्षा अधिक होता है। यह सोडियम लाइट तथा अन्‍य लाइटों की तुलना में शीतल रोशनी सहित बेहतर प्रकाश देती है। इन लाइटों का बटन (Button) चालू/बंद होने पर ये बिना किसी विलंब के तुरंत प्रतिक्रिया करती हैं, साथ ही अपने पूरे जीवनकाल में एक स्थिर प्रकाश को बनाए रखती हैं तथा समय के साथ-साथ इसके प्रकाश में कमी आने लगती है। इसकी समय सीमा 25,000 से 2,00,000 घंटे है।

एलईडी और सोडियम लाइट के बीच सबसे बड़ा अंतर रंग, तापमान और सीआरआई का है। एलईडी लाइट में उच्च सीआरआई के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के रंग तापमान होते हैं। एलईडी की तुलना में सोडियम लाइट को ज्‍यादा रखरखाव की आवश्‍यकता होती है।

भारत में पथ प्रकाश की समस्‍याएं:
दोषपूर्ण रोशनी: भारत में किसी भी क्षेत्र विशेष की दोषपूर्ण लाइटों के विषय में जानने के लिए कोई विशेष आंकड़े उपलब्‍ध नहीं हैं, साथ ही कौन सी लाइट काम करती है या कौन सी नहीं करती है या उनका जीवनकाल कितना है, के विषय में कोई जानकारी उपलब्‍ध नहीं हैं।

बिजली चोरी:
भारत में बिजली की चोरी एक बहुत बड़ी समस्या है। प्रत्येक लाइट द्वारा उपभोग की जाने वाली बिजली की मात्रा के कोई आंकड़े उपलब्‍ध नहीं हैं। इस प्रकार, यह निर्धारित करने का कोई तरीका नहीं है कि लाइन में कहीं बिजली चोरी हो रही है या नहीं। हालांकि, और आई.ओ.टी. (IoT – Internet of Things) पर आधारित दूरस्थ निगरानी समाधान का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है, कि अवैध तरीकों के माध्यम से कितनी बिजली उपयोग की जा रही है।

अनावश्यक उपयोग:
बिजली की कमी वाला देश होने के बावजूद भी भारत में अक्‍सर बिना ज़रूरत के उजाले के समय भी स्ट्रीट लाइटें जलती हुयी दिख जाती हैं। इससे बिजली का अपव्यय होता है। यह जानने हेतु कि कितनी बिजली बर्बाद हुई है, और इसे कैसे रोका जा सकता है, किसी विशलेषक की आवश्‍यकता होगी।

समाधान

निगरानी और अवलोकन के लिए मापदंड
देश में पथ प्रकाश संबंधित समस्‍याओं के निदान हेतु, सर्वप्रथम पथ प्रकाश से संबंधित आधारभूत आंकड़ों की आवश्‍यकता होगी, जो कुछ इस प्रकार के होंगे:

लाइट द्वारा उपभुक्‍त विद्युत
अन्‍य पारंपरिक लाइटों की तुलना में एलईडी कम विद्युत् की खपत करती है, साथ ही इसका जीवनकाल अन्‍यों की तुलना में लंबा होता है। देश में प्रयुक्‍त होने वाली एलईडी लाइटों के कोई आंकड़े उपलब्‍ध नहीं हैं। एलईडी द्वारा की गयी बिजली की खपत तथा इसके जीवनकाल और विफलता दर का विशलेषण करने पर पता लगाया जा सकता है कि कौन सी एलइडी सबसे ज्‍यादा प्रभावी है।

विद्युत् की खपत
एक निश्चित समय में किसी क्षेत्र विशेष की लाइटों द्वारा कितनी बिजली की खपत की जाती है। इसके आंकड़ों का विश्‍लेषण करके यह समझना आसान होगा कि किस क्षेत्र से बिजली चोरी हो रही है। विश्‍लेषक उन मामलों के बीच अंतर कर सकता है कि कहीं एलइडी खराब हुयी है या परिचालन से कोई विद्युत रिसाव हो रहा है।

पथ प्रकाश (स्‍ट्रीट लाइट) से संबंधित समस्‍याओं से निजात पाने के लिए आज विश्‍वभर में आधुनिक, संयुक्त, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), अनुकूलित और एलईडी पथ प्रकाश परियोजनाओं (एसएलएम) को लागू किया जा रहा है। एसएलएम को पैसे बचाने, सुरक्षा, दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ कई अन्‍य उपयोगों हेतु लागू किया गया है। एसएलएम परियोजनाओं में महत्वपूर्ण सामाजिक लाभ जैसे कम प्रकाश प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gases) की पर्याप्त कमी और अतिरिक्त सुरक्षा शामिल हैं। एसएलएम अपनी व्‍यवसायिक गुणवत्‍ता के कारण तीव्रता से आगे बढ़ रहा है। भारत इसे एक विकल्‍प के रूप में चुन सकता है।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2J8quyu
2. https://bit.ly/2Ycz1nj
3. https://bit.ly/2PSqQtr
4. https://www.analyticsindiamag.com/smart-cities-optimize-street-lighting-india/

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