प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं ये मनोरम रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती इन्द्रधनुष की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारी अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करते हैं। इन रंगों को भी अलग-अलग भागों में वर्गीकृत किया जाता है। इस वर्गीकरण में सर्वप्रथम आते हैं प्राथमिक रंग या मूल रंग जो किसी मिश्रण के द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं। लेकिन ऐसा कह सकते हैं कि प्राथमिक रंग (पीला, लाल और नीला) किसी भी रंग संरचना के शीर्ष पर आते हैं, साथ ही इनके मिश्रण से सभी रंग बनाये जा सकते हैं। प्राथमिक रंग प्रकाश के वे रंग होते हैं जिन्हें समान अनुपात में मिलाने पर सफ़ेद प्रकाश का निर्माण होता है। वहीं इस वर्गीकरण में दूसरे स्थान पर आते हैं द्वितीयक रंग (नारंगी, बैंगनी व हरा) जो दो प्राथमिक रंगों के मिश्रण से प्राप्त किये जाते हैं।
द्वितीयक रंगों को निम्न रूप से प्राप्त किया जा सकता है :-
पीला + लाल = नारंगी
लाल + नीला = बैंगनी
नीला + पीला = हरा
तकनीकी क्षेत्रों में भी रंगों का उपयोग किया जाता है, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कंप्यूटर (Computer)। लेकिन कंप्यूटर में प्राथमिक रंगों का उपयोग करने की बजाए आरजीबी (RGB) और पेपर प्रिंटिंग (Paper printing) हेतु सीएमवाईके (CMYK) का उपयोग किया जाता है। वैसे तो आरजीबी और सीएमवाईके कंप्यूटर में उपयोग किए जाने वाले सबसे प्रमुख रंगों के समूह हैं, लेकिन दोनों के बीच काफी अंतर है।
आरजीबी रंग मॉडल
आरजीबी रंग मॉडल का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) प्रणालियों, जैसे कि सीआरटी (CRT), एलसीडी मॉनिटर (LCD monitors), डिजिटल कैमरा, टीवी, स्कैनर (Scanner) और कंप्यूटर में छवियों की सेंसिंग (Sensing) और प्रस्तुतीकरण करना है। सीएमवाईके विधि के विपरीत, आरजीबी एक योगात्मक प्रकार की रंग प्रणाली है जो विभिन्न रंगों की एक किस्म बनाने के लिए लाल, हरा और नीले रंग को अलग-अलग स्तरों पर जोड़ता है। इन तीनों रंगों को संयुक्त करके उनकी पूर्ण सीमा तक प्रदर्शित करने पर परिणाम शुद्ध सफेद मिलता है। वहीं जब इन तीनों रंगो को सबसे निम्नतम मात्रा के साथ जोड़ा जाता है, तो इसका परिणाम काला होता है। सॉफ्टवेयर (Software) जैसे फोटो एडिटिंग प्रोग्राम (Photo editing programs) में आरजीबी रंग प्रणाली का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह रंगों की सबसे विस्तृत पंक्ति प्रदान करता है।
सीएमवाईके रंग मॉडल
सीएमवाईके एक चार-रंग (क्यान, मैजेंटा, पीले और काले या की (key)) की रंगीन प्रणाली है, जिसका उपयोग छवियों को मुद्रित करते समय सभी आवश्यक रंगों को बनाने के लिए किया जाता है। यह एक अव्यावहारिक प्रक्रिया है, जिसमें प्रत्येक अतिरिक्त अद्वितीय रंगों को बनाने के लिए अधिक प्रकाश को निकालना या अवशोषित करना आवश्यक होता है। जब इसमें पहले के तीन रंगों को एक साथ जोड़ा जाता है, तो परिणाम स्वरूप काला रंग नहीं आता है, बल्कि एक गहरा भूरा रंग आता है। वहीं ‘की’ या काले रंग का उपयोग पूरी तरह से मुद्रित चित्र से प्रकाश को हटाने के लिए किया जाता है, जिसकी वजह से उस रंग को काला मान लिया जाता है।
अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि यह कैसे पता चलेगा कि इनका उपयोग कब करना होगा?
यदि आप ऐसे प्रोजेक्ट (Project) पर काम कर रहे हैं जिसे केवल डिजिटल ()Digital रूप से देखा जाएगा, तो वहां आरजीबी का उपयोग करें। इंटरनेट (Internet) को आरजीबी के रंगों के साथ विशेष रूप से काम करने के लिए स्थापित किया गया है। एक डिजिटल मॉनिटर (Digital Monitor) को पिक्सल्स (Pixels) नामक छोटी इकाइयों से बनाया गया है, जिसमें तीन प्रकाश इकाइयाँ (एक लाल के लिए, एक हरी के लिए, और एक नीली के लिए) शामिल होती हैं।
वहीं यदि आप किसी व्यवसाय कार्ड (Business Card), स्टेशनरी (Stationery) या समाचार पत्र जैसी किसी चीज़ को प्रिंट (Print) कर रहे हैं, तो सीएमवाईके का उपयोग करें। सीएमवाईके में सफेद रंग को इसलिए शामिल नहीं किया गया है क्योंकि इसका उपयोग ज्यादातर सफ़ेद पत्र पर मुद्रण करने के लिए किया जाता है।
संदर्भ :-
1. https://color-wheel-artist.com/primary-colors/
2. https://www.modernsoapmaking.com/diy-design-whats-the-difference-rgb-and-cmyk/
3. http://imagine-express.com/difference-between-cmyk-rgb/
4. https://bit.ly/2tBuYVy
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