भारत ऐसा देश है जिसे सोने की चिड़िया के नाम से पुकारे जाने का गौरव प्राप्त है। हो भी क्यों ना, भारत प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से काफी समृद्ध राष्ट्र रह चुका है, जिसने विश्व भर के शासकों और व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित किया। इतिहास के पन्ने आज भी भारत की समृद्धि को बयां करते हैं, तब चाहे वह हड़प्पा सभ्यता से संबंधित हों या फिर राजवंशी युग, मुगल काल या औपनिवेशिक भारत से संबंधित हों। 17वीं शताब्दी में भारत में व्यापार सोने के सिक्कों के माध्यम से किया जाता था। यह इस बात का संकेत देता है कि भारत धात्विक रूप से भी काफी समृद्ध रह चुका है।
भारत में भोजन, कपास, रत्नों आदि का व्यापार होता था। विश्व की जो भी आवश्यकता थी वह भारत के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थी। शायद इसलिए भारत व्यापार का केंन्द्र बना हुआ था। 17वीं शताब्दी में, भारत वस्त्र, मसाले, मोती, चीनी और लोहे के हथियारों का एक प्रमुख निर्यातक था। भारत ने अर्थशास्त्र के साथ-साथ सिक्का प्रणाली और वस्तु विनिमय प्रणाली का भी आविष्कार किया। भारत यूनानियों के साथ धन आधारित व्यापार करने वाले पहले देशों में से एक था।
भारत के इतिहास में सिंधु घाटी सभ्यता का अपना एक विशेष आकर्षण है। इतिहासकार और अन्य उत्साही लोग हमारे पूर्वज कैसे जीवन निर्वाह करते थे, इस विषय में जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। इन पुरातत्वविदों के प्रयासों से ही आज हम सिंधु घाटी सभ्यता के विषय में जानने में समर्थ हो पाए हैं। इस सभ्यता के उत्खनन से न केवल हमें अपने मूल के विषय में पता चलता है, बल्कि यह भी पता चलता है कि कैसे मनुष्य सदियों पूर्व से आभूषणों के प्रति आकर्षित होता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता के उत्खनन से अनेक सामग्रियां प्राप्त हुयी जिनमें विभिन्न धातुओं से (विशेष रूप से सोने से) तैयार आभूषण भी शामिल थे। इसके साथ ही आभूषण पहनी हुयी मूर्तियां भी प्राप्त हुई हैं।
खुदाई में मिले सोने के कुछ सामानों में शामिल हैं:
1. सिर पर पहने जाने वाले आभूषण - हड़प्पा में सोने से निर्मित आभूषण सिर पर पहने जाने वाले पाए गए हैं।
2. हार – सिंधु घाटी की खुदाई में सोने का हार प्राप्त हुआ है। जिसे संभवतः पुरूषों एवं महिलाओं द्वारा पहना जाता था।
3. अंगूठियां – सिंधु घाटी की खुदाई में कई अंगूठियां भी मिली हैं, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पहनी जाती होंगी।
4. झुमका – खुदाई के दौरान एक सोने का झुमका भी मिला है। विशेषज्ञ इसके विषय में निश्चित नहीं कर पाए हैं कि यह किसके द्वारा पहना जाता होगा।
5. ताबीज़ - विशेषज्ञों का यह मानना है कि खुदाई के टुकड़ों के बीच एक ताबीज़ भी मिला है जिसका उपयोग बुराई को दूर करने के लिए किया जाता होगा। यह आभूषण मोमबत्ती के आकार का है तथा यह गले के आभूषण के समान दिखता है।
6. कई अन्य आभूषणों के टुकड़े – सोने के कुछ अलग-अलग टुकड़े भी मिले हैं जिनका उपयोग संभवतः घर सजाने के लिए किया जाता था। इसके अतिरिक्त, कई मूर्तियों में पुरुषों और महिलाओं को उनके गले, कान और हाथों पर आभूषणों के साथ दर्शाया गया था।
सिंधु घाटी की खुदाई से प्राप्त आभूषणों को भारत में राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में संरक्षित रखा गया है। खुदाई से प्राप्त मूर्तियां और अन्य वस्तुएँ भी यहाँ संग्रहित हैं। उपरोक्त विवरण से आप सिंधु वासियों का गहनों के प्रति लगाव का अनुमान लगा सकते हैं। वैसे भी सिंधु सभ्यता को व्यापार प्रमुख माना जाता है।
हमारा मेरठ भी सिंधु सभ्यता का हिस्सा रह चुका है। मेरठ में आज एशिया का सबसे बड़ा सोने का बाजार है। यह देश के खेल संबंधी वस्तुओं और संगीत वाद्ययंत्रों का भी सबसे बड़ा निर्यातक है। मेरठ हथकरघा और हस्तशिल्प का भी एक अच्छा उत्पादक शहर है। लेकिन भारत आज सोने का एक बहुत बड़ा आयतक देश भी है। भारत में सोने का जुनून देखते ही बनता है। भारत में सदियों प्राचीन धार्मिक एवं सामाजिक परंपरा में सोने का विशेष स्थान है। अतः भारत का हर तबका सोने की लालसा रखता है। भारत के विषय में कहावत है कि यदि भारत छींकता है, तो सोने का उद्योग भी सर्दी पकड़ लेता है। भारत में सोना एक व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को दर्शाता है तथा यहां व्यक्तिगत उपयोग या शादी समारोह में आभूषणों का उपयोग सामान्य बात है। भारत के पास अपने महत्वपूर्ण स्वर्ण भंडार नहीं हैं और इसलिए मांग को पूरा करने के लिए, इसका अधिकांश हिस्सा अन्य देशों से आयात किया जाता है।
संदर्भ :
1.https://www.speakingtree.in/allslides/india-was-known-as-sone-ki-chidiya
2.https://www.mygoldguide.in/gold-indus-valley
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Economy_of_Uttar_Pradesh
4.https://www.quora.com/Why-does-India-import-so-much-gold
चित्र सन्दर्भ:
1. https://www.flickr.com/photos/travellingslacker/13335057144
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.