मेरठ के कम्बोह दरवाज़ा से तो मेरठवासी भली-भांति अवगत होंगे, आज इस दरवाज़े के स्थान पर मेरठ का मशहूर घंटा घर स्थित है। ऊपर दी गयी चित्र मेरठ के कम्बोज गेट की ही है जिसे एक अज्ञात प्रकाशक द्वारा 1908 में प्रकाशित किया गया था। 1914 में अंग्रेजों द्वारा कम्बोह दरवाज़ा को तुड़वा कर उसके स्थान पर घंटा घर का निर्माण करवाया था। वैसे तो कम्बोह दरवाज़ा का निर्माण कब हुआ था यह कहना मुश्किल है परन्तु कहा जाता है कि 17वी शताब्दी में इस दरवाज़े का निर्माण कम्बोह जाती के नवाब अबू मोहम्मद खान कंबोह द्वारा करवाया गया था। मेरठ शहर में इनका मकबरा भी स्थित है जिसे उनके परिवार के सदस्यों द्वारा 1688 ई. में बनवाया गया था।
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कम्बोह दरवाज़े के तरह ही कम्बोह जाति की उत्पत्ति का कोई सटीक प्रमाण तो नहीं है, साथ ही जहाँ कुछ कम्बोह अपने उद्भव का दावा अफगान से करते हैं, तो वहीं कई अपने उद्भव का अरब में दावा करते हैं, जबकि अन्य केवल मुस्लिम होने का दावा करते हैं तो कुछ हिंदू कम्बोह जाति से होने का। ऐसा कहा जाता है कि भारतीय वंश से होने का दावा करने वाले एक प्राचीन भारतीय राज्य कंबोज के राजा सोदाक्ष के वंश के हैं। वहीं अफगान से होने का दावा करने वाले ईरान के प्रसिद्ध कयानी राजवंश से संबंधित हैं। साथ ही अरब वंश का दावा करने वाले पैगंबर मोहम्मद के पहले चचेरे भाई जुबैर इब्न अल-अवाम के वंश से हैं। वही मेरठ में अफगान उद्भव वाले कम्बोह जाती के लोगों का यह कहना है कि वे ग़ज़नवी वंश के पहले स्वतंत्र शासक महमूद ग़ज़नवी के पूर्वजों में से एक, हसन महमुदी कंबोह के वंशज है, जो सुल्तान के वज़ीर (मंत्री) थे और सुल्तान की सेना में ग्यारहवीं शताब्दी के पहले दशक में भारत आए थे। उनके पूर्वज मेरठ के राजा माई से मेरठ शहर पर कब्जा करने में सफल रहे। हसन महमुदी कंबोह ने शहर में जामा मस्जिद का भी निर्माण करवाया था।
मुस्लिम कम्बोज, लोधी और मुग़ल शासन के दौरान काफी प्रभावशाली थे। कई कम्बोह लोधी, पश्तून और भारत में मुग़ल शासन के दौरान एक महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक पदों पर काबिज होने के लिए भी जाने जाते हैं, जैसे नवाब खैर अंदेश खान। अंदेश खान मेरठ के कम्बोह नवाबों के प्रसिद्ध परिवार के नामी व्यक्ति थे और वे शाहजहाँ और औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान प्रसिद्ध हुए थे। खैर अंदेश खान औरंगज़ेब के अधीन एक शक्तिशाली मनसबदार और साथ ही इस क्षेत्र में शासन करने वाले कम्बोज नवाबों में से एक थे। उनके द्वारा मेरठ में एक यूनानी चिकित्सा अस्पताल भी खोला गया था।
ख्वाजा-उद-दीन और ख्वाजा मेता को छोड़कर सभी कम्बोह मेरठ को छोड़ कर चले गए थे और यही वह समय था जब आने वाली कम्बोह की पीढ़ी ने अपना मूल स्थान प्राप्त किया। मेरठ के इस कम्बोह परिवार से कई प्रतिष्ठित सज्जन उभरे। जिनमें से कुछ हैं: हसन महमुदी कम्बोह, शेख अब्दुल मोमन दीवान, नवाब ददन खान कम्बोह, नवाब मुहब्बत खान कम्बोह, नवाब खैर अंदेश खान आदि। 1947 में भारत के आज़ाद होने के पश्चात ये सभी कम्बोह वंशज के लोग पाकिस्तान चले गए और वहाँ कराची शहर में स्थित हो गए।
संदर्भ :-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Nawab_Khair_Andesh_Khan© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.